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नेपाल पहुंचे जिनपिंग का भव्य स्वागत, प्रत्यर्पण संधि समेत विभिन्न मुद्दों पर होगी बातचीत

नेपाल की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नेपाल हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत हुआ. नेपाल की सेना ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया.

नेपाल में जिनपिंग का स्वागत (सौ, @kpsharmaoli)
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Published : Oct 13, 2019, 8:48 AM IST

Updated : Oct 13, 2019, 9:38 AM IST

काठमांडू: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के साथ बातचीत की. वह दो दिवसीय नेपाल यात्रा के लिये शनिवार को यहां पहुंचे. पिछले 23 साल में नेपाल का दौरा करने वाले चीन के पहले राष्ट्र प्रमुख हैं. माना जा रहा इस दौरा पर दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत विभिन्न समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे.

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शी की काठमांडू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अगवानी की और नेपाल की सेना ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद यहां पहुंचे.

नेपाल पहुंचे जिनपिंग

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी और प्रधानमंत्री ओली चीनी ने राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिये हवाई अड्डे पहुंचे. बाद में शी ने भंडारी से उनके आवास शीतल निवास पर मुलाकात की.

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक उन्होंने दोनों देशों के दोस्ताना रिश्तों, आपसी हितों और अन्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

चीन के राष्ट्रपति ने मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा से भी मुलाकात की और दोनों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई. इसके बाद वह नेपाल की राष्ट्रपति की ओर से आयोजित भोज में शामिल हुए.

अधिकारी ने बताया, 'राष्ट्रपति शी रविवार को प्रधानमंत्री के पी ओली और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष कमल दहल प्रचंड से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व में नेपाली प्रतिनिधिमंडल और शी के नेतृत्व में चीनी प्रतिनिधिमंडल के बीच सिंह बहादुर सचिवालय में औपचारिक वार्ता होगी.'

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत विभिन्न समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे.

'काठमांडू पोस्ट' की खबर के अनुसार हालांकि अधिकारियों ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि को लेकर कोई समझौता होने की संभावना नहीं है.

पढ़ें- नेपाल बस दुर्घटना : 11 लोगों की मौत, 100 से अधिक घायल

कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, यह संधि नेपाली और चीनी दोनों पक्षों की प्राथमिकता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक नेपाल में चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल तिब्बतियों को प्रत्यर्पित कराने के लिए चीन प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर करने को लेकर नेपाल पर दबाव बना रहा है.

काठमांडू: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के साथ बातचीत की. वह दो दिवसीय नेपाल यात्रा के लिये शनिवार को यहां पहुंचे. पिछले 23 साल में नेपाल का दौरा करने वाले चीन के पहले राष्ट्र प्रमुख हैं. माना जा रहा इस दौरा पर दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत विभिन्न समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे.

नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने शी की काठमांडू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अगवानी की और नेपाल की सेना ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. शी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दो दिवसीय अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद यहां पहुंचे.

नेपाल पहुंचे जिनपिंग

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति भंडारी और प्रधानमंत्री ओली चीनी ने राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिये हवाई अड्डे पहुंचे. बाद में शी ने भंडारी से उनके आवास शीतल निवास पर मुलाकात की.

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक उन्होंने दोनों देशों के दोस्ताना रिश्तों, आपसी हितों और अन्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की.

चीन के राष्ट्रपति ने मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा से भी मुलाकात की और दोनों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने पर चर्चा हुई. इसके बाद वह नेपाल की राष्ट्रपति की ओर से आयोजित भोज में शामिल हुए.

अधिकारी ने बताया, 'राष्ट्रपति शी रविवार को प्रधानमंत्री के पी ओली और सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के सह अध्यक्ष कमल दहल प्रचंड से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री ओली के नेतृत्व में नेपाली प्रतिनिधिमंडल और शी के नेतृत्व में चीनी प्रतिनिधिमंडल के बीच सिंह बहादुर सचिवालय में औपचारिक वार्ता होगी.'

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि समेत विभिन्न समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किये जाएंगे.

'काठमांडू पोस्ट' की खबर के अनुसार हालांकि अधिकारियों ने कहा कि प्रत्यर्पण संधि को लेकर कोई समझौता होने की संभावना नहीं है.

