कोलंबो: भारत के एक अग्रणी पर्यटन संगठन ने श्रीलंका में पर्यटन बढ़ाने में उसकी मदद करने का संकल्प लिया है. श्रीलंका पिछले साल के भीषण आर्थिक संकट के बाद उबरने की कोशिश कर रहा है और भारतीय संगठन श्रीलंका जाने वाले पर्यटकों को बढ़ावा देगा. ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (टीएएआई) के 67वें सम्मेलन के तहत कोलंबो में तीन दिन की भारतीय ट्रैवल कांग्रेस शनिवार को संपन्न हुई.
यह संगठन 72 साल पुराना है. इसकी अध्यक्ष ज्योति मायल ने अपने संबोधन में कहा, “हम दोनों- भारत और श्रीलंका एक जैसे हैं. हमारा भोजन, भाषा, संस्कृति और पहनावा, और पर्यटन दो समुदायों और दो देशों के बीच पुल बनाता है. हम टीएएआई में इस सम्मेलन से ऊपर और परे पर्यटन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में श्रीलंका का समर्थन करते हैं.”
संबोधन के बाद उन्होंने टीएएआई के प्रतिनिधियों से यह प्रतिज्ञा लेने के लिए कहा कि प्रत्येक भारतीय व्यक्तिगत या संस्थागत क्षमता से पर्यटकों को श्रीलंका लाने में मदद करेगा. छह जुलाई को शुरू हुए सम्मेलन में भारत और श्रीलंका के पर्यटन और आतिथ्य उद्योग के विशेषज्ञों, यात्रा परिचालकों और अन्य प्रमुख हितधारकों सहित 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. टीएएआई सम्मेलन का मुख्य विषय ‘सीमाओं को पार करना, जीवन में बदलाव लाना’ था.
कोलंबो में निर्माण, बिजली एवं ऊर्जा एक्सपो 2023 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए भारत के उप उच्चायुक्त विनोद के जैकब ने शुक्रवार को कहा कि भारत और श्रीलंका के बीच हाल में गहरे हुए संबंधों ने दोनों देशों के बीच दोस्ती और सर्वांगीण सहयोग को मजबूत किया है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस साल जनवरी में आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की ऋण प्रक्रिया शुरू करने के लिए श्रीलंका को आवश्यक वित्त पोषण के संबंध में आश्वासन देने वाले पहले देश थे. जापान और पेरिस क्लब के साथ ऋणदाता समिति के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखेगा.’’ भारत इस साल जनवरी में श्रीलंका के वित्त पोषण और ऋण पुनर्गठन के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को अपना समर्थन पत्र सौंपने वाला पहला देश था. जैकब ने कहा कि भारत की ओर से श्रीलंका को दी गई चार अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय एवं मानवीय सहायता आईएमएफ की कुल प्रत्याशित विस्तारित निधि सुविधा से कहीं अधिक है. विदेशी मुद्रा की भारी कमी के कारण श्रीलंका 2022 में वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था, जिससे 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी के बाद से इस द्वीपीय देश में सबसे बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया था.
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