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जयपुर साहित्य उत्सव के अमेरिकी संस्करण को पुस्तक प्रेमियों ने सराहा

जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) का अमेरिकी संस्करण काफी सराहा गया. करीब एक महीने चले जेएलएफ को पुस्तक प्रेमियों ने खासा पसंद किया. वर्चुअल माध्यम से वक्ताओं ने विचार साझा किए.

शशि थरूर
शशि थरूर
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Published : Dec 2, 2020, 8:25 PM IST

ह्युस्टन : जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) का अमेरिकी संस्करण इस बार डिजिटल माध्यमों से आयोजित किया गया. करीब एक महीने चले जेएलएफ को पुस्तक प्रेमियों ने खासा पसंद किया.

अमेरिका में यह उत्सव आठ नवंबर को जेएलएफ कोलोरैडो सत्र के साथ शुरू हुआ था, जो आठ से 11 नवंबर और 15 से 18 नवंबर तक चला था. जेएलएफ ह्यूस्टन ऑनलाइन 21-22 नवंबर, जेएलएफ न्यूयार्क ऑनलाइन 23-24 नवंबर और जेएलएफ टोरंटो 27-29 नवंबर को आयोजित किया गया.

वर्चुअल माध्यम से साझा किए विचार

पिछले वर्षों के सत्रों के अनुरूप इस बार भी प्रख्यात लेखकों, कवियों, पत्रकारों, विचारकों और नोबेल, पुलित्जर, राष्ट्रमंडल एवं अन्य पुरस्कार विजेताओं ने वर्चुअल माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान किया. उन्होंने कोरोना वायरस, अश्वेत लोगों का जीवन मायने रखता है आंदोलन, पर्यावरण, कविता, लोकतंत्र, संगीत, मनोरंजन और सौंदर्य आदि विषयों पर अपने विचार साझा किए.

पढ़ें- भारतीय-अमेरिकी नीरा टंडन ने अपनी मां के अनुभवों को किया साझा

थरूर, सरना समेत कई थे मुख्य वक्ता

मुख्य वक्ताओं में शशि थरूर, मार्कण्ड आर परांजपे, नमिता गोखले, भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरूंज, अमेरिका में भारतीय राजदूत रह चुके नवतेज सिंह सरना, प्रोफेसर होमी के. भाभा, पुलित्जर पुरस्कार विजेता कवि विजय शेषाद्री आदि शामिल थे.

उत्सव के शुभारंभ के अवसर पर अमेरिका में नियुक्त भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा था कि आज जेएलएफ एक साहित्य उत्सव से कहीं अधिक बड़ा कार्यक्रम है-यह इतिहासकारों, कवियों, कलाकारों और संगीतज्ञों, सपने देखने वालों और उन्हें साकार करने वालों को एक मंच पर लाता है.

ह्यूस्टन में नियुक्त भारतीय महावाणिज्यदूत असीम आर महाजन ने कहा कि जेएलएफ ह्यूस्टन के तीसरे एवं वर्चुअल सत्र ने विभिन्न विधाओं के प्रख्यात वक्ताओं को एक मंच पर लाया. जेएलएफ सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा कि बदलते समय की चुनौतियों ने उन्हें समृद्ध एवं विविध डिजिटल मंच सृजित करने के लिये प्रेरित किया.

ह्युस्टन : जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) का अमेरिकी संस्करण इस बार डिजिटल माध्यमों से आयोजित किया गया. करीब एक महीने चले जेएलएफ को पुस्तक प्रेमियों ने खासा पसंद किया.

अमेरिका में यह उत्सव आठ नवंबर को जेएलएफ कोलोरैडो सत्र के साथ शुरू हुआ था, जो आठ से 11 नवंबर और 15 से 18 नवंबर तक चला था. जेएलएफ ह्यूस्टन ऑनलाइन 21-22 नवंबर, जेएलएफ न्यूयार्क ऑनलाइन 23-24 नवंबर और जेएलएफ टोरंटो 27-29 नवंबर को आयोजित किया गया.

वर्चुअल माध्यम से साझा किए विचार

पिछले वर्षों के सत्रों के अनुरूप इस बार भी प्रख्यात लेखकों, कवियों, पत्रकारों, विचारकों और नोबेल, पुलित्जर, राष्ट्रमंडल एवं अन्य पुरस्कार विजेताओं ने वर्चुअल माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान किया. उन्होंने कोरोना वायरस, अश्वेत लोगों का जीवन मायने रखता है आंदोलन, पर्यावरण, कविता, लोकतंत्र, संगीत, मनोरंजन और सौंदर्य आदि विषयों पर अपने विचार साझा किए.

पढ़ें- भारतीय-अमेरिकी नीरा टंडन ने अपनी मां के अनुभवों को किया साझा

थरूर, सरना समेत कई थे मुख्य वक्ता

मुख्य वक्ताओं में शशि थरूर, मार्कण्ड आर परांजपे, नमिता गोखले, भारतीय-अमेरिकी लेखिका चित्रा बनर्जी दिवाकरूंज, अमेरिका में भारतीय राजदूत रह चुके नवतेज सिंह सरना, प्रोफेसर होमी के. भाभा, पुलित्जर पुरस्कार विजेता कवि विजय शेषाद्री आदि शामिल थे.

उत्सव के शुभारंभ के अवसर पर अमेरिका में नियुक्त भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा था कि आज जेएलएफ एक साहित्य उत्सव से कहीं अधिक बड़ा कार्यक्रम है-यह इतिहासकारों, कवियों, कलाकारों और संगीतज्ञों, सपने देखने वालों और उन्हें साकार करने वालों को एक मंच पर लाता है.

ह्यूस्टन में नियुक्त भारतीय महावाणिज्यदूत असीम आर महाजन ने कहा कि जेएलएफ ह्यूस्टन के तीसरे एवं वर्चुअल सत्र ने विभिन्न विधाओं के प्रख्यात वक्ताओं को एक मंच पर लाया. जेएलएफ सह-निदेशक नमिता गोखले ने कहा कि बदलते समय की चुनौतियों ने उन्हें समृद्ध एवं विविध डिजिटल मंच सृजित करने के लिये प्रेरित किया.

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