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अफगानिस्तान से अंतरराष्ट्रीय शक्तियों को हटाने में जल्दबाजी न करें - युद्धों ने हमारे आर्थिक पक्ष

इमरान खान ने अफगानिस्तान से विदेशी शक्तियों को हटाने में जल्दबाजी करने के खिलाफ चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों से भी बचना चाहिए जो क्षेत्र की शांति बिगाड़ते हैं.

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Published : Sep 27, 2020, 6:06 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान से विदेशी शक्तियों को हटाने में जल्दबाजी करने के खिलाफ चेतावनी दी है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शनिवार को द वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित हुए एक ओपिनियन में खान के हवाले से लिखा है कि अफगान शांति प्रक्रिया से जुड़े देशों को जल्दबाजी में वहां से अंतरराष्ट्रीय शक्तियों को हटाने का विरोध करना चाहिए. ऐसा करना नासमझी होगी.

उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों से भी बचना चाहिए, जो क्षेत्र की शांति बिगाड़ते हैं और अपने जियो-पॉलिटिकल हितों को पूरा करने के लिए अफगानिस्तान में अस्थिरता को फायदेमंद मानते हैं.

खान ने 12 सितंबर को अफगानिस्तान सरकार और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच दोहा में हुई बातचीत को याद करते हुए कहा कि अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए उम्मीद का दुर्लभ क्षण आ गया है.

उन्होंने कहा कि दशकों के संघर्ष में पाकिस्तान ने 40 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की देखभाल की. इस दौरान हमारे देश में बंदूकें और ड्रग्स भी बहाए गए. युद्धों ने हमारे आर्थिक पक्ष पर असर डाला है. केवल अफगान-स्वामित्व और अफगान के नेतृत्व वाली सुलह प्रक्रिया ही वहां स्थायी शांति ला सकती है.

लेख में खान ने इस मामले में अमेरिका के योगदान की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि बाधाओं के बावजूद सभी पक्षों द्वारा साहस और लचीलेपन दर्शाने के कारण शांति वार्ता सफल रही.

आखिर में उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान एक एकीकृत, स्वतंत्र और संप्रभु देश पाने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करता रहेगा.

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान से विदेशी शक्तियों को हटाने में जल्दबाजी करने के खिलाफ चेतावनी दी है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने शनिवार को द वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित हुए एक ओपिनियन में खान के हवाले से लिखा है कि अफगान शांति प्रक्रिया से जुड़े देशों को जल्दबाजी में वहां से अंतरराष्ट्रीय शक्तियों को हटाने का विरोध करना चाहिए. ऐसा करना नासमझी होगी.

उन्होंने कहा कि हमें उन लोगों से भी बचना चाहिए, जो क्षेत्र की शांति बिगाड़ते हैं और अपने जियो-पॉलिटिकल हितों को पूरा करने के लिए अफगानिस्तान में अस्थिरता को फायदेमंद मानते हैं.

खान ने 12 सितंबर को अफगानिस्तान सरकार और तालिबानी प्रतिनिधियों के बीच दोहा में हुई बातचीत को याद करते हुए कहा कि अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए उम्मीद का दुर्लभ क्षण आ गया है.

उन्होंने कहा कि दशकों के संघर्ष में पाकिस्तान ने 40 लाख से अधिक अफगान शरणार्थियों की देखभाल की. इस दौरान हमारे देश में बंदूकें और ड्रग्स भी बहाए गए. युद्धों ने हमारे आर्थिक पक्ष पर असर डाला है. केवल अफगान-स्वामित्व और अफगान के नेतृत्व वाली सुलह प्रक्रिया ही वहां स्थायी शांति ला सकती है.

लेख में खान ने इस मामले में अमेरिका के योगदान की भी चर्चा की. उन्होंने कहा कि बाधाओं के बावजूद सभी पक्षों द्वारा साहस और लचीलेपन दर्शाने के कारण शांति वार्ता सफल रही.

आखिर में उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान एक एकीकृत, स्वतंत्र और संप्रभु देश पाने के लिए अफगान लोगों का समर्थन करता रहेगा.

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