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भारत में बच्चों में मिरगी के दौरे रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शूरू

इम्पीरियल कॉलेज लंदन नवजात बच्चों में मस्तिष्क विकृति को कम करके मिरगी दौरों की रोकथाम पर शोध का नेतृत्व कर रहा है. इस विषय पर अध्ययन करके प्रसवकाल के बाद बच्चों में मिरगी के मामलों को कम करना है. ब्रिटेन और भारतीय विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भारत में मस्तिष्क चोटों से पीड़ित बच्चों पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है. पढे़ं पूरा विवरण...

भारत में बच्चों में मिरगी के दौरे रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शूरू
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Published : Nov 21, 2019, 3:08 PM IST

लंदन : ब्रिटेन और भारतीय विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भारत में मस्तिष्क चोटों से पीड़ित बच्चों पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है. इस अध्ययन का मकसद मिरगी जैसी बीमारी की रोकथाम में मदद करना है.

इम्पीरियल कॉलेज लंदन नवजात बच्चों में मस्तिष्क विकृति को कम करके मिरगी दौरों की रोकथाम पर शोध का नेतृत्व कर रहा है. इस विषय पर अध्ययन करके प्रसवकाल के बाद बच्चों में मिरगी के मामलों को कम करना है.

विशेषज्ञों के मुताबिक प्रसव के दौरान या जन्म के दौरान बच्चों के मस्तिष्क में चोट लगना दुनिया के कुछ क्षेत्रों के बच्चों में मिरगी का मुख्य कारण है और नवजात को सांस लेने में दिक्कत इस बीमारी की मुख्य वजह है. ऑक्सीजन की कमी नवजात के मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करती है.

अनुसंधानकर्ताओं को विश्वास है कि एक तरह का केयर बंडल बनाने से प्रसव और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद देखरेख में सुधार हो सकता है.

पढ़ें : महाराष्ट्र पर मंथन जारी- आज NCP-कांग्रेस की बैठक, शुक्रवार को हो सकता है बड़ा ऐलान

इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टर सुधीन थायील ने बताया कि जन्म के दौरान सांस लेने में दिक्कत दुनियाभर में नवजात की मौत और विकृति के लिए सामान्य कारण है. उन्हें विश्वास है कि केयर बंडलसे ऐसे मामलों में कमी आएगी.

उन्होंने कहा, ' बच्चों में जन्म से जुड़ी चोटों को रोकना पेचीदा है और इसके लिए नवोन्मेष की जरूरत है जैसा कि इस अध्ययन में किया जा रहा है. इस अध्ययन पर 34 लाख डालर का खर्चा आएगा और इसे ब्रिटेन तथा भारत के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया जाएगा.

इसमें करीब 80,000 महिलाओं का अध्ययन किया जाएगा जो दक्षिण भारत के तीन प्रमुख अस्पतालों से भर्ती की जाएंगी. इनमें बेंगलौर मेडिकल कॉलेज, मद्रास मेडिकल कॉलेज और कालीकट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं.

लंदन : ब्रिटेन और भारतीय विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भारत में मस्तिष्क चोटों से पीड़ित बच्चों पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है. इस अध्ययन का मकसद मिरगी जैसी बीमारी की रोकथाम में मदद करना है.

इम्पीरियल कॉलेज लंदन नवजात बच्चों में मस्तिष्क विकृति को कम करके मिरगी दौरों की रोकथाम पर शोध का नेतृत्व कर रहा है. इस विषय पर अध्ययन करके प्रसवकाल के बाद बच्चों में मिरगी के मामलों को कम करना है.

विशेषज्ञों के मुताबिक प्रसव के दौरान या जन्म के दौरान बच्चों के मस्तिष्क में चोट लगना दुनिया के कुछ क्षेत्रों के बच्चों में मिरगी का मुख्य कारण है और नवजात को सांस लेने में दिक्कत इस बीमारी की मुख्य वजह है. ऑक्सीजन की कमी नवजात के मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करती है.

अनुसंधानकर्ताओं को विश्वास है कि एक तरह का केयर बंडल बनाने से प्रसव और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद देखरेख में सुधार हो सकता है.

पढ़ें : महाराष्ट्र पर मंथन जारी- आज NCP-कांग्रेस की बैठक, शुक्रवार को हो सकता है बड़ा ऐलान

इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टर सुधीन थायील ने बताया कि जन्म के दौरान सांस लेने में दिक्कत दुनियाभर में नवजात की मौत और विकृति के लिए सामान्य कारण है. उन्हें विश्वास है कि केयर बंडलसे ऐसे मामलों में कमी आएगी.

उन्होंने कहा, ' बच्चों में जन्म से जुड़ी चोटों को रोकना पेचीदा है और इसके लिए नवोन्मेष की जरूरत है जैसा कि इस अध्ययन में किया जा रहा है. इस अध्ययन पर 34 लाख डालर का खर्चा आएगा और इसे ब्रिटेन तथा भारत के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया जाएगा.

इसमें करीब 80,000 महिलाओं का अध्ययन किया जाएगा जो दक्षिण भारत के तीन प्रमुख अस्पतालों से भर्ती की जाएंगी. इनमें बेंगलौर मेडिकल कॉलेज, मद्रास मेडिकल कॉलेज और कालीकट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 12:3 HRS IST




             
  • भारत में बच्चों में मिरगी के दौरे रोकने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शूरू



लंदन, 21 नवंबर (भाषा) ब्रिटेन और भारतीय विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने भारत में मस्तिष्क चोटों से पीड़ित बच्चों पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है।



इस अध्ययन का मकसद मिरगी जैसी बीमारी की रोकथाम में मदद करना है।



इम्पीरियल कॉलेज लंदन नवजात बच्चों में मस्तिष्क विकृति को कम करके मिरगी दौरों की रोकथाम पर शोध का नेतृत्व कर रहा है। इस विषय पर अध्ययन करके प्रसवकाल के बाद बच्चों में मिरगी के मामलों को कम करना है।



विशेषज्ञों के मुताबिक प्रसव के दौरान या जन्म के दौरान बच्चों के मस्तिष्क में चोट लगना दुनिया के कुछ क्षेत्रों के बच्चों में मिरगी का मुख्य कारण है और नवजात को सांस लेने में दिक्कत इस बीमारी की मुख्य वजह है। ऑक्सीजन की कमी नवजात के मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त करती है।



अनुसंधानकर्ताओं को विश्वास है कि एक तरह का ‘केयर बंडल’ बनाने से प्रसव और बच्चे के जन्म के तुरंत बाद देखरेख में सुधार हो सकता है।



इम्पीरियल कॉलेज लंदन के डॉक्टर सुधीन थायील ने बताया कि जन्म के दौरान सांस लेने में दिक्कत दुनियाभर में नवजात की मौत और विकृति के लिए सामान्य कारण है। उन्हें विश्वास है कि ‘केयर बंडल’ से ऐसे मामलों में कमी आएगी।



उन्होंने कहा, ‘‘ बच्चों में जन्म से जुड़ी चोटों को रोकना पेचीदा है और इसके लिए नवोन्मेष की जरूरत है जैसा कि इस अध्ययन में किया जा रहा है।’’



इस अध्ययन पर 34 लाख डालर का खर्चा आएगा और इसे ब्रिटेन तथा भारत के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किया जाएगा।



इसमें करीब 80,000 महिलाओं का अध्ययन किया जाएगा जो दक्षिण भारत के तीन प्रमुख अस्पतालों से भर्ती की जाएंगी । इनमें बेंगलौर मेडिकल कॉलेज, मद्रास मेडिकल कॉलेज और कालीकट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।


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