कोलंबो: भारत ने बुधवार को कहा कि संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान के साथ-साथ एक बहुपक्षीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था हिंद महासागर को एक मजबूत समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने का आधार है. भारत के निशाने पर परोक्ष तौर पर चीन था जो इस क्षेत्र में अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (Jaishankar on Indian Ocean Rim Association) ने यहां हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के मंत्रियों की परिषद की 23वीं बैठक में कहा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि के आधार पर हिंद महासागर को एक मुक्त, खुला और समावेशी स्थान बनाए रखना महत्वपूर्ण है. इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत ने 2023-25 के लिए आईओआरए के उपाध्यक्ष की भूमिका ग्रहण की. इस मौके पर जयशंकर ने कहा, "हम हिंद महासागर क्षेत्र में क्षमता निर्माण और सुरक्षा सुनिश्चित करने में पहले उत्तरदाता के तौर पर योगदान देने के अपने दृष्टिकोण को जारी रखेंगे." उन्होंने कहा, "एक बहुपक्षीय नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान हिंद महासागर को एक मजबूत समुदाय के रूप में पुनर्जीवित करने का आधार बना हुआ है."
जयशंकर ने कहा कि एशिया के पुनरुत्थान और वैश्विक पुनर्संतुलन में, हिंद महासागर एक केंद्रीय स्थान रखता है, जो व्यापार का समर्थन करके और आजीविका बनाए रखकर, कनेक्टिविटी और संसाधन उपयोग की अपार संभावनाएं प्रदान करके, तटीय देशों के विकास और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने कहा, "'वसुधैव कुटुंबकम' या 'दुनिया एक परिवार है' का संदेश आईओआरए सदस्य देशों को एकसाथ लाने के लिए एक बाधने वाली शक्ति हो सकती है." जयशंकर ने कहा कि उपाध्यक्ष और इस समूह के सदस्य के रूप में भारत की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं. उन्होंने कहा, "हमारा प्रयास एक ऐसे हिंद महासागर समुदाय को विकसित करना है जो स्थिर और समृद्ध, मजबूत और लचीले रुख वाला हो और जो महासागर की परिधि में सहयोग करने के साथ ही उसके परे होने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम हो."
उन्होंने कहा, "इस प्रकार हिंद महासागर को समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र संधि (यूएनसीएलओएस) के आधार पर, एक मुक्त, खुले और समावेशी स्थान के रूप में बनाए रखना महत्वपूर्ण है." उन्होंने कहा कि 1971 की भावना, जिसका उल्लेख श्रीलंकाई सहयोगी ने किया है, वह हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करती रहे तथा किसी भी छिपे हुए एजेंडे को हतोत्साहित किया जाना चाहिए. रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है, साथ ही वह दक्षिण चीन सागर (एससीएस) और पूर्वी चीन सागर (ईसीएस) दोनों में क्षेत्रीय विवादों में भी उलझा हुआ है.
जयशंकर ने कहा कि विकास संबंधी मुद्दे, मजबूत कनेक्टिविटी की कमी, अव्यवहारिक परियोजनाओं की वजह से उत्पन्न अपारदर्शी एवं अस्थिर ऋण का बोझ, आतंकवाद और अतिवाद से सामाजिक ताने-बाने को उत्पन्न खतरा, आतंकवाद से उत्पन्न खतरा, प्राकृतिक आपदाएं और जलवायु परिवर्तन, ये सभी ऐसी चुनौतियां हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "अगले दो वर्षों के लिए उपाध्यक्ष के रूप में, "विश्व मित्र" भारत, ग्लोबल साउथ की एक आवाज, आईओआरए के संस्थागत, वित्तीय और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के लिए आईओआरए सदस्य देशों के साथ काम करेगा ताकि इस गतिशील समूह की वास्तविक क्षमता को साकार किया जा सके." 'ग्लोबल साउथ' शब्द का इस्तेमाल अक्सर विकासशील और अल्प विकसित देशों के लिए किया जाता है, जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं.
जयशंकर ने कहा कि एक समन्वयक देश के रूप में भारत का विशेष ध्यान समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा तथा ‘नीली अर्थव्यवस्था’ के क्षेत्रों पर होगा. उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर भारत आईओआरए के अन्य प्राथमिकता वाले और अन्य संबंधित क्षेत्रों में भी योगदान देगा. जयशंकर बैठक में भाग लेने वाले 16 मंत्रियों में से एक हैं, जिसमें बांग्लादेश, ईरान, मॉरीशस, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री भी शामिल हैं.