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दक्षिण अफ्रीका में मिले कोविड-19 वायरस के स्वरूप पर डब्ल्यूएचओ की बैठक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना वायरस के नए स्वरूप बी.1.1.529 (New strain B.1.1.529) पर नजर रखे हुए है और शुक्रवार को विशेष बैठक करेगा.

corona virus new form
कोरोना वायरस नया स्वरुप
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Published : Nov 26, 2021, 4:20 PM IST

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा : डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) दक्षिण अफ्रीका में मिले कोविड-19 वायरस के स्वरूप पर शुक्रवार को बैठक करेगा. जिसमें विचार किया जाएगा कि बहुत अधिक बदलाव से पैदा हुए स्वरूप को चिंतित करने वाले स्वरूप की सूची में डाला जाए या नहीं. यह जानकारी संगठन की शीर्ष अधिकारी ने दी.

उन्होंने बताया कि यह अबतक मिली जानकारी के मुताबिक यह स्वरूप सबसे अधिक बदलाव की वजह से उत्पन्न हुआ है. सबसे पहले इसकी पहचान इस हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में की गई थी और पहले ही बोत्सवाना सहित कई पड़ोसी देशों में फैल चुका है. वहां पता चला है कि वायरस का यह स्वरूप पूरी तरह से टीकाकरण (fully vaccinated) करा चुके लोगों में मिला है.

इस नए स्वरूप के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी (Scientists warn) दी है कि वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है जो टीका के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं और उनके प्रसार की दर और अधिक हो सकती है व कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ में संक्रामक बीमारी महामारी और कोविड-19 तकनीकी समूह का नेतृत्व कर रही मारिया वान केरखोवे (Maria Van Kerkhove) ने प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान बताया कि 100 से भी कम स्वरूप का जीनोम अनुक्रमण उपलब्ध है. हम इसके बारे में अबतक नहीं जानते हैं. हम यह जानते हैं कि इस स्वरूप में अनुवांशिकी रूप से अधिक बदलाव हुए हैं. और जब कई स्वरूप होते हैं तो चिंता होती है कि कोविड-19 वायरस के व्यवहार पर यह कैसे असर डालेगा.

उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ता मिलकर यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये बदलाव और स्पाइक प्रोटीन कहा हैं और इनका पता लगाने की पद्धति, इलाज और टीका क्या हो सकता है. केरखोवे ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के वायरस के विकासक्रम (Evolution of virus) पर गठित तकनीकी सलाहकार समूह अपने दक्षिणी अफ्रीकी सहयोगियों के साथ चर्चा कर रहा है.

यह भी पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका में कोरोना का नया वैरिएंट, डेल्टा से भी हो सकता है ज्यादा खतरनाक !

उन्होंने कहा कि हम कल फिर बैठक कर रहे हैं. इसपर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुला रहे हैं, चेतावनी देने के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि हमारे पास यह प्रणाली है. हम इन वैज्ञानिकों को साथ लाएंगे और चर्चा करेंगे कि इसके मायने क्या हैं और यह भी इनका समाधान तलाशने के लिए समयसीमा क्या हो सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा : डब्ल्यूएचओ (World Health Organization) दक्षिण अफ्रीका में मिले कोविड-19 वायरस के स्वरूप पर शुक्रवार को बैठक करेगा. जिसमें विचार किया जाएगा कि बहुत अधिक बदलाव से पैदा हुए स्वरूप को चिंतित करने वाले स्वरूप की सूची में डाला जाए या नहीं. यह जानकारी संगठन की शीर्ष अधिकारी ने दी.

उन्होंने बताया कि यह अबतक मिली जानकारी के मुताबिक यह स्वरूप सबसे अधिक बदलाव की वजह से उत्पन्न हुआ है. सबसे पहले इसकी पहचान इस हफ्ते दक्षिण अफ्रीका में की गई थी और पहले ही बोत्सवाना सहित कई पड़ोसी देशों में फैल चुका है. वहां पता चला है कि वायरस का यह स्वरूप पूरी तरह से टीकाकरण (fully vaccinated) करा चुके लोगों में मिला है.

इस नए स्वरूप के सामने आने के बाद वैज्ञानिकों ने चेतावनी (Scientists warn) दी है कि वायरस के नए स्वरूपों की संख्या बढ़ सकती है जो टीका के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो सकते हैं और उनके प्रसार की दर और अधिक हो सकती है व कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले मामलों में वृद्धि हो सकती है.

डब्ल्यूएचओ में संक्रामक बीमारी महामारी और कोविड-19 तकनीकी समूह का नेतृत्व कर रही मारिया वान केरखोवे (Maria Van Kerkhove) ने प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान बताया कि 100 से भी कम स्वरूप का जीनोम अनुक्रमण उपलब्ध है. हम इसके बारे में अबतक नहीं जानते हैं. हम यह जानते हैं कि इस स्वरूप में अनुवांशिकी रूप से अधिक बदलाव हुए हैं. और जब कई स्वरूप होते हैं तो चिंता होती है कि कोविड-19 वायरस के व्यवहार पर यह कैसे असर डालेगा.

उन्होंने कहा कि अनुसंधानकर्ता मिलकर यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ये बदलाव और स्पाइक प्रोटीन कहा हैं और इनका पता लगाने की पद्धति, इलाज और टीका क्या हो सकता है. केरखोवे ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के वायरस के विकासक्रम (Evolution of virus) पर गठित तकनीकी सलाहकार समूह अपने दक्षिणी अफ्रीकी सहयोगियों के साथ चर्चा कर रहा है.

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उन्होंने कहा कि हम कल फिर बैठक कर रहे हैं. इसपर चर्चा के लिए विशेष बैठक बुला रहे हैं, चेतावनी देने के लिए नहीं बल्कि इसलिए कि हमारे पास यह प्रणाली है. हम इन वैज्ञानिकों को साथ लाएंगे और चर्चा करेंगे कि इसके मायने क्या हैं और यह भी इनका समाधान तलाशने के लिए समयसीमा क्या हो सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

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