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ब्रिटेन की गृह मंत्री पर निर्भर है नीरव मोदी का प्रत्यर्पण

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Published : Feb 26, 2021, 8:23 AM IST

नीरव मोदी को इस बारे में सूचित किया जा चुका है कि गृह मंत्री के आदेश सुनाने के बाद उसके पास हाईकोर्ट में अपील के लिए 14 दिन का समय होगा.

Nirav Modi's extradition
ब्रिटेन की एक अदालत ने दिया बयान

लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में नीरव मोदी को भारतीय अदालतों में जवाब देना चाहिए. इस फैसले से हीरा कारोबारी के भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हो गया है और यह अब ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के हस्ताक्षर पर निर्भर है.

वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नीरव से जुड़ा मामला भारतीय अदालतों में उत्तर देने का उपयुक्त मामला है. प्रत्यर्पण कानून 2003 के तहत संबंधित कैबिनेट मंत्री को विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के बाद वांछित व्यक्ति के प्रत्यर्पण का आदेश देने का अधिकार प्राप्त है. कानून के प्रावधानों के तहत विदेश मंत्री को आरोपी को मृत्युदंड की संभावना जैसे मुद्दों पर विचार करना होता है जिसमें प्रत्यर्पण का आदेश नहीं दिया जा सकता.

यदि संबंधित कारक प्रत्यर्पण को नहीं रोकते तो मंत्री को जिला न्यायाधीश द्वारा विदेश मंत्री को भेजे गए फैसले के अनुरूप दो महीने के भीतर प्रत्यर्पण का आदेश देना होता है. नीरव के मामले में दो महीने की अवधि अप्रैल के अंत तक की है. गृह मंत्री का आदेश मुश्किल से ही अदालत के फैसले के विरुद्ध जाता है.

पढ़ें: नीरव मोदी के शीघ्र प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश प्राधिकारियों से संपर्क करेगी सरकार : विदेश मंत्रालय

न्यायाधीश ने नीरव को सूचित किया है कि गृह मंत्री के अपना आदेश सुनाने के बाद उसके पास हाईकोर्ट में अपील के लिए 14 दिन का समय होगा. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकता है. नीरव की टीम ने तत्काल इस बारे में पुष्टि नहीं की कि बृहस्पतिवार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने का उनका इरादा है या नहीं.

लंदन : ब्रिटेन की एक अदालत ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में नीरव मोदी को भारतीय अदालतों में जवाब देना चाहिए. इस फैसले से हीरा कारोबारी के भारत प्रत्यर्पण का मार्ग प्रशस्त हो गया है और यह अब ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल के हस्ताक्षर पर निर्भर है.

वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नीरव से जुड़ा मामला भारतीय अदालतों में उत्तर देने का उपयुक्त मामला है. प्रत्यर्पण कानून 2003 के तहत संबंधित कैबिनेट मंत्री को विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के बाद वांछित व्यक्ति के प्रत्यर्पण का आदेश देने का अधिकार प्राप्त है. कानून के प्रावधानों के तहत विदेश मंत्री को आरोपी को मृत्युदंड की संभावना जैसे मुद्दों पर विचार करना होता है जिसमें प्रत्यर्पण का आदेश नहीं दिया जा सकता.

यदि संबंधित कारक प्रत्यर्पण को नहीं रोकते तो मंत्री को जिला न्यायाधीश द्वारा विदेश मंत्री को भेजे गए फैसले के अनुरूप दो महीने के भीतर प्रत्यर्पण का आदेश देना होता है. नीरव के मामले में दो महीने की अवधि अप्रैल के अंत तक की है. गृह मंत्री का आदेश मुश्किल से ही अदालत के फैसले के विरुद्ध जाता है.

पढ़ें: नीरव मोदी के शीघ्र प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटिश प्राधिकारियों से संपर्क करेगी सरकार : विदेश मंत्रालय

न्यायाधीश ने नीरव को सूचित किया है कि गृह मंत्री के अपना आदेश सुनाने के बाद उसके पास हाईकोर्ट में अपील के लिए 14 दिन का समय होगा. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा सकता है. नीरव की टीम ने तत्काल इस बारे में पुष्टि नहीं की कि बृहस्पतिवार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में जाने का उनका इरादा है या नहीं.

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