बीजिंग : चीन में पाकिस्तानी राजदूत मोइन उल हक ने सरकारी ग्लोबल टाइम्स से कहा कि पाकिस्तान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), दाएश (आईएसआईएस), पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट (ईटीआईएम) सहित अफगानिस्तान से संचालित अन्य आतंकवादी संगठनों द्वारा उत्पन्न खतरों से अवगत है.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन के साथ खुफिया जानकारी साझा करने के साथ ही आतंकवाद विरोधी सहयोग को प्रगाढ़ बनाएगा. उन्होंने कहा कि हमने मौजूदा तंत्र के जरिए क्षमता निर्माण, खुफिया जानकारी साझा करने और अपने प्रयासों में समन्वय के लिए कार्य करना जारी रखा है. उभरती चुनौतियों और खतरों के मद्देनजर, दोनों देश मौजूदा सहयोग और समन्वय को बढ़ाएंगे और मजबूत बनाएंगे.
पिछले महीने तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिए जाने के बाद चीन अपनी अफगानिस्तान नीति तैयार करने के लिए पाकिस्तान के साथ करीबी समन्वय कर रहा है. इसके साथ ही चीन ने समूह से कहा है कि वह दो दशक पहले अपने पिछले कार्यकाल की तरह युद्ध से त्रस्त देश को आतंकवादी समूहों के लिए पनाहगाह नहीं बनने दे.
चीन इस बात पर जोर देता रहा है कि तालिबान को शिनजियांग प्रांत के उइगुर मुस्लिम आतंकवादी संगठन को अफगानिस्तान से कार्य करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए. हक ने कहा कि अफगानिस्तान के लोगों, खासकर महिलाओं और लड़कियों, अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है. पाकिस्तान और चीन, तालिबान से सभी अफगान लोगों के अधिकारों का सम्मान करने का आह्वान करते रहे हैं.
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हम उम्मीद करते हैं कि अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों और समूहों से किसी देश को नुकसान नहीं हो. यह पूछे जाने पर कि तालिबान के साथ भारत के संबंधों के महत्व को वह किस प्रकार देखते हैं, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत से अफगानिस्तान में सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाने की उम्मीद करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि विगत में, भारत ने स्थिति बिगाड़ने और अफगानिस्तान में शांति के खिलाफ काम किया है.
(पीटीआई-भाषा)