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गलवान हिंसा में मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत करने में लगा चीन

गलवान घाटी में भारतीय जवानों और चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में चीन के भी सैनिक मारे गए थे हालांकि चीन ने इस बात को आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया. इस बीच एक वायरल वीडियो में मारे गए सैनिकों के परिवार वाले शिकायत कर रहे हैं कि चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों की तरह सम्मान नहीं दिया गया, जिसके बाद सीसीपी के के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि सैनिकों को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है. यह जानकारी जल्द ही दी जाएगी. हालांकि चीन सैनिकों के परिवारों की आवाज दबाने की कोशिश में लगा है.

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गलवान में मारे गए सैनिकों के परिवारों को शांत करने में लगा चीन
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Published : Jun 26, 2020, 7:26 AM IST

Updated : Jun 26, 2020, 11:32 AM IST

बीजिंग : लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों के पीड़ित परिवारों को चीन शांत करने की कोशिश में लगा हुआ है. हालांकि चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता कि झड़प में उसके सैनिकों की मौत हुई थी.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन द्वारा लिखा गया है कि मृतकों को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है और यह जानकारी अंततः ही सबको दी जाएगी ताकि नायकों को याद किया जा सके.

गौरतलब है कि चीन में दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों की ही तरह उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद संपादकीय में यह बात कही गई है.

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सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से उजागर हुआ चीन का सच

हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं मगर शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है.

हू ने 'पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को शीर्ष श्रद्धांजलि' देते हुए लिखा, 'चीन की सुरक्षा और चीन की शांति उन पर निर्भर करती है. अब तक चीनी सेना ने मृतकों के बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है. पूर्व सैनिक और फिलहाल मीडिया पेशेवर के तौर पर मैं समझता हूं कि यह दोनों देशों में, विशेष रूप से भारत में, जनता की राय को उत्तेजित नहीं करने के उद्देश्य से एक आवश्यक कदम है. यह बीजिंग की सद्भावना है.

वहीं भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं और भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे हैं. ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने अपने लेख में इन बातों को 'बिना चुनौती वाली अफवाहें' करार दिया.

यह भी पढ़ें : चीन बोला- सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत

लद्दाख के मुद्दे पर हिंसक झड़प पर हू ने अपनी खीझ निकालते हुए लिखा है, 'पीएलए ने भारतीय पक्ष को एक सबक सिखाया है, जिसने हमेशा चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प पर अपनी गलत राय बनाई है. पीएलए ने आवश्यकता पड़ने पर अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है, जो कि भारतीय पक्ष, विशेष रूप से उनके अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए एक मजबूत निवारक है. पीएलए ने न केवल स्थिति को नियंत्रण में लाने की अपनी क्षमता दिखाई है, बल्कि जमीन पर भारतीय सेना पर मनोवैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त किया है.

ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने भारत को धमकी देते हुए कहा, पीएलए के साथ खिलवाड़ मत करो. यह उन लोगों के लिए हमारी कड़ी चेतावनी है, जो चीन के प्रमुख हितों को चुनौती देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्थिति में बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं.

हू ने यह भी कहा कि सीमा पर घुसपैठियों को कड़ी टक्कर देने के लिए चीन ने सीमा पर एक मजबूत तैनाती की है. उन्होंने कहा कि इस तैनाती का उद्देश्य अधिक संघर्षों की घटना से बचना है.

बीजिंग : लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे गए चीनी सैनिकों के पीड़ित परिवारों को चीन शांत करने की कोशिश में लगा हुआ है. हालांकि चीन आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं करता कि झड़प में उसके सैनिकों की मौत हुई थी.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के मुखपत्र द ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू जिन द्वारा लिखा गया है कि मृतकों को सर्वोच्च सम्मान दिया गया है और यह जानकारी अंततः ही सबको दी जाएगी ताकि नायकों को याद किया जा सके.

गौरतलब है कि चीन में दो दिन पहले ही एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिखाया गया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों के परिवार इस बात से नाराज हैं कि भारतीय सैनिकों की ही तरह उनके शहीदों को कोई सम्मान नहीं मिला. यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसके बाद संपादकीय में यह बात कही गई है.

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सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से उजागर हुआ चीन का सच

हालांकि ग्लोबल टाइम्स ने स्वीकार किया है लद्दाख में हिंसक झड़प में 20 से कम चीनी सैनिक मारे गए हैं मगर शी जिनपिंग सरकार ने इस बारे में अभी तक चुप्पी नहीं तोड़ी है.

हू ने 'पीएलए अधिकारियों और सैनिकों को शीर्ष श्रद्धांजलि' देते हुए लिखा, 'चीन की सुरक्षा और चीन की शांति उन पर निर्भर करती है. अब तक चीनी सेना ने मृतकों के बारे में कोई सूचना जारी नहीं की है. पूर्व सैनिक और फिलहाल मीडिया पेशेवर के तौर पर मैं समझता हूं कि यह दोनों देशों में, विशेष रूप से भारत में, जनता की राय को उत्तेजित नहीं करने के उद्देश्य से एक आवश्यक कदम है. यह बीजिंग की सद्भावना है.

वहीं भारतीय मीडिया ने दावा किया है कि कम से कम 40 चीनी सैनिक मारे गए हैं और भारत ने 16 चीनी सैनिकों के शव सौंपे हैं. ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने अपने लेख में इन बातों को 'बिना चुनौती वाली अफवाहें' करार दिया.

यह भी पढ़ें : चीन बोला- सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत

लद्दाख के मुद्दे पर हिंसक झड़प पर हू ने अपनी खीझ निकालते हुए लिखा है, 'पीएलए ने भारतीय पक्ष को एक सबक सिखाया है, जिसने हमेशा चीनी लोगों के दृढ़ संकल्प पर अपनी गलत राय बनाई है. पीएलए ने आवश्यकता पड़ने पर अपनी ताकत और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है, जो कि भारतीय पक्ष, विशेष रूप से उनके अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के लिए एक मजबूत निवारक है. पीएलए ने न केवल स्थिति को नियंत्रण में लाने की अपनी क्षमता दिखाई है, बल्कि जमीन पर भारतीय सेना पर मनोवैज्ञानिक लाभ भी प्राप्त किया है.

ग्लोबल टाइम्स के संपादक ने भारत को धमकी देते हुए कहा, पीएलए के साथ खिलवाड़ मत करो. यह उन लोगों के लिए हमारी कड़ी चेतावनी है, जो चीन के प्रमुख हितों को चुनौती देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्थिति में बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं.

हू ने यह भी कहा कि सीमा पर घुसपैठियों को कड़ी टक्कर देने के लिए चीन ने सीमा पर एक मजबूत तैनाती की है. उन्होंने कहा कि इस तैनाती का उद्देश्य अधिक संघर्षों की घटना से बचना है.

Last Updated : Jun 26, 2020, 11:32 AM IST
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