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महामारी के बीच दुनियाभर में पिछड़ रहा लोकतंत्र

दुनियाभर में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आ रही है और देश कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए अलोकतांत्रिक और अनावश्यक कार्रवाई कर रहे हैं. ऐसा कहा गया है लोकतांत्रिक मूल्यों (democratic values) पर काम करने वाली संस्था की एक रिपोर्ट में.

आईडीईए
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Published : Nov 22, 2021, 8:55 PM IST

कोपनहेगन : एक अंतर सरकारी निकाय ने सोमवार को अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आ रही है और देश कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए अलोकतांत्रिक और अनावश्यक कार्रवाई कर रहे हैं. लोकतांत्रिक मूल्यों पर काम करने वाली संस्था 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस' (आईडीईए) ने कहा, 'कई लोकतांत्रिक सरकारें गलत ढंग से कार्रवाई कर रही हैं.'

इस रिपोर्ट में भारत का भी जिक्र है. एशिया के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान, हांगकांग और म्यांमार को 'बढ़ती निरंकुशता की लहर' का सामना करना पड़ा है. लेकिन भारत, फिलीपीन और श्रीलंका में भी लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'चीन का प्रभाव, अपनी खुद की निरंकुशता के साथ, लोकतांत्रिक स्वरूप की वैधता को भी खतरे में डालता है.'

इस 34 देशों वाले संगठन ने कहा कि अगस्त 2021 तक, 64 प्रतिशत देशों ने महामारी पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की है, जिसे वह 'अनावश्यक या अवैध' मानता है.

संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन देशों में भी स्थिति खराब हो रही है जो लोकतांत्रिक नहीं हैं, निरंकुश शासन में अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित कर दिया गया है और कानून का शासन कमजोर हो गया है.

लोकतंत्र की स्थिति पर अपनी प्रमुख रिपोर्ट में आईडीईए ने कहा कि पिछले एक दशक में विशेष रूप से अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और स्लोवेनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है.

इंटरनेशनल आईडीईए के महासचिव केविन कैसास-जमोरा ने एक बयान में कहा, 'यह लोकतंत्र के लिए साहसी होने और खुद को पुनर्जीवित करने का समय है.'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'कुल मिलाकर, 2020 में सत्तावादी दिशा में आगे बढ़ने वाले देशों की संख्या लोकतांत्रिक दिशा में जाने वालों की संख्या से अधिक है.' इसमें कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में, दुनिया में कम से कम चार देशों में 'या तो त्रुटिपूर्ण चुनावों या सैन्य तख्तापलट के जरिये लोकतंत्र खो चुका है.'

अंतर सरकारी संगठन की 80-पृष्ठ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 से अधिक देशों में सख्त सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद महामारी के दौरान विरोध और नागरिक कार्रवाई देखी गई है. हालांकि, लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों को बेलारूस, क्यूबा, म्यांमार और सूडान में दमन का सामना करना पड़ा है. अफ्रीका में, लोकतंत्र की गिरावट ने 'पिछले तीन दशकों में पूरे महाद्वीप में उल्लेखनीय प्रगति को कम कर दिया है.'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'महामारी ने सरकारों पर शासन, अधिकारों और सामाजिक असमानता के बारे में चिंताओं का जवाब देने के लिए दबाव डाला है.' रिपोर्ट में चाड, गिनी, माली और सूडान में सैन्य तख्तापलट का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बोलीविया, ब्राजील, कोलंबिया, अल सल्वाडोर और अमेरिका में उल्लेखनीय गिरावट के साथ, अमेरिका में भी लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में वेनेजुएला में हुआ क्षेत्रीय चुनाव

इंटरनेशनल आईडीईए ने कहा कि यूरोप के देशों में महामारी ने 'लोकतंत्र पर दबाव डाला है' और कुछ देश जहां लोकतांत्रिक सिद्धांत पहले से ही खतरे में थे, उसने सरकारों को लोकतंत्र को और कमजोर करने का एक बहाना प्रदान किया. उसने कहा कि यूरोप की गैर-लोकतांत्रिक सरकारों, जिनकी पहचान आजरबैजान, बेलारूस, रूस और तुर्की के रूप में हुई है, ने अपनी पहले से ही जारी दमनकारी नीतियों को और तेज कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

कोपनहेगन : एक अंतर सरकारी निकाय ने सोमवार को अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट आ रही है और देश कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए अलोकतांत्रिक और अनावश्यक कार्रवाई कर रहे हैं. लोकतांत्रिक मूल्यों पर काम करने वाली संस्था 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस' (आईडीईए) ने कहा, 'कई लोकतांत्रिक सरकारें गलत ढंग से कार्रवाई कर रही हैं.'

