टोक्यो: जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे देश के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले नेता बन गए हैं. अपने स्वास्थ्य संबंधी चेकअप के लिए वे अस्पताल भी गए थे जिसकी वजह से उनके प्रशंसकों को थोड़ी चिंता भी हुई थी.
2012 में अबे ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरूआत की और लगातार 2,799 दिनों तक काम किया. उन्होंने अपने चाचा ईसाकू सातो का रिकॉर्ड तोड़ा. ईसाकू सातो ने 1964 से 1972 तक लगातार 2,798 दिन काम किया था.
शिंजो अबे जापान के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं.
स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनका पहला कार्यकाल 13 साल पहले अचानक समाप्त हो गया था. अबे ने अपने चेकअप के लिए अस्पताल का दौरा किया जिससे वर्तमान में उनके समर्थकों के बीच चिंता बढ़ गई थी.
अबे ने संवाददाताओं से कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक है और वो ज्यादा काम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
पिछले सोमवार उन्होंने टोक्यो में कियो विश्वविद्यालय के अस्पताल में सात घंटे से अधिक समय बिताया. अधिकारियों ने बताया कि यह अतिरिक्त चेकअप था क्योंकि उनके पास जून में अपनी पिछली यात्रा के दौरान समय नहीं मिल पाया था.
पिछले हफ्ते अस्पताल के दौरे के बाद जापानी मीडिया ने अटकलों की झड़ी लगा दी थी कि उनकी सेहत में गिरावट आ रही है.
अबे के मंत्रिमंडल के शीर्ष अधिकारियों और वित्त मंत्री तारो एसो सहित सत्तारूढ़ दल ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अबे ने बहुत ज्यादा काम किया है और उन्हें आराम की सख्त जरूरत है.
पिछले सप्ताह के दौरान उन्होंने अपने कार्यालय में दोपहर में केवल कुछ घंटे बिताए हैं.
मुख्य कैबिनेट सचिव योशीहिदे सुगा ने अबे के स्वास्थ्य के बारे में कहा कि मैं उन्हें हर दिन देखता हूं मुझे कुछ भी अलग नहीं लगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या अबे सितंबर 2021 में अपना वर्तमान कार्यकाल समाप्त होने तक एक और साल सेवा दे पाएंगे तो सुगा ने कहा कि ऐसा करने के लिए प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त स्वास्थ्य परीक्षण से गुजर रहे हैं.
कोरोनावायरस महामारी से निपटने और अर्थव्यवस्था पर इसके गंभीर प्रभाव के कारण उनकी लोकप्रियता में गिरावट आई है. उनके स्वास्थ्य को लेकर यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि कितने लंबे समय तक वो कार्यरत रहेंगे.
अबे ने 2012 में अपने पद पर लौटने के बाद से उन्होंने छह राष्ट्रीय चुनावों की जीत के लिए सत्तारूढ़ दल का नेतृत्व किया और निरंकुशता की आलोचना के बावजूद संसद और नौकरशाहों दोनों में अपने प्रभाव का विस्तार किया.
अबे ने जापान की रक्षा क्षमता को लगातार बढ़ाया है और जापानी आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया है ताकि वह अपने काउंटरपार्ट अमेरिका के साथ मिलकर और काम कर सके.
जब वह 2012 में कार्यालय में वापस आए तो अबे ने राष्ट्र को पुनर्जीवित करने और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कसम खाई.
वहीं विरोधियों ने कहा है कि अबे के कार्यालय में निरंकुशता बढी है और इससे लोकतंत्र को फायदा होने की बजाए नुकसान हुआ है.
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