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जर्मनी की सरकार 2030 के बाद के जलवायु लक्ष्यों का निर्धारण करे : शीर्ष अदालत

जर्मनी की अदालत ने कहा कि सरकार को 2030 के बाद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए.

जलवायु लक्ष्यों का निर्धारण करे
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Published : Apr 29, 2021, 7:09 PM IST

बर्लिन : जर्मनी की शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि देश की सरकार को 2030 के बाद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. अदालत ने कहा कि मौजूदा कानून यह सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त नहीं है कि जलवायु परिवर्तन स्वीकार्य स्तर तक सीमित है.

पर्यावरण के लिए काम करने वाले समूहों के समर्थन से जर्मनी और कुछ अन्य जगहों के लोगों ने संवैधानिक अदालत में चार शिकायत दायर कर कहा था कि पर्याप्त लक्ष्य के आभाव में अगले दशक के आगे के उनके अधिकार प्रभावित हुए हैं.

यूरोपीय संघ के अन्य देशों की तरह जर्मनी भी 2030 तक 1990 के स्तर के मुकाबले उत्सर्जन में 55 प्रतिशत कटौती का लक्ष्य रखता है. 2019 में पारित कानून में आवासन एवं परिवहन जैसे सेक्टरों के लिए उस अवधि में स्पष्ट लक्ष्य तय किए गए थे, लेकिन 2050 तक कुल उत्सर्जन शून्य करने के लिये दीर्घकालिक लक्ष्य तय नहीं किए गए थे.

न्यायाधीशों ने अपने फैसले में कहा, 'कानून 2030 के आगे की अवधि में उत्सर्जन कम करने के लिए अत्याधिक दबाव डालता है.'

पेरिस समझौते का किया जिक्र

उन्होंने उल्लेख किया कि पेरिस समझौते में औद्योगीकरण से पहले के समय की तुलना में इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और आदर्श रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने का लक्ष्य तय किया गया है.

पढ़ें- गरीब देशों ने महज 0.3 प्रतिशत टीके लगाए : डब्ल्यूएचओ प्रमुख

अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि वह अगले साल के अंत तक 2030 के बाद के नए लक्ष्यों को पेश करे.

बर्लिन : जर्मनी की शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा कि देश की सरकार को 2030 के बाद ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए. अदालत ने कहा कि मौजूदा कानून यह सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त नहीं है कि जलवायु परिवर्तन स्वीकार्य स्तर तक सीमित है.

पर्यावरण के लिए काम करने वाले समूहों के समर्थन से जर्मनी और कुछ अन्य जगहों के लोगों ने संवैधानिक अदालत में चार शिकायत दायर कर कहा था कि पर्याप्त लक्ष्य के आभाव में अगले दशक के आगे के उनके अधिकार प्रभावित हुए हैं.

यूरोपीय संघ के अन्य देशों की तरह जर्मनी भी 2030 तक 1990 के स्तर के मुकाबले उत्सर्जन में 55 प्रतिशत कटौती का लक्ष्य रखता है. 2019 में पारित कानून में आवासन एवं परिवहन जैसे सेक्टरों के लिए उस अवधि में स्पष्ट लक्ष्य तय किए गए थे, लेकिन 2050 तक कुल उत्सर्जन शून्य करने के लिये दीर्घकालिक लक्ष्य तय नहीं किए गए थे.

न्यायाधीशों ने अपने फैसले में कहा, 'कानून 2030 के आगे की अवधि में उत्सर्जन कम करने के लिए अत्याधिक दबाव डालता है.'

पेरिस समझौते का किया जिक्र

उन्होंने उल्लेख किया कि पेरिस समझौते में औद्योगीकरण से पहले के समय की तुलना में इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे और आदर्श रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने का लक्ष्य तय किया गया है.

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अदालत ने सरकार को आदेश दिया कि वह अगले साल के अंत तक 2030 के बाद के नए लक्ष्यों को पेश करे.

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