काठमांडू: नेपाल सरकार ने देश में हिंसक हमलों, जबरन वसूली और बमबारी की घटनाओं को अंजाम देने के लिए जाने जाने वाले एक साम्यवादी विद्रोही समूह के साथ बृहस्पतिवार को एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए.
सरकार ने शांति वार्ता के बाद कहा कि उसने समूह से प्रतिबंध हटाने, जेल में बंद उसकी पार्टी के सभी सदस्यों एवं समर्थकों को रिहा करने और उनके खिलाफ सभी कानूनी मामले वापस लेने पर सहमति जताई है, जबकि समूह ने हिंसा का त्याग करने और सभी मसलों को शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए सुलझाने पर सहमति व्यक्त की है.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और विद्रोही समूह के नेता नेत्र विक्रम चंद शुक्रवार को एक संयुक्त समारोह में समझौते की विस्तार से जानकारी देंगे. नेत्र विक्रम चंद को विप्लव नाम से जाना जाता है. ये विद्रोही समूह स्वयं को 'नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी' कहता है.
हिंसा करने, धमकियां देने और हड़ताल करने के लिए जाने वाला यह समूह 1996 और 2006 में सरकारी बलों के खिलाफ लड़ने वाली 'माओइस्ट कम्युनिस्ट पार्टी' से उस समय अलग हो गया था, जब उसने अपना सशस्त्र विद्रोह त्याग दिया था. 'माओइस्ट कम्युनिस्ट पार्टी' ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में शांति वार्ता पर सहमति जताई थी और वह मुख्यधारा में शामिल हो गई थी.
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माओवादियों के संघर्ष में देश में 17,000 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग लापता है.