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भारत-चीन संबंध 'मुश्किल दौर' में, पर कोरोना से जंग में एक साथ : जयशंकर - eam s jaishankar

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जानकारी दी कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सामान की आवाजाही में ढील देने भारत चीन के बीच सकारात्मक चर्चा हुई है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 5, 2021, 8:17 PM IST

लंदन : भारत चीन के संबंध 'मुश्किल दौर' से गुजर रहे हैं. हालांकि, देश में कोविड-19 महामारी के दौरान रणनीतिक सामान की आवाजाही में ढील देने के संदर्भ में हाल में सकारात्मक चर्चा हुई है. यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कही.

यहां आयोजित ऑनलाइन सत्र में भारत-चीन संबंधों और हाल में चीनी विदेशमंत्री वांग यी के साथ हुई चर्चा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने यह बात कही.

उन्होंने कहा, पिछली वार्ता काफी हद तक कोविड-19 महामारी पर केंद्रित थी और मेरी चर्चा का विषय था कि कोविड-19 निश्चित रूप से कुछ बड़ा है और यह हमारे साझे हित में है कि इससे निपटने के लिए मिलकर काम करें और यही बात विदेश मंत्र वांग यी ने भी मुझसे कही.

मंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां चीन से ऑर्डर प्राप्त करने में मुश्किल का सामना कर रही हैं और उनका चीनी मंत्री को संदेश था कि वह सबसे बेहतर मदद इस प्रक्रिया में राहत देकर कर सकते हैं.

जयशंकर ने कहा, हमारी बातचीत के बाद चीजें आगे बढ़ी हैं. हमारी कुछ विमानन कंपनियों को तुरंत वहां जाने की अनुमति मिली. कड़ी बढ़ रही है जो बहुत प्रशंसनीय है.

वृहद स्तर पर भारत-चीन संबंधों के बारे में मंत्री ने कहा कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अब तक सीमा के इच्छित स्थान तक उनकी वापसी नहीं हुई है.

जयशंकर ने कहा, इस समय हमारे रिश्ते मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि समझौतों का उल्लंघन हुआ है और यह समझ है की चीन ने अपनी ओर से गत कई सालों में भारी सैन्य तैनाती बिना किसी कारण के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर की है.

उन्होंने कहा, वे एक साल से हैं और उनकी गतिविधि से सीमावर्ती इलाकों में शांति और संयम भंग होता है. हमने 45 साल के बाद जून में वहां खून खराबा देखा.

मंत्री ने कहा कि भारत का बहुत साफ रुख है कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और संयम बहुत जरूरी है.

पढ़ें :- भारत और ब्रिटेन के बीच वैश्विक नवाचार साझेदारी संबंधी एमओयू को मिली मंजूरी

जयशंकर ने कहा, संघर्ष, जबरदस्ती, धमकी और खूनखराबा सीमा पर हो और फिर आप कहे कि दूसरे क्षेत्रों में अच्छे संबंध बनाए हैं. यह वास्तविक नहीं है. वह ऐसा कुछ है जिसपर हम कायम है और चीनी पक्ष के साथ चर्चा कर रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में हमने प्रगति की है और कुछ क्षेत्रों में अब भी चर्चा चल रही है.

उन्होंने कहा, लेकिन हम तनाव कम करने के स्तर पर नहीं पहुंचे है जो सैनिकों की वापसी के बाद ही आ सकती है.

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेना के बीच गत साल मई से ही पूर्वी लद्दाख के कई स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है. कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता के बाद फरवरी में पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारे से चीनी सैनिक और उनके साजो सामान पीछे हटे. अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि जयशंकर इस समय जी-7 समूह के विदेश एवं विकास मंत्रियों की बैठक में बतौर मेहमान मंत्री शामिल होने के लिए ब्रिटेन में हैं.

लंदन : भारत चीन के संबंध 'मुश्किल दौर' से गुजर रहे हैं. हालांकि, देश में कोविड-19 महामारी के दौरान रणनीतिक सामान की आवाजाही में ढील देने के संदर्भ में हाल में सकारात्मक चर्चा हुई है. यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कही.

यहां आयोजित ऑनलाइन सत्र में भारत-चीन संबंधों और हाल में चीनी विदेशमंत्री वांग यी के साथ हुई चर्चा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने यह बात कही.

उन्होंने कहा, पिछली वार्ता काफी हद तक कोविड-19 महामारी पर केंद्रित थी और मेरी चर्चा का विषय था कि कोविड-19 निश्चित रूप से कुछ बड़ा है और यह हमारे साझे हित में है कि इससे निपटने के लिए मिलकर काम करें और यही बात विदेश मंत्र वांग यी ने भी मुझसे कही.

मंत्री ने कहा कि भारतीय कंपनियां चीन से ऑर्डर प्राप्त करने में मुश्किल का सामना कर रही हैं और उनका चीनी मंत्री को संदेश था कि वह सबसे बेहतर मदद इस प्रक्रिया में राहत देकर कर सकते हैं.

जयशंकर ने कहा, हमारी बातचीत के बाद चीजें आगे बढ़ी हैं. हमारी कुछ विमानन कंपनियों को तुरंत वहां जाने की अनुमति मिली. कड़ी बढ़ रही है जो बहुत प्रशंसनीय है.

वृहद स्तर पर भारत-चीन संबंधों के बारे में मंत्री ने कहा कि सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया चल रही है लेकिन अब तक सीमा के इच्छित स्थान तक उनकी वापसी नहीं हुई है.

जयशंकर ने कहा, इस समय हमारे रिश्ते मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि समझौतों का उल्लंघन हुआ है और यह समझ है की चीन ने अपनी ओर से गत कई सालों में भारी सैन्य तैनाती बिना किसी कारण के वास्तविक नियंत्रण रेखा पर की है.

उन्होंने कहा, वे एक साल से हैं और उनकी गतिविधि से सीमावर्ती इलाकों में शांति और संयम भंग होता है. हमने 45 साल के बाद जून में वहां खून खराबा देखा.

मंत्री ने कहा कि भारत का बहुत साफ रुख है कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे रिश्ते के लिए सीमावर्ती इलाकों में शांति और संयम बहुत जरूरी है.

पढ़ें :- भारत और ब्रिटेन के बीच वैश्विक नवाचार साझेदारी संबंधी एमओयू को मिली मंजूरी

जयशंकर ने कहा, संघर्ष, जबरदस्ती, धमकी और खूनखराबा सीमा पर हो और फिर आप कहे कि दूसरे क्षेत्रों में अच्छे संबंध बनाए हैं. यह वास्तविक नहीं है. वह ऐसा कुछ है जिसपर हम कायम है और चीनी पक्ष के साथ चर्चा कर रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में हमने प्रगति की है और कुछ क्षेत्रों में अब भी चर्चा चल रही है.

उन्होंने कहा, लेकिन हम तनाव कम करने के स्तर पर नहीं पहुंचे है जो सैनिकों की वापसी के बाद ही आ सकती है.

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेना के बीच गत साल मई से ही पूर्वी लद्दाख के कई स्थानों पर गतिरोध बना हुआ है. कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तर की वार्ता के बाद फरवरी में पैगोंग झील के उत्तरी और दक्षिण किनारे से चीनी सैनिक और उनके साजो सामान पीछे हटे. अब दोनों पक्ष गतिरोध के अन्य स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा कर रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि जयशंकर इस समय जी-7 समूह के विदेश एवं विकास मंत्रियों की बैठक में बतौर मेहमान मंत्री शामिल होने के लिए ब्रिटेन में हैं.

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