इस्लामाबाद: तालिबान का प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत करने के लिए इस्लामाबाद में मौजूद है. तालिबानियों के साथ बातचीत में शामिल होने पहुंचे अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत जलमी खलीलजाद ने पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ मुलाकात की. हालांकि तालिबान और अमेरिकी अधिकारी के बीच मुलाकात नहीं हुई है.
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी कि तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व में तालिबान प्रतिनिधिमंडल ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की.
अफगानिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष दूत जलमी खलीलजाद ने इस्लामाबाद में पाकिस्तानी समकक्ष के साथ मुलाकात की. दोनों ने पिछले हफ्ते अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप और इमरान खान के बीच हुई चर्चा को आगे बढ़ाया. इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने जानकारी दी.
अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका पाकिस्तानी से सहयोग चाहता है.
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अमेरिका और तालिबान मसौदा शांति योजना पर सहमत थे लेकिन पिछले महीने काबुल में एक आत्मघाती हमले में एक अमेरिकी सैनिक और 11 अन्य लोगों की मौत के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बातचीत की प्रक्रिया रद्द कर दी थी.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिन पहले अमेरिका की यात्रा की थी और इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात कर अफगानिस्तान में शांति लाने की दिशा में बातचीत बहाल करने समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की थी.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इमरान खान के ट्रंप को बातचीत बहाल करने के मुद्दे पर चर्चा के बाद तालिबानी प्रतिनिधिमंडल इमरान से मुलाकात कर सकता है.
हालांकि प्रवक्ता ने खलीलजाद के आगे भी पाकिस्तान में रुकने और तालिबान अधिकारियों से मिलने की योजना पर कोई जानकारी नहीं दी.
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अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता सदीक सिद्दकी ने ट्विटर पर कहा कि अफगान सरकार को भी शांति प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर अफगान सरकार के नेतृत्व में कोई शांति प्रक्रिया नहीं होती है तो विकास होना संभव नहीं है.
बता दें, तालिबान, अफगान सरकार के साथ बातचीत करने से इनकार कर चुका है. तालिबान ने इसे अमेरिकी कठपुतली करार दिया था.
इससे पहले तालिबान के अधिकारियों ने हाल के दिनों में रूस, चीन और ईरान का दौरा किया था.
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बता दें, अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के बीच 1990 में तालिबान की स्थापना के साथ ही पाकिस्तान उसे समर्थन देता आया है.
अमेरिका और अमेरिकी समर्थित अफगान सरकार का मानना है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में भारतीय प्रभाव के प्रसार को रोकने के लिए आतंकियों को समर्थन देती है. हालांकि, पाकिस्तानी इससे इनकार करता रहा है.
(एजेंसी इनपुट)