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पाकिस्तानी संसद की संयुक्त सत्र में FATF संबंधी विधेयक पारित

विपक्ष के विरोध के बीच सदन सीनेट ने परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक मामले) संशोधन विधेयक पारित कर दिया. जून, 2018 में पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में रखा गया था और उसे अक्टूबर 2019 तक कदम उठाने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी गयी थी.

पाकिस्तानी संसद
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Published : Jul 17, 2021, 3:00 PM IST

Updated : Jul 17, 2021, 3:14 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसद (parliament of pakistan) ने वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था एफएटीएफ (FATF) द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा करने के प्रयास के तहत अंतरराष्ट्रीय अपराध (international crime) के मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध (legal aid available) कराने के संबंध में एक विधेयक पारित किया है.

विपक्ष के विरोध के बीच शुक्रवार को ऊपरी सदन सीनेट ने परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक मामले) संशोधन विधेयक पारित कर दिया. जून, 2018 में पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में रखा गया था और उसे अक्टूबर 2019 तक कदम उठाने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी गयी थी. एफएटीएफ द्वारा बताए गए उपायों को लागू नहीं करने के कारण पाकिस्तान तबसे उसी सूची में बना हुआ है.

पढ़ें - बांग्लादेश में आतंकवादी संगठन का शीर्ष नेता गिरफ्तार

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बयान के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध में वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पाकिस्तान के लिए कानूनी साधनों की प्रभावशीलता में सुधार करना आवश्यक बना दिया है. कानून में एकरूपता की कमी और देशों के बीच कमजोर समन्वय तंत्र के कारण सीमा पार अपराध के मामलों से मुकाबला करना प्रभावित होता है.

बयान में कहा गया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए कानूनी कदम जरूरी थे. हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे यह कहते हुए रोकने का प्रयास किया कि इससे सरकार को आरोपों के आधार पर पाकिस्तान के नागरिकों को अन्य देशों को सौंपने की अबाध शक्ति मिल जाएगी.

पढ़ें - हैती के पूर्व अधिकारी ने दिया था राष्ट्रपति की हत्या का आदेश : कोलंबिया

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी के मुश्ताक अहमद ने विधेयक को मौलिक अधिकारों, संविधान, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और राष्ट्रीय हित के खिलाफ बताया. विपक्ष की आपत्ति के बावजूद विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया गया. सीनेटर अहमद ने इसे देश के संसदीय इतिहास में काला दिन बताते हुए कहा कि सरकार किसी व्यक्ति को बिना नोटिस जारी किए कानून के तहत धन शोधन आदि के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करके उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.

'ग्रे' सूची में बने रहने से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद लेना मुश्किल होता जा रहा है और इससे आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की माली हालत और खराब होगी.

(भाषा)

इस्लामाबाद : पाकिस्तान की संसद (parliament of pakistan) ने वैश्विक वित्तीय निगरानी संस्था एफएटीएफ (FATF) द्वारा रखी गई शर्तों को पूरा करने के प्रयास के तहत अंतरराष्ट्रीय अपराध (international crime) के मामलों में कानूनी सहायता उपलब्ध (legal aid available) कराने के संबंध में एक विधेयक पारित किया है.

विपक्ष के विरोध के बीच शुक्रवार को ऊपरी सदन सीनेट ने परस्पर कानूनी सहायता (आपराधिक मामले) संशोधन विधेयक पारित कर दिया. जून, 2018 में पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) द्वारा पाकिस्तान को 'ग्रे' सूची में रखा गया था और उसे अक्टूबर 2019 तक कदम उठाने के लिए एक कार्ययोजना सौंपी गयी थी. एफएटीएफ द्वारा बताए गए उपायों को लागू नहीं करने के कारण पाकिस्तान तबसे उसी सूची में बना हुआ है.

पढ़ें - बांग्लादेश में आतंकवादी संगठन का शीर्ष नेता गिरफ्तार

विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के बयान के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध में वृद्धि ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और पाकिस्तान के लिए कानूनी साधनों की प्रभावशीलता में सुधार करना आवश्यक बना दिया है. कानून में एकरूपता की कमी और देशों के बीच कमजोर समन्वय तंत्र के कारण सीमा पार अपराध के मामलों से मुकाबला करना प्रभावित होता है.

बयान में कहा गया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए कानूनी कदम जरूरी थे. हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे यह कहते हुए रोकने का प्रयास किया कि इससे सरकार को आरोपों के आधार पर पाकिस्तान के नागरिकों को अन्य देशों को सौंपने की अबाध शक्ति मिल जाएगी.

पढ़ें - हैती के पूर्व अधिकारी ने दिया था राष्ट्रपति की हत्या का आदेश : कोलंबिया

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी के मुश्ताक अहमद ने विधेयक को मौलिक अधिकारों, संविधान, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और राष्ट्रीय हित के खिलाफ बताया. विपक्ष की आपत्ति के बावजूद विधेयक को बहुमत से पारित कर दिया गया. सीनेटर अहमद ने इसे देश के संसदीय इतिहास में काला दिन बताते हुए कहा कि सरकार किसी व्यक्ति को बिना नोटिस जारी किए कानून के तहत धन शोधन आदि के माध्यम से अर्जित की गई संपत्ति को जब्त करके उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है और यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है.

'ग्रे' सूची में बने रहने से पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB) और यूरोपीय संघ से वित्तीय मदद लेना मुश्किल होता जा रहा है और इससे आर्थिक संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान की माली हालत और खराब होगी.

(भाषा)

Last Updated : Jul 17, 2021, 3:14 PM IST
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