पढ़ें- नेपाल बस दुर्घटना : 11 लोगों की मौत, 100 से अधिक घायल

कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, यह संधि नेपाली और चीनी दोनों पक्षों की प्राथमिकता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक नेपाल में चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल तिब्बतियों को प्रत्यर्पित कराने के लिए चीन प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर करने को लेकर नेपाल पर दबाव बना रहा है.

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Chinese president Xi holds talks with Nepalese counterpart
By Shirish B Pradhan
         Kathmandu, Oct 12 (PTI) Chinese President Xi Jinping held talks with his Nepalese counterpart Bidya Devi Bhandari on Saturday as he began his two-day state visit, becoming the first head of the Communist nation to visit Nepal in 23 years during which the two countries are expected to sign a number of agreements, including an extradition treaty.
          Xi, who arrived here after a two-day informal summit with Prime Minister Narendra Modi, was received by President Bhandari and Prime Minister K P Sharma Oli at the Kathmandu International Airport and was offered a ceremonial guard of honour by the Nepal Army.
          Xi held talks with Bhandari at the Nepalese president's official residence Shital Niwas. They discussed matters relating to the friendly relations between the two countries, mutual interests and various other issues of concern, according a statement issued by the president's office.
          The Chinese president also met with the president of the main Opposition party Nepali Congress Sher Bahadur Deuba and they discussed ways to strengthen bilateral ties.
          President Bhandari hosted a state banquet in honour of her Chinese counterpart and visiting dignitaries.
          President Xi will meet Prime Minister Oli and co-chairman of ruling Nepal Communist Party Pushpa Kamal Dahal "Prachanda" on Sunday. There will be formal dialogue between the Nepalese delegation led by Prime Minister Oli and Chinese delegation led by president Xi at Singhdurbar secretariat, the official said.
          During the meeting the two sides are expected to ink a number of agreements and MoUs, including an extradition treaty, official sources said, amid concerns that Beijing can use it against Tibetan supporters of the Dalai Lama living in the country.
          The draft of the treaty, finalised by officials from Nepal and China, will be discussed as per the spirit of the statement issued jointly by the two countries during Prime Minister Oli's China visit in June last year, officials said on Friday.
          Officials familiar with the matter said that the Nepali side had held several rounds of negotiations with a Chinese team that had come to Nepal for the purpose, the paper reported.
          "The treaty is a priority for both the Nepali and Chinese sides, said an official at the Law Ministry on condition of anonymity as he was not allowed to speak on the matter.
          Expert worry that Beijing is pressing to sign the treaty mainly to extradite Tibetans involved in "anti-China" activities in Nepal.
          China accuses the Dalai Lama as a "splittist" working for Tibetan independence.
          Beijing sent troops into remote, mountainous Tibet in 1950 in what it officially terms a peaceful liberation and has ruled there with an iron fist ever since. The Dalai Lama fled to India in early 1959 after a failed uprising against the Chinese rule.
          Nepal shares a long border with Tibet and is home to around 20,000 Tibetan exiles. Every year some 2,500 Tibetans illegally enter Nepal crossing Tibetan border on their way to Dharamshala to meet the 84-year-old Dalai Lama.
          A leader from the ruling Nepal Communist Party (NCP) confirmed that discussions on the treaty are on Xi's visit agenda.
          "There will indeed be a discussion on the matter, but the rumours about an agreement are baseless. Nepal is discussing a similar treaty with India, so discussions will be held with China as well," Narayan Kaji Shrestha, the ruling party spokesperson, told the Kathmandu Post on Friday.
          However, during an all-party meeting called by the government on Thursday to discuss Xi's visit, Minister for Foreign Affairs Pradeep Gyawali said there were no preparations to sign an extradition treaty with China.
          Former prime minister Baburam Bhattarai had urged the government not to sign the treaty for now as discussions for a similar agreement with India were ongoing.
          Nepal signed an extradition treaty with India on October 2, 1953, when Matrika Prasad Koirala was the prime minister. The Indian side, however, has been demanding a revision to the treaty.
          In 2006, Nepal and India were close to signing an Extradition Treaty and the Treaty on Mutual Legal Assistance. Negotiations however failed due to disagreements among the parties in Nepal. Similar attempts collapsed in 2008 and 2010.
          The treaty would allow the two countries to hand over criminals from third countries to each other.
          Even in the lack of an agreement, police forces from both Nepal and India have been handing over criminals on an informal basis to each other. PTI SBP
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Last Updated : Oct 13, 2019, 9:38 AM IST
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