वॉशिंगटन : अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी से 1,34,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. यह देश दुनियाभर में सबसे अधिक प्रभावित है. महामारी के बचने के लिए शारीरिक दूरी, मास्क पहनना और सेनिटाइजर का इस्तेमाल सबसे बुनियादी उपाय बताए गए हैं, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने गत 4-5 महीनों में मास्क पहनने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई.
हालांकि, कोरोना महामारी के लगातार सामने आ रहे नए मामले और मरीजों की हो रही मौत के बीच शनिवार को राष्ट्रपति ट्रंप पहली बार मास्क पहने दिखे. दरअसल, ट्रंप घायल सैनिकों को देखने के लिए वाल्टर रीड की यात्रा पर थे. इसी दौरान उन्हें एक गहरे रंग का फेस मास्क पहने देखा गया.
इससे पहले शनिवार को ही ट्रंप ने वॉल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर की अपनी यात्रा से ठीक पहले व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा था, 'मुझे लगता है कि जब आप अस्पताल में होते हैं, विशेष रूप से उस विशेष सेटिंग में जब आप बहुत सारे सैनिकों से बात कर रहे होते हैं, तो लोगों का मानना है कि आपको कुछ चीजें करनी चाहिए. मुझे लगता है कि मास्क पहनना बहुत अच्छी बात है.'
उन्होंने अस्पताल जाने से पहले कहा कि वे कभी मास्क पहनने के खिलाफ नहीं थे. उनका मानना है कि मास्क पहनने की एक जगह होती है, एक समय होता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, ह्वाइट हाउस के कुछ सहयोगियों और राजनीतिक सलाहकारों ने 'क्विट लॉबिंग' (quiet lobbying) अभियान शुरू किया था. इसी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने मास्क पहनने का फैसला लिया.
पिछले महीने तुलसा, ओक्लाहोमा में हुई रैलियों के दौरान बिना मास्क के आम जनता को देख कर राष्ट्रपति ट्रंप के कुछ सलाहकार डरे हुए थे. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका कोरोना वायरस से विश्व में सबसे अधिक प्रभावित देश है, और यहां लगातार बड़ी संख्या में नए कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं.
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ट्रंप के सलाहकारों में से एक ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप को मास्क पहनने के लिए समझाने को लेकर बहुत लंबी बातचीत और लगातार अनुरोध किए गए. ट्रंप से कहा गया कि वह खुद मास्क पहन कर समर्थकों के बीच उदाहरण बनें.