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टीजेएम2 पद्धति से कोरोना रोगियों के इलाज की नई उम्मीद - coronavirus in india

विश्व में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. हालांकि संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. वर्ल्डोमीटर के ताजे आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक विश्व में कोरोना संक्रमण से 367,111 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 6,045,328 हो गई है. कोरोना से निबटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं. इसी बीच TJM2 पद्धति से कोरोना के रोगियों को ठीक करने के लिए एक उम्मीद दिखी है. आइए जानते हैं...

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Published : May 31, 2020, 4:45 PM IST

Updated : May 31, 2020, 5:41 PM IST

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है. इससे निबटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं. अमेरिका जैसे देश कोरोना की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन पाई है. इसी बीच I-MAB-TJM2 पद्धति से कोरोना के रोगियों के इलाज में एक उम्मीद दिखाई पड़ी है. आइए जानते हैं कि क्या यह पद्धति कोरोना के रोगियों को जीवन बचाने में पर्याप्त है.

कोरोना के रोगियों में एंटी ग्रैनुलोसाइट-मैक्रोफेज कॉलोनी उत्तेजक कारक (जीएम-सीएसएफ) एंटीबॉडी की चिकित्सीय भूमिका का मूल्यांकन I-MAB-TJM2 के नैदानिक परीक्षण के माध्यम से किया जा रहा है. इससे कोरोना के रोगियों के इलाज करने के लिए एक उम्मीद दिखाई पड़ी है.

I-Mab, क्लीनिकल-स्टेज बायो फार्मास्युटिकल कंपनी, जो नोवेल बायोलॉजिक्स की खोज, विकास और व्यावसायीकरण के लिए प्रतिबद्ध है, एक कठोर और मजबूत नैदानिक ​​परीक्षण प्रोटोकॉल का पालन करती है, जो विश्व स्तर पर इसी तरह के एंटी-जीएम-सीएसएफ एंटीबॉडी अध्ययनों में से पहला है, जो अध्ययन की मजबूती सुनिश्चित करता है.

डेटा मॉनिटरिंग कमेटी (DMC) ने अध्ययन के भाग एक की समीक्षा की ताकि मरीज की सुरक्षा और अध्ययन के समग्र आचरण का आकलन किया जा सके, जिसके बाद व्यापक समीक्षा और विश्लेषण के बाद, डीएमसी ने निष्कर्ष निकाला कि I-Mab अध्ययन के भाग दो को योजना के अनुसार शुरू कर सकता है. यह दर्शाता है कि टीजेएम2 पद्धति कोरोना के रोगियों में सुरक्षित रखने और जीवन बचाने में कारगर साबित हो सकती है.

पढ़ें : विशेष : कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं प्राइवेट कंपनियां

भाग एक के समान डिजाइन के साथ अध्ययन का भाग दो रोगियों को लक्षित करता है. इसके जल्दी ही शुरू होने की उम्मीद है. यह 120 रोगियों में 6mg / kg TJM2 अथवा प्लेसबो की एक खुराक के बाद प्रभावकारिता, सुरक्षा और साइटोकाइन स्तरों का मूल्यांकन करेगा.

I-Mab के निदेशक डॉ जिंगवु जैंग ने कहा, 'वैश्विक बायोटेक कंपनी के रूप में I-Mab की जिम्मेदारी है कि वह तत्काल वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान में मदद करे. हम तत्काल चिकित्सा आवश्यकताओं के जवाब में TJM2 को प्राथमिकता देने के लिए कार्रवाई में जुट गए. यह स्पष्ट है कि हमारे अध्ययन के औचित्य और अपेक्षा को इसके लिए GM-CSF एंटीबॉडी वर्ग के साथ अन्य अध्ययनों से प्रारंभिक और उत्साहजनक सबूत का समर्थन है.'

गौरतलब है कि विश्व में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. हालांकि इस वायरस से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. वर्ल्डोमीटर के ताजे आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक विश्व में कोरोना संक्रमण से 3,67,111 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 60,45,328 हो गई है.

क्या है TJM2
TJM2 एक आंतरिक रूप से मानव जीएम-सीएसएफ के खिलाफ एंटीबॉडी को बेअसर करता है. यह एक महत्वपूर्ण साइटोकिन है, जो सूजन और ऑटोइम्यून रोगों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके 2020 में चीन में नैदानिक ​​परीक्षणों में प्रवेश करने के लिए अपनी कक्षा का पहला एंटीबॉडी होने की उम्मीद है.

