ETV Bharat / international

रोहिंग्या शरणार्थियों ने मनाया 'नरसंहार दिवस,' बांग्लादेश से जाना चाहते हैं म्यांमार

बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश स्थित कैंप से घर वापसी के लिए रैली निकाल कर नरसंहार दिवस मनाया. रोहिंग्याओं ने कहा कि भले ही उनके साथ म्यामांर में अन्याय किया गया है, लेकिन वे अपने घर वापस जाना चाहते हैं. जानें पूरा विवरण

रोहिंग्या शरणार्थी
author img

By

Published : Aug 25, 2019, 9:52 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:31 AM IST

कुटुपलांगः म्यामांर सेना दो साल पहले रोहिंग्याओं पर हिंसक कर की थी. इससे रोहिंग्या शारणर्थी म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश आ गए थे. बाग्लादेश सरकार ने करीब दो लाख शरणार्थियों को दोबारा भागने की कोशिश में नकाम रही. इसके कुछ दिन बाद शरणार्थियों ने रैली निकाली.

करीब 7,40,000 रोहिंग्या क्रूर हिंसक कार्रवाई के चलते अगस्त, 2017 में म्यामांर के रखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे. उससे पहले करीब दो लाख रोहिंग्याओं ने सैन्य दमन से बचने के लिए म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश में शरण ली थी.

बच्चों, हिजाब पहने महिलाओं और लुंगी पहने पुरुषों ने विश्व के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर की ओर मार्च किया.उन्होंने ईश्वर महान है, रोहिंग्या जिंदाबाद का नारा लगाया. उन्होंने इसे 'नरसंहार दिवस' करार दिया.

चिलचिलाती धूप में हजारों लोग रैली में पहुंचे और उन्होंने दुनिया नहीं सुनती है रोहिंग्याओं का दुख-दर्द गाना गाया.

पचास वर्षीय तैयबा खातून ने कहा, मैं अपने दो बेटों की हत्या का इंसाफ मांगने आयी हूं. मैं अपनी आखिरी सांस तक इंसाफ मांगती रहूंगी. उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे.

म्यामांर ने कहा था कि उसकी सुरक्षा चौकियों पर हमला होने के बाद वह रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ उग्रवाद रोधी अभियान चला रहा है. हालांकि पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने इस संकट के लिए म्यामां के शीर्ष जनरलों पर मुकदमा चलाने की मांग की थी.

रोहिंग्या नेता मोहिब उल्ला ने कहा कि देशविहीन अल्पसंख्यक अपने घर लौटना चाहते हैं, बशर्ते उन्हें नागरिकता मिले और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए तथा उन्हें अपने गांवों में बसने की इजाजत मिले.

उन्होंने रैली में कहा, हमने बर्मा सरकार से बातचीत की मांग की है. लेकिन हमें अब तक उससे कोई जवाब नहीं मिला है.

पुलिस अधिकारी जाकिर हुसैन ने कहा, रखाइन प्रांत में हमारी पिटाई की गयी, हमारे लोगों को मार डाला गया, हमारे लोगों के साथ बलात्कार किया गया. लेकिन अब भी वह हमारा घर है और हम लौटना चाहते हैं.

पढ़ेंः रोहिंग्या संकट : बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थ बन सकता है जापान

इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में करीब दो लाख रोहिंग्या शामिल हुए.

बता दें कि कुटुपलांग शिविर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. यह विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है जहां छह लाख से अधिक रोहिंग्या रहते हैं.

(पीटीआई इनपुट)

कुटुपलांगः म्यामांर सेना दो साल पहले रोहिंग्याओं पर हिंसक कर की थी. इससे रोहिंग्या शारणर्थी म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश आ गए थे. बाग्लादेश सरकार ने करीब दो लाख शरणार्थियों को दोबारा भागने की कोशिश में नकाम रही. इसके कुछ दिन बाद शरणार्थियों ने रैली निकाली.

करीब 7,40,000 रोहिंग्या क्रूर हिंसक कार्रवाई के चलते अगस्त, 2017 में म्यामांर के रखाइन प्रांत से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे. उससे पहले करीब दो लाख रोहिंग्याओं ने सैन्य दमन से बचने के लिए म्यामांर छोड़कर बांग्लादेश में शरण ली थी.

बच्चों, हिजाब पहने महिलाओं और लुंगी पहने पुरुषों ने विश्व के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर की ओर मार्च किया.उन्होंने ईश्वर महान है, रोहिंग्या जिंदाबाद का नारा लगाया. उन्होंने इसे 'नरसंहार दिवस' करार दिया.

