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डब्ल्यूएचओ ने भारत में पाए गए वायरस के स्वरूपों को 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया

भारत में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूपों बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कप्पा और डेल्टा नाम दिया है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि आसानी से पहचाने जाने के लिए नामकरण किया गया है.

भारत में पाए गए वायरस
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Published : Jun 1, 2021, 1:37 AM IST

Updated : Jun 1, 2021, 7:40 AM IST

जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे पहले भारत में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूपों बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को क्रमश: 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया है.
डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उसने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों के नामकरण के लिए यूनानी अक्षरों का सहारा लिया है.

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी मामलों की प्रमुख डॉ मारिया वान केरखोव ने सोमवार को ट्वीट किया, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के स्वरूपों के आसानी से पहचाने जाने के लिए उनका नया नामकरण किया है. इनके वैज्ञानिक नामों में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि, इसका उद्देश्य आम बहस के दौरान इनकी आसानी से पहचान करना है.'

पढ़ें- इंदौर में 15 फीसदी मरीजों के मस्तिष्क में मिला ब्लैक फंगस

संगठन ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित एक विशेषज्ञ समूह ने वायरस के स्वरूपों को सामान्य बातचीत के दौरान आसानी से समझने के लिए अल्फा, गामा, बीटा गामा जैसे यूनानी शब्दों का उपयोग करने की सिफारिश की ताकि आम लोगों को भी इनके बारे में होने वाली चर्चा को समझने में दिक्कत न हो.

(पीटीआई-भाषा)

जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सबसे पहले भारत में पाए गए कोरोना वायरस के स्वरूपों बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को क्रमश: 'कप्पा' और 'डेल्टा' नाम दिया है.
डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि उसने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों के नामकरण के लिए यूनानी अक्षरों का सहारा लिया है.

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 तकनीकी मामलों की प्रमुख डॉ मारिया वान केरखोव ने सोमवार को ट्वीट किया, 'विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के स्वरूपों के आसानी से पहचाने जाने के लिए उनका नया नामकरण किया है. इनके वैज्ञानिक नामों में कोई बदलाव नहीं होगा. हालांकि, इसका उद्देश्य आम बहस के दौरान इनकी आसानी से पहचान करना है.'

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संगठन ने एक बयान में कहा कि डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित एक विशेषज्ञ समूह ने वायरस के स्वरूपों को सामान्य बातचीत के दौरान आसानी से समझने के लिए अल्फा, गामा, बीटा गामा जैसे यूनानी शब्दों का उपयोग करने की सिफारिश की ताकि आम लोगों को भी इनके बारे में होने वाली चर्चा को समझने में दिक्कत न हो.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : Jun 1, 2021, 7:40 AM IST
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