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कोरोना को लेकर वृद्धों में चिंता कम, इसलिए रहता है अधिक खतरा : अध्ययन

जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता के अध्ययन के अनुसार, वृद्ध व्यक्ति कोविड-19 को लेकर दूसरों की तुलना में कम चिंता करते हैं, इसलिए उन्हें इस बीमारी का अधिक खतरा रहता है. पढे़ं विस्तार से...

old men are less worry over covid claims report
वृद्ध पुरुष
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Published : Jun 6, 2020, 2:21 PM IST

अटलांटा : जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता के अध्ययन में पता चला है कि वृद्ध व्यक्तियों को कोविड-19 का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक है क्योंकि उन्हें अन्य के मुकाबले कोरोना की कम चिंता रहती है.

सारा बार्बर (Sarah Barber) के एक अध्ययन में बताया गया है कि जेरोन्टोलॉजी और मनोविज्ञान कोविड-19 को लेकर लोगों की धारणाओं और व्यवहार परिवर्तनों का आकलन करने वाले एक ऑनलाइन प्रश्नावली में शामिल थे. अध्ययन के परिणाम द जर्नल्स ऑफ जेरोन्टोलॉजी द्वारा प्रकाशित किए गए थे.

आपको बता दें कि प्रतिभागियों में 146 युवा (18-35) और 156 बुजुर्ग शामिल (65-81) थे, जिन्होंने महामारी की कथित गंभीरता पर सवालों के जवाब दिए.

अध्ययन ने यह भी मूल्यांकन किया गया कि प्रतिभागी वायरस से खुद को संक्रमित होने पर या परिवार के किसी सदस्य के संक्रमित होने की संभावना के बारे में किस हद तक चिंतित थे. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतिभागियों ने जीवनशैली में आई गड़बड़ियों, अस्पतालों में व्याप्त आर्थिक मंदी के बारे में भी सवालों के जवाब दिए.

प्रश्नावली में उन व्यवहार परिवर्तनों का भी मूल्यांकन किया, जो संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं - हाथ धोना, मास्क पहनना, सामाजिक गड़बड़ी, आत्म-देखभाल, आदि.

शोधकर्ता के अनुसार, वृद्धों के मुकाबले कोरोना महामारी को लेकर कम चिंतित थे.

पढे़ं : दुनियाभर में 3.98 लाख से ज्यादा मौतें, जानें वैश्विक आंकड़े

कोविड ​​-19 का खतरा उम्र के साथ लगातार बढ़ता है और पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक जोखिम होता है. हालांकि, शोधकर्ता को उम्मीद है कि अगर बूढ़े लोगों को वायरस के बारे में बेहतर तरीके से शिक्षित किया जाए तो वह सुरक्षित रह सकते हैं, भले ही वह इस बीमारी को लेकर ज्यादा चिंतित न भी हों.

अटलांटा : जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता के अध्ययन में पता चला है कि वृद्ध व्यक्तियों को कोविड-19 का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक है क्योंकि उन्हें अन्य के मुकाबले कोरोना की कम चिंता रहती है.

सारा बार्बर (Sarah Barber) के एक अध्ययन में बताया गया है कि जेरोन्टोलॉजी और मनोविज्ञान कोविड-19 को लेकर लोगों की धारणाओं और व्यवहार परिवर्तनों का आकलन करने वाले एक ऑनलाइन प्रश्नावली में शामिल थे. अध्ययन के परिणाम द जर्नल्स ऑफ जेरोन्टोलॉजी द्वारा प्रकाशित किए गए थे.

आपको बता दें कि प्रतिभागियों में 146 युवा (18-35) और 156 बुजुर्ग शामिल (65-81) थे, जिन्होंने महामारी की कथित गंभीरता पर सवालों के जवाब दिए.

अध्ययन ने यह भी मूल्यांकन किया गया कि प्रतिभागी वायरस से खुद को संक्रमित होने पर या परिवार के किसी सदस्य के संक्रमित होने की संभावना के बारे में किस हद तक चिंतित थे. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रतिभागियों ने जीवनशैली में आई गड़बड़ियों, अस्पतालों में व्याप्त आर्थिक मंदी के बारे में भी सवालों के जवाब दिए.

प्रश्नावली में उन व्यवहार परिवर्तनों का भी मूल्यांकन किया, जो संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं - हाथ धोना, मास्क पहनना, सामाजिक गड़बड़ी, आत्म-देखभाल, आदि.

शोधकर्ता के अनुसार, वृद्धों के मुकाबले कोरोना महामारी को लेकर कम चिंतित थे.

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कोविड ​​-19 का खतरा उम्र के साथ लगातार बढ़ता है और पुरुषों को महिलाओं की तुलना में अधिक जोखिम होता है. हालांकि, शोधकर्ता को उम्मीद है कि अगर बूढ़े लोगों को वायरस के बारे में बेहतर तरीके से शिक्षित किया जाए तो वह सुरक्षित रह सकते हैं, भले ही वह इस बीमारी को लेकर ज्यादा चिंतित न भी हों.

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