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Armenia Turkey reopen border gate: भूकंप सहायता के लिए 3 दशकों में पहली आर्मेनिया और तुर्की के बीच खुला सीमा द्वार

मानवीय सहायता के लिए तुर्की और आर्मेनिया के बीच सीमा द्वार तीन दशकों के बाद खोला गया है. दोनों देशों के बीच सीमा द्वार वर्ष 1993 से बंद था.

Armenia Turkey reopen border gate for 1st time in 3 decades for quake aid
आर्मेनिया तुर्की ने भूकंप सहायता के लिए 3 दशकों में पहली बार सीमा द्वार खोला
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Published : Feb 12, 2023, 11:52 AM IST

अंकारा: तुर्की और अर्मेनिया ने 30 वर्षों में पहली बार अपनी सीमा द्वार को विनाशकारी भूकंप से प्रभावित पीड़ितों के लिए मानवीय सहायता के मार्ग के लिए खोला. आर्मेनिया के साथ सामान्यीकरण वार्ता के लिए तुर्की के विशेष प्रतिनिधि, सेरदार किलिक ने ट्विटर पर कहा कि आर्मेनिया का प्रतिनिधिमंडल 100 टन भोजन, दवा और पीने के पानी से लदे पांच ट्रकों के साथ अलीकन सीमा गेट से गुजरा.

भूकंप के बाद 28 लोगों और तकनीकी उपकरणों की टीम के अलावा, 100 टन भोजन, दवा, पानी और अन्य आपातकालीन सहायता पैकेज के 5 ट्रक एलिकन सीमा द्वार से गुजरते हुए आदियामन के लिए रवाना हुए. इस बीच, अर्मेनिया गणराज्य की नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष रुबेन रुबिनियन ने भी कहा, 'मानवीय सहायता वाले ट्रक आज अर्मेनियाई-तुर्की सीमा पार कर गए और भूकंप प्रभावित क्षेत्र के लिए अपने रास्ते पर हैं. सहायता करने में सक्षम होने पर खुशी हुई.' यहां तक कि अर्मेनिया के उप विदेश मंत्री वाहन कोस्टान्यान ने भी ट्वीट किया, 'आर्मेनिया से मानवीय सहायता तुर्की सीमा पर मारगरा पुल को पार कर भूकंप प्रभावित क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है.'

तुर्की और अर्मेनिया के बीच संबंध दशकों से तनावपूर्ण हैं. दोनों पड़ोसियों के बीच भूमि सीमा 1993 से बंद है. अर्मेनियाई और जातीय रूप से तुर्की अजरबैजान के बीच संघर्ष के मद्देनजर विवाद है. 1990 के दशक के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध मुख्य रूप से कुछ बातों पर बिगड़े हैं. अर्मेनिया में 15 लाख से अधिक लोग कहते हैं कि 1915 में आधुनिक तुर्की के पूर्ववर्ती तुर्क साम्राज्य द्वारा मारे गए थे. आर्मेनिया का कहना है कि यह नरसंहार है.

ये भी पढ़ें- Turkey Syria earthquake death toll: तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 28000 के पार

ओटोमन सरकार चलाने वाले युवा तुर्क ने गैस ओवन का उपयोग नहीं किया, लेकिन उन्होंने पुरुषों का नरसंहार किया और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को मौत के के लिए रेगिस्तान भेजा, जिनके बारे में हम अब केवल इसलिए सुनते हैं. वे रास्ते में भुखमरी या हमले से सैकड़ों की तादाद में मारे गए. शिविरों में टाइफस से बचे कई लोगों की मौत हो गई. तुर्की स्वीकार करता है कि उस समय लगभग 300,000 अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई थी, लेकिन जोर देकर कहते हैं कि यद्यपि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कई तुर्क और अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई थी, कोई जानबूझकर नरसंहार नीति नहीं थी. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लगभग 30 देश आधिकारिक तौर पर अर्मेनियाई नरसंहार को मान्यता देते हैं.

(एएनआई)

अंकारा: तुर्की और अर्मेनिया ने 30 वर्षों में पहली बार अपनी सीमा द्वार को विनाशकारी भूकंप से प्रभावित पीड़ितों के लिए मानवीय सहायता के मार्ग के लिए खोला. आर्मेनिया के साथ सामान्यीकरण वार्ता के लिए तुर्की के विशेष प्रतिनिधि, सेरदार किलिक ने ट्विटर पर कहा कि आर्मेनिया का प्रतिनिधिमंडल 100 टन भोजन, दवा और पीने के पानी से लदे पांच ट्रकों के साथ अलीकन सीमा गेट से गुजरा.

भूकंप के बाद 28 लोगों और तकनीकी उपकरणों की टीम के अलावा, 100 टन भोजन, दवा, पानी और अन्य आपातकालीन सहायता पैकेज के 5 ट्रक एलिकन सीमा द्वार से गुजरते हुए आदियामन के लिए रवाना हुए. इस बीच, अर्मेनिया गणराज्य की नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष रुबेन रुबिनियन ने भी कहा, 'मानवीय सहायता वाले ट्रक आज अर्मेनियाई-तुर्की सीमा पार कर गए और भूकंप प्रभावित क्षेत्र के लिए अपने रास्ते पर हैं. सहायता करने में सक्षम होने पर खुशी हुई.' यहां तक कि अर्मेनिया के उप विदेश मंत्री वाहन कोस्टान्यान ने भी ट्वीट किया, 'आर्मेनिया से मानवीय सहायता तुर्की सीमा पर मारगरा पुल को पार कर भूकंप प्रभावित क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है.'

तुर्की और अर्मेनिया के बीच संबंध दशकों से तनावपूर्ण हैं. दोनों पड़ोसियों के बीच भूमि सीमा 1993 से बंद है. अर्मेनियाई और जातीय रूप से तुर्की अजरबैजान के बीच संघर्ष के मद्देनजर विवाद है. 1990 के दशक के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध मुख्य रूप से कुछ बातों पर बिगड़े हैं. अर्मेनिया में 15 लाख से अधिक लोग कहते हैं कि 1915 में आधुनिक तुर्की के पूर्ववर्ती तुर्क साम्राज्य द्वारा मारे गए थे. आर्मेनिया का कहना है कि यह नरसंहार है.

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ओटोमन सरकार चलाने वाले युवा तुर्क ने गैस ओवन का उपयोग नहीं किया, लेकिन उन्होंने पुरुषों का नरसंहार किया और महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को मौत के के लिए रेगिस्तान भेजा, जिनके बारे में हम अब केवल इसलिए सुनते हैं. वे रास्ते में भुखमरी या हमले से सैकड़ों की तादाद में मारे गए. शिविरों में टाइफस से बचे कई लोगों की मौत हो गई. तुर्की स्वीकार करता है कि उस समय लगभग 300,000 अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई थी, लेकिन जोर देकर कहते हैं कि यद्यपि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान कई तुर्क और अर्मेनियाई लोगों की मृत्यु हो गई थी, कोई जानबूझकर नरसंहार नीति नहीं थी. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लगभग 30 देश आधिकारिक तौर पर अर्मेनियाई नरसंहार को मान्यता देते हैं.

(एएनआई)

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