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कोरोना आर्थिक पैकेज पर यूरोपीय संघ की वार्ता असफल, नीदरलैंड बना कारण

आर्थिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित देशों की मदद के लिये यूरोपीय संघ की बातचीत में सहमति नहीं बन पाई. जर्मनी और नीदरलैंड ने इसका विरोध किया. इनका कहना है कि पहले से मौजूद 410 अरब यूरो के राहत कोष से मदद दी जानी चाहिये

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Published : Apr 8, 2020, 11:06 PM IST

ब्रसेल्स : कोरोना वायरस के संक्रमण से आर्थिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित देशों की मदद के लिये यूरोपीय देशों के वित्त मंत्रियों की चल रही बातचीत बुधवार को पटरी से उतर गयी. इसका कारण मदद की शर्तों पर नीदरलैंड का सहमत नहीं हो पाना रहा.

यूरोग्रुप के प्रमुख मारियो सेंटेनो ने कहा, 'सोलह घंटे की बातचीत के बाद हम सहमति के पास पहुंचे, लेकिन अभी तक पूरी तरह से सहमत नहीं हो पाये हैं. मैंने यूरोग्रुप की बैठक टाल दी है और अब हम बृहस्पतिवार को बातचीत पुन: शुरू करेंगे.'

यूरोपीय देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सीमाएं बंद कर दी हैं. सामान्य जनजीवन बाधित है. इस कारण यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से जूझ रही हैं. इन देशों के वित्त मंत्री वीडियो कांफ्रेंस के चल रही बातचीत में इस बात पर असहमतियां दूर करने की कोशिशें कर रहे हैं कि महामारी के बाद वे अपनी अर्थव्यवस्थाएं कैसे पुन: खड़ा करें.

बातचीत में प्रस्ताव रखा गया कि वित्तीय बाजारों से साझा तौर पर कर्ज लेने वाले यूरोपीय भागीदार देशों के लिये एक 'एकजुटता कोष' स्थापित किया जाये. इसे 'कोरोना बांड' के नाम से भी जाना जा रहा है.

हालांकि जर्मनी और नीदरलैंड ने इसका विरोध किया. इनका कहना है कि पहले से मौजूद 410 अरब यूरो के राहत कोष से मदद दी जानी चाहिये तथा यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा पेश व्यापक पैकेज के प्रभाव की प्रतीक्षा की जानी चाहिये.

ब्रसेल्स : कोरोना वायरस के संक्रमण से आर्थिक तौर पर बुरी तरह प्रभावित देशों की मदद के लिये यूरोपीय देशों के वित्त मंत्रियों की चल रही बातचीत बुधवार को पटरी से उतर गयी. इसका कारण मदद की शर्तों पर नीदरलैंड का सहमत नहीं हो पाना रहा.

यूरोग्रुप के प्रमुख मारियो सेंटेनो ने कहा, 'सोलह घंटे की बातचीत के बाद हम सहमति के पास पहुंचे, लेकिन अभी तक पूरी तरह से सहमत नहीं हो पाये हैं. मैंने यूरोग्रुप की बैठक टाल दी है और अब हम बृहस्पतिवार को बातचीत पुन: शुरू करेंगे.'

यूरोपीय देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण सीमाएं बंद कर दी हैं. सामान्य जनजीवन बाधित है. इस कारण यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से जूझ रही हैं. इन देशों के वित्त मंत्री वीडियो कांफ्रेंस के चल रही बातचीत में इस बात पर असहमतियां दूर करने की कोशिशें कर रहे हैं कि महामारी के बाद वे अपनी अर्थव्यवस्थाएं कैसे पुन: खड़ा करें.

बातचीत में प्रस्ताव रखा गया कि वित्तीय बाजारों से साझा तौर पर कर्ज लेने वाले यूरोपीय भागीदार देशों के लिये एक 'एकजुटता कोष' स्थापित किया जाये. इसे 'कोरोना बांड' के नाम से भी जाना जा रहा है.

हालांकि जर्मनी और नीदरलैंड ने इसका विरोध किया. इनका कहना है कि पहले से मौजूद 410 अरब यूरो के राहत कोष से मदद दी जानी चाहिये तथा यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा पेश व्यापक पैकेज के प्रभाव की प्रतीक्षा की जानी चाहिये.

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