लंदन : भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन में कानूनी लड़ाई लड़ रहे नीरव मोदी के वकीलों ने गंभीर आरोप लगाए हैं. वकीलों का कहना है कि भारत में मामले के राजनीतिकरण के चलते उनके मुवक्किल के खिलाफ वहां निष्पक्ष मुकदमा चलने की संभावना नहीं है.
नीरव मोदी की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने भारतीय जेलों में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव की भी दलीलें दीं. वकीलों का कहना है कि सुविधाओं के अभाव में नीरव मोदी के आत्महत्या करने का भी खतरा है. गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव (49) वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में प्रत्यर्पण के खिलाफ मुकदमा लड़ रहा है.
अदालत में नीरव की पांच दिनों की प्रत्यर्पण सुनवाई के दूसरे दिन न्यायमूर्ति सैमुअल गूज ने भारतीय जेलों के आधिकारिक आंकड़ों पर गौर किया, जिनमें मुंबई के आर्थर रोड जेल में कोविड-19 के मामले भी शामिल हैं. प्रत्यर्पित किए जाने पर उसे इसी जेल में रखा जाएगा.
नीरव की वकील क्लेर मोंटगोमरी ने सप्ताह में आगे की सुनवाई के दौरान विशेषज्ञों के बयान दिलाने की अपनी योजना से भी अदालत को अवगत कराया. इनमें भारतीय उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश भी शामिल हैं, जिनके सिर्फ अंतिम नाम काटजू का उल्लेख किया गया है.
मोंटगोमरी ने अदालत से कहा भारत में न्याय प्रणाली की सत्यनिष्ठा का काफी क्षरण हुआ है और नीरव मोदी का मामला एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है, जिसमें बेगुनाही की कोई परिकल्पना नहीं है. उन्होंने दावा किया कि चूंकि हीरा कारोबारी भारत में नफरत भरी नजरों से देखा जा रहा है इसलिए उसकी निंदा करने और उसे दोषी साबित होते देखने की जबरदस्त राजनीतिक आवश्यकता पैदा हो गई है. उन्होंने कहा कि बचाव पक्ष के अन्य गवाहों ने भी जांच एजेंसियों, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) के 'व्यवहार के मानदंड' में गिरावट आने का भी जिक्र किया है.
अदालत को दक्षिण पश्चिम लंदन की वेंड्सवर्थ जेल में नीरव के मानसिक स्वास्थ्य में उल्लेखनीय गिरावट होने के बारे में जानकारी दी गई. मोंटगोमरी ने कहा उसमें अवसाद बढ़ता जा रहा है और ताजा आकलन से यह जाहिर हुआ है कि यदि उसका उपयुक्त उपचार नहीं किया गया तो उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा जाएगा' उन्होंने कहा कि यहां या वहां उसके आत्महत्या करने का खतरा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जेलों में मनोचिकित्सीय मदद का भी घोर अभाव है.
उन्होंने कहा उसकी मानसिक दशा और कोविड-19 के खतरे को देखते हुए उसे मानवीय परिस्थितियों में रखने का आश्वासन (भारत सरकार का) और जेल वीडियो पूरी तरह से अपर्याप्त प्रतीत होता है. नीरव की कानूनी टीम ने आर्थर रोड जेल में मई में कोविड-19 के प्रसार को काबू कर लिए जाने के भारत सरकार के दावों का जवाब देने की कोशिश के तहत एक विशेषज्ञ की गवाही दिलाने की योजना का भी संकेत दिया है.
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नीरव दो मामलों में आपराधिक कार्यवाही का सामना कर रहा है, एक मामला पीएनबी से की गई धोखाधड़ी को लेकर सीबीआई का है, जबकि दूसरा मामला उस रकम के धन शोधन को लेकर ईडी का है. प्रत्यर्पण के मामले में इस साल के अंत में फैसला आने की उम्मीद है. अंतिम सुनवाई एक दिसंबर से होने का कार्यक्रम है.नीरव ने पिछले वर्षों में जमानत के लिए कई बार कोशिश की लेकिन उसके फरार होने की आशंका चलते हर बार उसके अनुरोध को खारिज कर दिया गया. नीरव को पिछले साल एक प्रत्यर्पण वारंट की तामील करते हुए लंदन महानगर पुलिस स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा पिछले साल 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था.