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कुरैशी का आरोप, पाकिस्तान की पूर्व सरकारों ने आतंकवाद पर अंकुश लगाने नहीं की कोशिशें - curb terrorism

विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि पहले की सरकारों ने देश में धनशोधन और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए.

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Published : Jun 23, 2021, 7:21 PM IST

इस्लामाबाद : एफएटीएफ द्वारा इस हफ्ते 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान की तरफ से की गई प्रगति की रिपोर्ट पर चर्चा किए जाने से पहले विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने देश में धनशोधन और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए.

पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी सूची) में डाल दिया था और इस्लामाबाद से धनशोधन एवं आतंकवाद को धन मुहैया कराए जाने पर 2019 के अंत तक रोक लगाने के लिए कार्य योजना लागू करने को कहा था लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से अंतिम समय-सीमा को बाद में बढ़ा दिया गया.

'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' समाचार-पत्र ने खबर दी कि कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि पूर्व की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार एफएटीएफ की ग्रे सूची में देश को रखे जाने के लिए जिम्मेदार है.

कुरैशी ने कहा, जब पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) सत्ता में आई तब पाकिस्तान पहले से एफएटीएफ की ग्रे सूची में जा चुका था.

एफएटीएफ द्वारा निर्धारित सख्त शर्तों के लिए पीएमएल-एन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पहले की किसी भी सरकार ने धनशोधन और आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए. मंत्री ने कहा कि इन स्थितियों में राष्ट्रों को दबाव का सामना करना पड़ा है इसलिए हमें भी इस दबाव को झेलना होगा.

पढ़ें :- आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 27 शर्तों को पूरा कर लिया है इसलिए, पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे रहने का कोई आधार नहीं है. ग्रे लिस्ट का तोहफा भी पीएमएल-एन की देन है. साथ ही कहा, अब पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है.

यह बयान तब आया है जब वैश्विक धनशोधन निवारण निगरानी संस्था 21 जून से 25 जून तक अपनी पूर्ण बैठक में 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रगति पर प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा करेगी.

यह रिपोर्ट एफएटीएफ के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) ने तैयार की है जिसमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

इस्लामाबाद : एफएटीएफ द्वारा इस हफ्ते 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान की तरफ से की गई प्रगति की रिपोर्ट पर चर्चा किए जाने से पहले विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने देश में धनशोधन और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए.

पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची (निगरानी सूची) में डाल दिया था और इस्लामाबाद से धनशोधन एवं आतंकवाद को धन मुहैया कराए जाने पर 2019 के अंत तक रोक लगाने के लिए कार्य योजना लागू करने को कहा था लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से अंतिम समय-सीमा को बाद में बढ़ा दिया गया.

'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' समाचार-पत्र ने खबर दी कि कुरैशी ने मंगलवार को कहा कि पूर्व की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार एफएटीएफ की ग्रे सूची में देश को रखे जाने के लिए जिम्मेदार है.

कुरैशी ने कहा, जब पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) सत्ता में आई तब पाकिस्तान पहले से एफएटीएफ की ग्रे सूची में जा चुका था.

एफएटीएफ द्वारा निर्धारित सख्त शर्तों के लिए पीएमएल-एन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि पहले की किसी भी सरकार ने धनशोधन और आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने पर रोक लगाने के लिए कदम नहीं उठाए. मंत्री ने कहा कि इन स्थितियों में राष्ट्रों को दबाव का सामना करना पड़ा है इसलिए हमें भी इस दबाव को झेलना होगा.

पढ़ें :- आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 27 शर्तों को पूरा कर लिया है इसलिए, पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे रहने का कोई आधार नहीं है. ग्रे लिस्ट का तोहफा भी पीएमएल-एन की देन है. साथ ही कहा, अब पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है.

यह बयान तब आया है जब वैश्विक धनशोधन निवारण निगरानी संस्था 21 जून से 25 जून तक अपनी पूर्ण बैठक में 27 सूत्री कार्य योजना के क्रियान्वयन पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रगति पर प्रारंभिक रिपोर्ट पर चर्चा करेगी.

यह रिपोर्ट एफएटीएफ के अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (आईसीआरजी) ने तैयार की है जिसमें चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

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