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अमेरिका-तालिबान समझौता : दोहा पहुंचे माइक पोम्पियो, नए युग की होगी शुरुआत

अफगानिस्तान में सबसे लंबे वक्त तक चले युद्ध से अमेरिका अपने सैनिकों को धीरे-धीरे वापस बुलाने के लिए शनिवार को तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला है. इस समझौते को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो कतर पहुंच गए हैं.

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(फाइल फोेटो)
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Published : Feb 29, 2020, 8:31 AM IST

Updated : Mar 2, 2020, 10:34 PM IST

दोहा : अमेरिका और तालिबान आज कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं. इस दस्तखत से अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई के खात्मे की उम्मीद जताई जा रही है. इस समझौते को लेकर माइक पोम्पियो कतर पहुंच चुके हैं. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) के प्रमुख भी अफगानिस्तान पहुंच चुके हैं.

इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण व स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का निर्बाध समर्थन व्यक्त किया.

अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने से जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा.

कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन आज भारत की ओर से दोहा में अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस समझौते में 30 देशों के राजदूत उपस्थित होने की उम्मीद जताई जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले दशक में 100,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं.

समझौता के बाद अफगानिस्तान में नए युग की होगी शुरुआत

इस समझौते से अफगानिस्तान में नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है. इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को यहां कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से मुलाकात की.

अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया.

उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा.

दोहा में जिस समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद है वह तालिबान और अमेरिका के बीच एक साल से अधिक की वार्ता के बाद होने वाला है. तालिबान ने भी शनिवार को शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने की योजना की पुष्टि की है.

समझौते के तथ्यों के बारे में सार्वजनिक खुलासा नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद है कि पेंटागन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू करेगा. अफ्रगानिस्तान में अमेरिका के 12 से 13 हजार सैनिक हैं.

इसे भी पढ़ें- अमेरिका-तालिबान शांति समझौता : पाक का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं विदेश मंत्री कुरैशी

शनिवार को समझौते पर होने वाले हस्ताक्षर से एक हफ्ते पहले आंशिक युद्ध विराम हुआ जिसका मकसद युद्धरत पक्षों के बीच विश्वास कायम करना और यह दिखाना है कि तालिबान अपने आतंकवादियों को नियंत्रित कर सकता है.

बहरहाल, ग्रामीण इलाकों में छिटपुट हमले होते रहे.

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि युद्धविराम की अवधि का असर हो रहा है.

उन्होंने कहा, 'हम बहुत बड़े राजनीतिक अवसर के मुहाने पर हैं.'

बता दें किकतर की राजधानी में शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान 30 देशों का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद है. हालांकि, अफगानिस्तान सरकार अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगी.

अधिकारी ने कहा, 'हम इन वार्ताओं का हिस्सा नहीं हैं. हम तालिबान पर भरोसा नहीं करते हैं.'

ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले इमरान गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा पहुंचे. कतर के ऊर्जा मंत्री शाद शीरदा अल-काबी ने हवाई अड्डे पर खान की अगवानी की.

खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने बैठक के संक्षिप्त वीडियो के साथ किये गए ट्वीट में कहा, 'दीवान-ए-अमीरी में पहुंचकर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के साथ बैठक की.'

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि खान की यात्रा का ध्यान द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने और क्षेत्रीय विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने पर केंद्रित होगा. यह 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान की कतर की दूसरी यात्रा है.

कतर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिये आयोजित होने वाले समारोह में शिरकत के लिये आमंत्रित किया है.

दोहा : अमेरिका और तालिबान आज कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं. इस दस्तखत से अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई के खात्मे की उम्मीद जताई जा रही है. इस समझौते को लेकर माइक पोम्पियो कतर पहुंच चुके हैं. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) के प्रमुख भी अफगानिस्तान पहुंच चुके हैं.

इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण व स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का निर्बाध समर्थन व्यक्त किया.

अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने से जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा.

कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन आज भारत की ओर से दोहा में अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस समझौते में 30 देशों के राजदूत उपस्थित होने की उम्मीद जताई जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले दशक में 100,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं.

समझौता के बाद अफगानिस्तान में नए युग की होगी शुरुआत

इस समझौते से अफगानिस्तान में नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है. इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को यहां कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से मुलाकात की.

अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया.

उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा.

दोहा में जिस समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद है वह तालिबान और अमेरिका के बीच एक साल से अधिक की वार्ता के बाद होने वाला है. तालिबान ने भी शनिवार को शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने की योजना की पुष्टि की है.

समझौते के तथ्यों के बारे में सार्वजनिक खुलासा नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद है कि पेंटागन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू करेगा. अफ्रगानिस्तान में अमेरिका के 12 से 13 हजार सैनिक हैं.

इसे भी पढ़ें- अमेरिका-तालिबान शांति समझौता : पाक का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं विदेश मंत्री कुरैशी

शनिवार को समझौते पर होने वाले हस्ताक्षर से एक हफ्ते पहले आंशिक युद्ध विराम हुआ जिसका मकसद युद्धरत पक्षों के बीच विश्वास कायम करना और यह दिखाना है कि तालिबान अपने आतंकवादियों को नियंत्रित कर सकता है.

बहरहाल, ग्रामीण इलाकों में छिटपुट हमले होते रहे.

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि युद्धविराम की अवधि का असर हो रहा है.

उन्होंने कहा, 'हम बहुत बड़े राजनीतिक अवसर के मुहाने पर हैं.'

बता दें किकतर की राजधानी में शनिवार को समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान 30 देशों का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद है. हालांकि, अफगानिस्तान सरकार अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगी.

अधिकारी ने कहा, 'हम इन वार्ताओं का हिस्सा नहीं हैं. हम तालिबान पर भरोसा नहीं करते हैं.'

ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले इमरान गुरुवार को कतर की राजधानी दोहा पहुंचे. कतर के ऊर्जा मंत्री शाद शीरदा अल-काबी ने हवाई अड्डे पर खान की अगवानी की.

खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने बैठक के संक्षिप्त वीडियो के साथ किये गए ट्वीट में कहा, 'दीवान-ए-अमीरी में पहुंचकर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी के साथ बैठक की.'

इससे पहले पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि खान की यात्रा का ध्यान द्विपक्षीय सहयोग को प्रगाढ़ करने और क्षेत्रीय विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने पर केंद्रित होगा. यह 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से इमरान की कतर की दूसरी यात्रा है.

कतर ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिये आयोजित होने वाले समारोह में शिरकत के लिये आमंत्रित किया है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 10:34 PM IST
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