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ओली ने दिया इस्तीफा, नेपाल में टला संसदीय चुनाव - Parliamentary elections in Nepal

नेपाल के निर्वाचन आयोग ने उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिनिध सभा को बहाल किए जाने के बाद देश में 12 और 19 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनाव मंगलवार को टाल दिए.

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Published : Jul 13, 2021, 3:45 PM IST

काठमांडू : शीर्ष अदालत ने सोमवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के 21 मई के प्रतिनिध सभा को भंग करने के फैसले को पलट दिया था और विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया था. बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है.

निर्वाचन आयोग (Election Commissio) के प्रवक्ता राज कुमार श्रेष्ठ (Raj Kumar Shrestha) ने कहा कि प्रतिनिधि सभा के भंग होने के बाद नवंबर में होने वाले चुनाव फिलहाल नहीं होंगे क्योंकि संसद को बहाल कर दिया गया है.

ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (President Bidya Bhandari ) ने 22 मई को पांच महीनों में दूसरी बार निचले सदन को भंग कर दिया था और 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी. इस कदम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई थीं.

'माई रिपब्लिका' समाचार वेबसाइट ने श्रेष्ठ को उद्धृत करते हुए कहा, 'उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद, चुनाव की तैयारियों की दिशा में आगे बढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. आयोग एक बैठक आयोजित करेगा और तैयारियों को स्थगित कर देगा.'

इसे भी पढ़ें : नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया

खबर में कहा गया कि, निर्वाचन आयोग के मुताबिक यद्यपि उसे उच्चतम न्यायालय के फैसले की लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है लेकिन उसने सोमवार की सूचना के आधार पर प्रक्रिया टाल दी है. श्रेष्ठ ने कहा कि आयोग ने चुनाव के लिये कुछ तैयारियां की थीं लेकिन इस पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

काठमांडू : शीर्ष अदालत ने सोमवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के 21 मई के प्रतिनिध सभा को भंग करने के फैसले को पलट दिया था और विपक्षी नेता शेर बहादुर देउबा (Sher Bahadur Deuba) को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का आदेश दिया था. बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है.

निर्वाचन आयोग (Election Commissio) के प्रवक्ता राज कुमार श्रेष्ठ (Raj Kumar Shrestha) ने कहा कि प्रतिनिधि सभा के भंग होने के बाद नवंबर में होने वाले चुनाव फिलहाल नहीं होंगे क्योंकि संसद को बहाल कर दिया गया है.

ओली की अनुशंसा पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (President Bidya Bhandari ) ने 22 मई को पांच महीनों में दूसरी बार निचले सदन को भंग कर दिया था और 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की थी. इस कदम के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में 30 याचिकाएं दायर की गई थीं.

'माई रिपब्लिका' समाचार वेबसाइट ने श्रेष्ठ को उद्धृत करते हुए कहा, 'उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद, चुनाव की तैयारियों की दिशा में आगे बढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है. आयोग एक बैठक आयोजित करेगा और तैयारियों को स्थगित कर देगा.'

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खबर में कहा गया कि, निर्वाचन आयोग के मुताबिक यद्यपि उसे उच्चतम न्यायालय के फैसले की लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है लेकिन उसने सोमवार की सूचना के आधार पर प्रक्रिया टाल दी है. श्रेष्ठ ने कहा कि आयोग ने चुनाव के लिये कुछ तैयारियां की थीं लेकिन इस पर ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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