हैदराबाद : पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संकट से जूझ रही है. इससे निबटने के लिए सभी देश हर संभव प्रयास कर रहे हैं. अमेरिका जैसे देश कोरोना की वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल भी कर रहे हैं. लेकिन अब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन पाई है. इसी बीच I-MAB-TJM2 पद्धति से कोरोना के रोगियों के इलाज में एक उम्मीद दिखाई पड़ी है. आइए जानते हैं कि क्या यह पद्धति कोरोना के रोगियों को जीवन बचाने में पर्याप्त है.

कोरोना के रोगियों में एंटी ग्रैनुलोसाइट-मैक्रोफेज कॉलोनी उत्तेजक कारक (जीएम-सीएसएफ) एंटीबॉडी की चिकित्सीय भूमिका का मूल्यांकन I-MAB-TJM2 के नैदानिक परीक्षण के माध्यम से किया जा रहा है. इससे कोरोना के रोगियों के इलाज करने के लिए एक उम्मीद दिखाई पड़ी है.

I-Mab, क्लीनिकल-स्टेज बायो फार्मास्युटिकल कंपनी, जो नोवेल बायोलॉजिक्स की खोज, विकास और व्यावसायीकरण के लिए प्रतिबद्ध है, एक कठोर और मजबूत नैदानिक ​​परीक्षण प्रोटोकॉल का पालन करती है, जो विश्व स्तर पर इसी तरह के एंटी-जीएम-सीएसएफ एंटीबॉडी अध्ययनों में से पहला है, जो अध्ययन की मजबूती सुनिश्चित करता है.

डेटा मॉनिटरिंग कमेटी (DMC) ने अध्ययन के भाग एक की समीक्षा की ताकि मरीज की सुरक्षा और अध्ययन के समग्र आचरण का आकलन किया जा सके, जिसके बाद व्यापक समीक्षा और विश्लेषण के बाद, डीएमसी ने निष्कर्ष निकाला कि I-Mab अध्ययन के भाग दो को योजना के अनुसार शुरू कर सकता है. यह दर्शाता है कि टीजेएम2 पद्धति कोरोना के रोगियों में सुरक्षित रखने और जीवन बचाने में कारगर साबित हो सकती है.

पढ़ें : विशेष : कोरोना से जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं प्राइवेट कंपनियां

भाग एक के समान डिजाइन के साथ अध्ययन का भाग दो रोगियों को लक्षित करता है. इसके जल्दी ही शुरू होने की उम्मीद है. यह 120 रोगियों में 6mg / kg TJM2 अथवा प्लेसबो की एक खुराक के बाद प्रभावकारिता, सुरक्षा और साइटोकाइन स्तरों का मूल्यांकन करेगा.

I-Mab के निदेशक डॉ जिंगवु जैंग ने कहा, 'वैश्विक बायोटेक कंपनी के रूप में I-Mab की जिम्मेदारी है कि वह तत्काल वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान में मदद करे. हम तत्काल चिकित्सा आवश्यकताओं के जवाब में TJM2 को प्राथमिकता देने के लिए कार्रवाई में जुट गए. यह स्पष्ट है कि हमारे अध्ययन के औचित्य और अपेक्षा को इसके लिए GM-CSF एंटीबॉडी वर्ग के साथ अन्य अध्ययनों से प्रारंभिक और उत्साहजनक सबूत का समर्थन है.'

गौरतलब है कि विश्व में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े हैं. हालांकि इस वायरस से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी है. वर्ल्डोमीटर के ताजे आंकड़ों पर गौर करें तो अब तक विश्व में कोरोना संक्रमण से 3,67,111 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 60,45,328 हो गई है.

क्या है TJM2
TJM2 एक आंतरिक रूप से मानव जीएम-सीएसएफ के खिलाफ एंटीबॉडी को बेअसर करता है. यह एक महत्वपूर्ण साइटोकिन है, जो सूजन और ऑटोइम्यून रोगों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके 2020 में चीन में नैदानिक ​​परीक्षणों में प्रवेश करने के लिए अपनी कक्षा का पहला एंटीबॉडी होने की उम्मीद है.

Last Updated : May 31, 2020, 5:41 PM IST
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