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थाईलैंड के प्रधानमंत्री को न्यायालय ने पद पर बने रहने की अनुमति दी - continue in post

थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा को सर्वोच्चय न्यायालय ने पद पर बने रहने की भी अनुमति दी है. इसके साथ ही पीएम ओचा को देश के संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करने के केस में भी बरी कर दिया है.

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प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा
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Published : Dec 2, 2020, 5:21 PM IST

बैंकॉक : थाईलैंड के सर्वोच्चय न्यायालय ने प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा को देश के संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करने के मामले में बरी कर दिया है. इसके साथ ही, उन्हें पद पर बने रहने की भी अनुमति दी है.

संवैधानिक न्यायालय ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी फीयु थाई द्वारा दायर की गई एक शिकायत पर अपना यह फैसला सुनाया है. शिकायत के जरिए यह आरोप लगाया गया था कि प्रयुत ने सितंबर 2014 में सेना कमांडर के तौर पर सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने सैन्य आवास में रहना जारी रखा.

पढ़ें: धारा 230 राष्ट्रीय सुरक्षा एवं चुनाव की अखंडता के लिए गंभीर खतरा : ट्रंप

नैतिकता संबंधी मानदंडों का उल्लंघन
उल्लेखनीय है कि नैतिकता संबंधी मानदंडों का उल्लंघन करने को लेकर यदि किसी मंत्री को दोषी ठहराया जाता है, तो वह अयोग्य करार दे दिए जाएंगे और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

अवैध तरीके से सत्ता में आने का आरोप
इन दिनों प्रयुत छात्र नीत लोकतंत्र समर्थक आंदोलन से निपट रहे हैं. आंदोलनकारी अक्सर रैलियां कर उनकी सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. वे लोग प्रयुत पर अवैध तरीके से सत्ता में आने का आरोप लगा रहे हैं.

बैंकॉक : थाईलैंड के सर्वोच्चय न्यायालय ने प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओचा को देश के संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन करने के मामले में बरी कर दिया है. इसके साथ ही, उन्हें पद पर बने रहने की भी अनुमति दी है.

संवैधानिक न्यायालय ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी फीयु थाई द्वारा दायर की गई एक शिकायत पर अपना यह फैसला सुनाया है. शिकायत के जरिए यह आरोप लगाया गया था कि प्रयुत ने सितंबर 2014 में सेना कमांडर के तौर पर सेवानिवृत्त होने के बाद भी अपने सैन्य आवास में रहना जारी रखा.

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नैतिकता संबंधी मानदंडों का उल्लंघन
उल्लेखनीय है कि नैतिकता संबंधी मानदंडों का उल्लंघन करने को लेकर यदि किसी मंत्री को दोषी ठहराया जाता है, तो वह अयोग्य करार दे दिए जाएंगे और उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.

अवैध तरीके से सत्ता में आने का आरोप
इन दिनों प्रयुत छात्र नीत लोकतंत्र समर्थक आंदोलन से निपट रहे हैं. आंदोलनकारी अक्सर रैलियां कर उनकी सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. वे लोग प्रयुत पर अवैध तरीके से सत्ता में आने का आरोप लगा रहे हैं.

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