सोमवार को जारी ‘हिंदू-कुश हिमालय एसेसमेंट’ नामक इस नये अध्ययन के अनुसार यदि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने वाला पेरिस संधि लक्ष्य हासिल हो जाता है तो भी एक तिहाई हिमनद पिघलेगा ही.
रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू-कुश हिमालय (एनकेएच) क्षेत्र के हिमनद इन पहाड़ों में 25 करोड़ लोगों तथा नदी घाटियों में रहने वाले 1.65 अरब अन्य लोगों के लिए अहम जल स्रोत हैं.
ये हिमनद गंगा, सिंधु, येलो, मेकोंग समेत दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण 10 नदियों में जलापूर्ति करते हैं तथा अरबों लोगों के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से भोजन, ऊर्जा, स्वच्छ वायु और आय का आधार प्रदान करते हैं.
अध्ययन में चेतावनी दी गयी है कि उनके पिघलने का लोगों पर प्रभाव वायुप्रदूषण के बिल्कुल बिगड़ जाने से लेकर प्रतिकूल मौसम के रुप में हो सकता है. मानसून से पहले नदियों में निम्न प्रवाह से शहरी जल व्यवस्था, खाद्य एवं ऊर्जा उत्पादन अस्त व्यस्त हो जाएगा.
नयी रिपोर्ट काठमांडू के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट इन नेपाल द्वारा प्रकाशित हुई है.