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किसी तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय की टीटीपी की मांग को पाकिस्तान सरकार ने किया अस्वीकार - Pakistan Information Minister Fawad Chaudhry

प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तान सरकार से मांग की है कि उसे किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति (Permission to open political office) दी जाए. लेकिन इस मांग को सरकार ने अस्वीकार्य बताकर खारिज (Rejected as unacceptable) कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

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Published : Nov 21, 2021, 4:31 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) ने किसी तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय (Permission to open political office) की टीटीपी की मांग को अस्वीकार कर दिया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून समाचार पत्र (The Express Tribune Newspaper) ने शनिवार को बताया कि शांति समझौते को लेकर पाकिस्तानी प्राधिकारियों के साथ बैठकों के दौरान टीटीपी ने तीन मांग रखी (TTP made three demands) थी.

इन मांगों में किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति देना, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों के विलय को पलटना और पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था (Islamic system in Pakistan) लागू करना शामिल है. समाचार पत्र ने कहा कि लेकिन पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने टीटीपी को प्रत्यक्ष रूप से और तालिबान मध्यस्थों के जरिए बताया कि ये मांग स्वीकार्य नहीं हैं.

उसने कहा कि टीटीपी को स्पष्ट शब्दों में विशेष रूप से बताया गया कि उनकी व्याख्या के आधार पर इस्लामी प्रणाली लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है. साथ ही आतंकवादी समूह को बताया गया कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है और देश का संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि पाकिस्तान में सभी कानूनों को इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए.

समाचार पत्र ने बताया कि पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने भी टीटीपी के समक्ष तीन मांग रखीं, जिनसें सरकार के आदेश को स्वीकार करना, हथियार डालना और उनके द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगना शामिल है. अधिकारियों ने कहा कि अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो उन्हें माफी देने पर विचार किया जाएगा.

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी (Pakistan's Information Minister Fawad Chaudhry) ने घोषणा की थी कि सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम समझौता हो गया है. टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है.

यह एक दशक से अधिक समय में पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है. यह कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है.

पाकिस्तान सरकार अब अफगानिस्तान के तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि उनकी सरकार, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से सुलह के लिए टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है. इस बात को लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने कई लोगों ने उनकी काफी आलोचना की थी.

(पीटीआई-भाषा)

इस्लामाबाद : पाकिस्तान सरकार (Government of Pakistan) ने किसी तीसरे देश में राजनीतिक कार्यालय (Permission to open political office) की टीटीपी की मांग को अस्वीकार कर दिया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून समाचार पत्र (The Express Tribune Newspaper) ने शनिवार को बताया कि शांति समझौते को लेकर पाकिस्तानी प्राधिकारियों के साथ बैठकों के दौरान टीटीपी ने तीन मांग रखी (TTP made three demands) थी.

इन मांगों में किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने की अनुमति देना, खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के साथ संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों के विलय को पलटना और पाकिस्तान में इस्लामी व्यवस्था (Islamic system in Pakistan) लागू करना शामिल है. समाचार पत्र ने कहा कि लेकिन पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने टीटीपी को प्रत्यक्ष रूप से और तालिबान मध्यस्थों के जरिए बताया कि ये मांग स्वीकार्य नहीं हैं.

उसने कहा कि टीटीपी को स्पष्ट शब्दों में विशेष रूप से बताया गया कि उनकी व्याख्या के आधार पर इस्लामी प्रणाली लागू करने का कोई सवाल ही नहीं है. साथ ही आतंकवादी समूह को बताया गया कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है और देश का संविधान स्पष्ट रूप से कहता है कि पाकिस्तान में सभी कानूनों को इस्लाम की शिक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए.

समाचार पत्र ने बताया कि पाकिस्तानी प्राधिकारियों ने भी टीटीपी के समक्ष तीन मांग रखीं, जिनसें सरकार के आदेश को स्वीकार करना, हथियार डालना और उनके द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगना शामिल है. अधिकारियों ने कहा कि अगर इन मांगों को पूरा किया जाता है, तो उन्हें माफी देने पर विचार किया जाएगा.

इससे पहले इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी (Pakistan's Information Minister Fawad Chaudhry) ने घोषणा की थी कि सरकार और टीटीपी के बीच संघर्षविराम समझौता हो गया है. टीटीपी को पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, जो अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सक्रिय एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है.

यह एक दशक से अधिक समय में पाकिस्तान में कई हमलों को अंजाम दे चुका है, जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई है. यह कथित तौर पर अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवादी हमलों की साजिश रचने के लिए करता है.

पाकिस्तान सरकार अब अफगानिस्तान के तालिबान के प्रभाव का इस्तेमाल टीटीपी के साथ शांति समझौता करने और हिंसा को रोकने की कोशिश करने के लिए कर रही है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Pakistan Prime Minister Imran Khan) ने पिछले महीने एक साक्षात्कार में खुलासा किया था कि उनकी सरकार, अफगानिस्तान में तालिबान की मदद से सुलह के लिए टीटीपी के साथ बातचीत कर रही है. इस बात को लेकर कई नेताओं और आतंकवाद का शिकार बने कई लोगों ने उनकी काफी आलोचना की थी.

(पीटीआई-भाषा)

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