इस रिपोर्ट में भारत का भी जिक्र है. एशिया के संबंध में रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान, हांगकांग और म्यांमार को 'बढ़ती निरंकुशता की लहर' का सामना करना पड़ा है. लेकिन भारत, फिलीपीन और श्रीलंका में भी लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'चीन का प्रभाव, अपनी खुद की निरंकुशता के साथ, लोकतांत्रिक स्वरूप की वैधता को भी खतरे में डालता है.'

इस 34 देशों वाले संगठन ने कहा कि अगस्त 2021 तक, 64 प्रतिशत देशों ने महामारी पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की है, जिसे वह 'अनावश्यक या अवैध' मानता है.

संगठन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उन देशों में भी स्थिति खराब हो रही है जो लोकतांत्रिक नहीं हैं, निरंकुश शासन में अभिव्यक्ति की आजादी को प्रतिबंधित कर दिया गया है और कानून का शासन कमजोर हो गया है.

लोकतंत्र की स्थिति पर अपनी प्रमुख रिपोर्ट में आईडीईए ने कहा कि पिछले एक दशक में विशेष रूप से अमेरिका, हंगरी, पोलैंड और स्लोवेनिया में लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है.

इंटरनेशनल आईडीईए के महासचिव केविन कैसास-जमोरा ने एक बयान में कहा, 'यह लोकतंत्र के लिए साहसी होने और खुद को पुनर्जीवित करने का समय है.'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'कुल मिलाकर, 2020 में सत्तावादी दिशा में आगे बढ़ने वाले देशों की संख्या लोकतांत्रिक दिशा में जाने वालों की संख्या से अधिक है.' इसमें कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में, दुनिया में कम से कम चार देशों में 'या तो त्रुटिपूर्ण चुनावों या सैन्य तख्तापलट के जरिये लोकतंत्र खो चुका है.'

अंतर सरकारी संगठन की 80-पृष्ठ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 80 से अधिक देशों में सख्त सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद महामारी के दौरान विरोध और नागरिक कार्रवाई देखी गई है. हालांकि, लोकतंत्र समर्थक आंदोलनों को बेलारूस, क्यूबा, म्यांमार और सूडान में दमन का सामना करना पड़ा है. अफ्रीका में, लोकतंत्र की गिरावट ने 'पिछले तीन दशकों में पूरे महाद्वीप में उल्लेखनीय प्रगति को कम कर दिया है.'

रिपोर्ट में कहा गया है, 'महामारी ने सरकारों पर शासन, अधिकारों और सामाजिक असमानता के बारे में चिंताओं का जवाब देने के लिए दबाव डाला है.' रिपोर्ट में चाड, गिनी, माली और सूडान में सैन्य तख्तापलट का भी उल्लेख किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बोलीविया, ब्राजील, कोलंबिया, अल सल्वाडोर और अमेरिका में उल्लेखनीय गिरावट के साथ, अमेरिका में भी लोकतांत्रिक मूल्यों में गिरावट देखी गई है.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की निगरानी में वेनेजुएला में हुआ क्षेत्रीय चुनाव

इंटरनेशनल आईडीईए ने कहा कि यूरोप के देशों में महामारी ने 'लोकतंत्र पर दबाव डाला है' और कुछ देश जहां लोकतांत्रिक सिद्धांत पहले से ही खतरे में थे, उसने सरकारों को लोकतंत्र को और कमजोर करने का एक बहाना प्रदान किया. उसने कहा कि यूरोप की गैर-लोकतांत्रिक सरकारों, जिनकी पहचान आजरबैजान, बेलारूस, रूस और तुर्की के रूप में हुई है, ने अपनी पहले से ही जारी दमनकारी नीतियों को और तेज कर दिया है.

(पीटीआई-भाषा)

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