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ट्रंप के खिलाफ दूसरी बार महाभियोग, प्रतिनिधि सभा ने पारित किया प्रस्ताव

ट्रंप के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया के बाद अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने कहा कि सदन ने आज दिखा दिया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है. यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति भी नहीं.

ट्रंप पर दूसरी बार महाभियोग
ट्रंप पर दूसरी बार महाभियोग
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Published : Jan 14, 2021, 6:49 AM IST

Updated : Jan 14, 2021, 9:01 AM IST

वॉशिंगटन : डेमोक्रेटिक नेताओं के नियंत्रण वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पिछले सप्ताह कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में हुई हिंसा के मद्देनजर अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया. इसके साथ ही ट्रंप अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया जा रहा है.

इस प्रस्ताव को 197 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया था. रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों ने इसके समर्थन में मतदान किया.

इस महाभियोग प्रस्ताव में निर्वतमान राष्ट्रपति पर अपने कदमों के जरिए छह जनवरी को 'राजद्रोह के लिए उकसाने' का आरोप लगाया गया है.

इसमें कहा गया है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए तब उकसाया, जब वहां इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गिनती चल रही थी और लोगों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई. इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई.

चार सांसदों ने मतदान नहीं किया. चारों भारतीय-अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया.

अब इस प्रस्ताव को सीनेट में भेजा जाएगा, जो ट्रंप को कार्यालय से हटाने के लिए सुनवाई करेगी और मतदान करेगी. सीनेट 19 जनवरी तक के लिए स्थगित है. इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे.

प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा, 'हम जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने हमारे देश के खिलाफ यह राजद्रोह, यह हथियारबंद विद्रोह भड़काया. उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए.'

यह भी पढ़ें- अमेरिका में पहली बार महिला कैदी को दिया गया मौत का इंजेक्शन

इससे पहले, प्रतिनिधि सभा ने 18 दिसंबर, 2019 में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था. उस दौरान आरोप लगाए गए थे कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाए.

डेमोक्रेटिक सांसदों के पास ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त मत है, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है. सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है.

वॉशिंगटन : डेमोक्रेटिक नेताओं के नियंत्रण वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने पिछले सप्ताह कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में हुई हिंसा के मद्देनजर अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया. इसके साथ ही ट्रंप अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया जा रहा है.

इस प्रस्ताव को 197 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया था. रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों ने इसके समर्थन में मतदान किया.

इस महाभियोग प्रस्ताव में निर्वतमान राष्ट्रपति पर अपने कदमों के जरिए छह जनवरी को 'राजद्रोह के लिए उकसाने' का आरोप लगाया गया है.

इसमें कहा गया है कि ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए तब उकसाया, जब वहां इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गिनती चल रही थी और लोगों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई. इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गई.

चार सांसदों ने मतदान नहीं किया. चारों भारतीय-अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया.

अब इस प्रस्ताव को सीनेट में भेजा जाएगा, जो ट्रंप को कार्यालय से हटाने के लिए सुनवाई करेगी और मतदान करेगी. सीनेट 19 जनवरी तक के लिए स्थगित है. इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे.

प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा, 'हम जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने हमारे देश के खिलाफ यह राजद्रोह, यह हथियारबंद विद्रोह भड़काया. उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए.'

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इससे पहले, प्रतिनिधि सभा ने 18 दिसंबर, 2019 में ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था. उस दौरान आरोप लगाए गए थे कि ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति पर दबाव डाला कि वे बाइडन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाए.

डेमोक्रेटिक सांसदों के पास ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त मत है, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है. सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है.

Last Updated : Jan 14, 2021, 9:01 AM IST
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