चिलचिलाती धूप में हजारों लोग रैली में पहुंचे और उन्होंने दुनिया नहीं सुनती है रोहिंग्याओं का दुख-दर्द गाना गाया.

पचास वर्षीय तैयबा खातून ने कहा, मैं अपने दो बेटों की हत्या का इंसाफ मांगने आयी हूं. मैं अपनी आखिरी सांस तक इंसाफ मांगती रहूंगी. उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे.

म्यामांर ने कहा था कि उसकी सुरक्षा चौकियों पर हमला होने के बाद वह रोहिंग्या चरमपंथियों के खिलाफ उग्रवाद रोधी अभियान चला रहा है. हालांकि पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने इस संकट के लिए म्यामां के शीर्ष जनरलों पर मुकदमा चलाने की मांग की थी.

रोहिंग्या नेता मोहिब उल्ला ने कहा कि देशविहीन अल्पसंख्यक अपने घर लौटना चाहते हैं, बशर्ते उन्हें नागरिकता मिले और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए तथा उन्हें अपने गांवों में बसने की इजाजत मिले.

उन्होंने रैली में कहा, हमने बर्मा सरकार से बातचीत की मांग की है. लेकिन हमें अब तक उससे कोई जवाब नहीं मिला है.

पुलिस अधिकारी जाकिर हुसैन ने कहा, रखाइन प्रांत में हमारी पिटाई की गयी, हमारे लोगों को मार डाला गया, हमारे लोगों के साथ बलात्कार किया गया. लेकिन अब भी वह हमारा घर है और हम लौटना चाहते हैं.

पढ़ेंः रोहिंग्या संकट : बांग्लादेश और म्यांमार के बीच मध्यस्थ बन सकता है जापान

इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन में करीब दो लाख रोहिंग्या शामिल हुए.

बता दें कि कुटुपलांग शिविर के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. यह विश्व का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है जहां छह लाख से अधिक रोहिंग्या रहते हैं.

(पीटीआई इनपुट)

ZCZC
PRI ESPL INT
.KUTUPALONG FES15
BANGLA-ROHINGYA
200,000 Rohingya rally to mark 'Genocide Day' in Bangladesh camps
         Kutupalong, Aug 25 (AFP) Some 200,000 Rohingya rallied in a Bangladesh refugee camp to mark two years since they fled a violent crackdown by Myanmar forces, just days after a second failed attempt to repatriate the refugees.
         Around 740,000 Rohingya from Myanmar's Rakhine state escaped in August 2017 during the brutal offensive, joining another 200,000 who fled earlier persecution in vast camps in southeast Bangladesh.
         Children, hijab-wearing women, and men in long-skirt lungis shouted "God is Great, Long Live Rohingya" as they marched at the heart of the world's largest refugee camp to commemorate what they described as "Genocide Day".
         Under the scorching sun, thousands joined in a popular song with the lyrics "the world does not listen to the woes of Rohingya".
         "I have come here to seek justice for the murder of my two sons. I will continue to seek justice till my last breath," 50-year-old Tayaba Khatun said as tears rolled down her cheeks.
         Myanmar had said they were conducting counter-insurgency operations against Rohingya extremists after they attacked police posts, but the UN last year called for Myanmar's top generals to be prosecuted for genocide over the crisis.
         Rohingya leader Mohib Ullah said the stateless minority wanted to return home, but only after they were granted citizenship, their security was ensured and they were allowed to settle back in their villages.
         "We have asked the Burmese government for dialogue. But we haven't got any response from them yet," Ullah told the rally.
         "We were beaten, killed and raped in Rakhine. But still that is our home. And we want to go back." Police officer Zakir Hassan told AFP some 200,000 Rohingya took part in the peaceful gathering.
         Security has been tight across Kutupalang camp, the world's largest refugee settlement and home to more than 600,000 Rohingya.
         "Hundreds of police, army and border guards have been deployed to prevent any violence," local police chief Abul Monsur told AFP.
         The rally came three days after the failed attempt to repatriate the refugees, which saw not a single Rohingya turn up to return across the border.
         On Saturday, Bangladesh police said they shot dead two refugees during a gunfight in a camp after the pair were accused of killing a ruling party official.
         The Rohingya are not recognised as an official minority by the Myanmar government, which considers them Bengali interlopers despite many families having lived in the country for generations. (AFP)
AMS
AMS
08251241
NNNN
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:31 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.