रोम : अफगानिस्तान की प्रसिद्ध शरणीर्थी शरबत गुला इटली की राजधानी रोम पहुंच गई हैं. गुला वही युवती है जिसकी तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक के कवर पेज पर छपने के बाद सुर्खियां बटोरने लगी. बहरहाल, दशकों पहले सामने आई हरी आंखों वाली गुला आज भी 'अफगान गर्ल' के नाम से जानी जा रही हैं.
इटली की सरकार ने कहा कि अफगान महिला शरबत गुला (Sharbat Gula) को यहां लाया गया है. एक बयान में इटली ने कहा कि अफगान नागरिक शरबत गुला रोम पहुंच गई हैं. रोम प्रशासन ने कहा कि उसने तालिबान-नियंत्रित देश छोड़ने में मदद करने के लिए अफगानिस्तान (Afghanistan) में काम कर रहे गैर-लाभकारी संगठन को बताया था. उन्होंने कहा कि अफगान नागरिकों के लिए व्यापक निकासी कार्यक्रम और सरकार की योजना के एक हिस्से के रूप में इटली तक लाया गया.
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शरबत गुल्ला अब 49 साल की है और अब लोग उसे शरबत बीबी के नाम से जानते हैं. 1984 में जब फोटो जर्नलिस्ट स्टीव मैकरी (photojournalist Steve McCurry) ने पाकिस्तान के नसीरबाग शरणार्थी कैंप में पहली तस्वीर खींची थी, तब वह 12 साल की थी. 1985 में नेशनल ज्योग्राफिक के कवर पेज पर 'द अफगान गर्ल' हेडलाइन के साथ छपने के बाद वह दुनिया भर में मशहूर हो गई थी. लोग उसके नाम से वाकिफ नहीं थे और तस्वीरों के कारण 'अफगान वॉर की मोनालिसा' कहने लगे. यूरोप की मीडिया ने थर्ड वर्ल्ड मोनालिसा (Third World Mona Lisa) से मशहूर कर दिया. इसके बाद अफगान शरणार्थियों की समस्याओं ने दुनिया का ध्यान खींचा था. 2002 में उनकी पहचान शरबत गुल्ला के तौर पर हुई थी.
युद्ध संघर्षों, अलग-अलग देशों की संस्कृतियों की फोटोग्राफी के मशहूर फोटो जर्नलिस्ट स्टीव मैकरी ने 1992 में भी शरबत गुल्ला की तलाश शुरू की, मगर वह नसीरबाग शरणार्थी कैंप में नहीं मिली. वह पश्तूनी लड़की अपने वतन नानगरहार लौट चुकी थी. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, 13 से 16 साल की उम्र में हरी आंखों वाली लड़की की शादी रहमत गुल से हुई थी. 2012 में रहमत गुल की हेपेटाइसिस सी के कारण हो गई. इस बीच शरबत बीबी की तीन बेटियां हुईं. आलिया गुल, रोबिना गुल और जाहिदा गुल. उनकी एक और बेटी थी, जो कम उम्र में ही दुनिया छोड़कर चली गई.
पति की मौत के बाद शरबत गुल्ला और उनके परिवार की जिंदगी शरणार्थी कैंप में ही बीती. 2016 में उन्हें पाकिस्तान के शरणार्थी कैंप से धोखाधड़ी के आरोप में पकड़ा गया. अक्टूबर 2016 में उन पर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पाकिस्तान में घुसने का आरोप लगा. उन्हें 15 दिन के डिटेंशन कैंप में रखा गया. एमेनेस्टी इंटरनैशनल की आलोचना के बाद शरबत गुल्ला और उनके बच्चों को वापस अफगानिस्तान भेजा गया, जहां तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी ने उनकी मदद की.
उन्हें आर्थिक सहायता के तौर पर 3000 स्क्वॉयर फुट जमीन दी गई. नवंबर 2021 में तालिबान की सरकार ने उनके इटली जाने का दावा किया था. अब इटली की सरकार ने भी मान लिया है कि शरबत गुल्ला ने इटली सरकार से मदद मांगी थी, जिसके बाद उसे बाहर निकाल लिया गया है और उसे इटली में बसाने का प्रयास किया जा रहा है.अगस्त में तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अफगानिस्तान से करीब 5,000 अफगानों को इटली में शरण दी गई है.