यांगून : म्यांमार में आंग सांग सू-ची की चुनी हुई सरकार को बर्खास्त करने और सेना द्वारा सत्ता अपने हाथ में लेने के विरोध में रविवार को भी बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और प्रदर्शन किए. हालांकि सैन्य शासन ने कई नागरिक स्वतंत्रातओं को निलंबित कर दिया है और अधिकारियों को बिना वारंट तलाशी करने और गिरफ्तार करने के अधिकार दे दिए हैं.
यांगून, मांडले और राजधानी नेपीता के साथ-साथ दूरदराज के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भी प्रदर्शन हुए. साइबर जगत में भी विरोध देखने को मिला.
खुद को 'ब्रॉदरहुड ऑफ म्यांमार हैकर्स' नाम बताने वाले समूह ने सरकार की म्यांमार डिजिटल न्यूज वेबसाइट को हैक करके विकृत कर दिया और इस पर सैन्य तख्तापलट के खिलाफ सामग्री और तस्वीरें लगा दीं.
यांगून में चीनी दूतावास के बाहर जमा हुए प्रदर्शनकारी
यांगून में प्रदर्शनकारी चीनी और अमेरिकी दूतावासों के बाहर जमा हुए. उनका आरोप है कि चीन सैन्य सरकार की मदद कर रहा है जबकि सेना के खिलाफ कार्रवाई के लिए अमेरिका की सराहना की.
अमेरिकी दूतावास के ट्विटर अकांउट पर शनिवार को कहा गया, 'सविनय अवज्ञा आंदोलन और प्रदर्शनों से पता चलता है कि म्यांमार के लोग लोकतंत्र चाहते हैं. हम उनके साथ खड़े हैं.'
अन्य प्रदर्शनकारी तख्तियां पकड़े हुए थे, जिनमें सेना से जुड़े व्यापारों का बहिष्कार करने का आग्रह किया गया था.
सत्तारूढ़ जुंटा द्वारा कई बुनियादी नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित करने के बावजूद रविवार को प्रदर्शन हुए. शनिवार देर रात जारी और रविवार को सरकारी अखबारों में प्रकाशित आदेश में कहा गया है कि सुरक्षा और निजता सुरक्षा पर मौजूदा कानून में उल्लेखित प्रावधानों को निलंबित कर दिया गया है और अधिकारियों को बिना वारंट के तलाशी लेने और गिरफ्तारी करने के अधिकार दिए गए हैं.
आदेश में इलेक्ट्रॉनिक और अन्य संचार उपकरणों को बिना वारंट के रोकने और अदालत की इजाजत के बिना किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखने की इजाजत दी गई है.
लोक सेवक प्रदर्शनों में काफी सक्रिय हैं और रविवार को सोशल मीडिया पर डाले गए पोस्ट से संकेत मिलता है कि रेलवे कर्मी भी उनके साथ हो गए हैं. अपुष्ट सूचनाएं यह भी हैं कि वे हड़ताल पर चले गए हैं.
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अपराधियों को रिहा कर रही सेना
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सेना जेलों से अपराधियों को रिहा कर रही है, ताकि वे प्रदर्शनों में हिंसा फैला सकें और दहशत का माहौल पैदा कर सकें.
सैन्य शासन ने पिछले हफ्ते 23,000 से अधिक दोषियों को माफी देने की घोषणा की थी. 1988 में भी सैन्य तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शनों में हिंसा भड़काने के लिए सेना ने कैदियों को रिहा किया था.
'राजनीतिक कैदियों के लिए स्वतंत्र सहायता संघ' ने बताया कि तख्तापलट के बाद से 384 लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें से 360 अब भी हिरासत में हैं. सू-ची अब भी नजरबंद हैं लेकिन आयातित वॉकी-टॉकी रखने के मामूली आरोप में उनकी रिमांड का आदेश सोमवार को खत्म हो रहा है.