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हांगकांग से संबंधित अपने फैसले पर पुनर्विचार करे चीन : जी-7 - हांगकांग से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून

जी-7 समूह देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि हम अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन के विदेश मंत्री तथा यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि चीन की ओर से हांगकांग पर नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के निर्णय से चिंतित हैं. पढ़ें पूरी खबर...

G7 foreign ministers urge China to reconsider new security law on Hong Kong
हांगकांग से संबंधित अपने फैसले पर पुनर्विचार करे चीन
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Published : Jun 18, 2020, 7:15 AM IST

Updated : Jun 18, 2020, 9:37 AM IST

वॉशिंगटन : विकसित देशों के समूह जी-7 ने चीन से हांगकांग से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

जी-7 समूह देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि हम अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन के विदेश मंत्री तथा यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि चीन की ओर से हांगकांग पर नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के निर्णय से चिंतित हैं.

पढे़ं : हांगकांग में शांति भंग हुई, फिर प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच झड़प हुई

चीन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों झाओ जियांग और मार्गरेट थैचर द्वारा 19 दिसंबर, 1984 को बीजिंग के प्रश्न पर चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे. दोनों सरकारों ने इस बात पर सहमति जताई कि चीन एक जुलाई, 1997 से हांगकांग का नियंत्रण फिर से शुरू कर देगा.

विदेश मंत्रियों ने कहा, 'हम इस बात से भी चिंतित हैं कि इस कार्रवाई से कानून के शासन और एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली के अस्तित्व में आने वाले सभी लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर भी अंकुश लग जाएगा.'

उन्होंने कहा कि हम दृढ़ता से चीन सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं.

वहीं बीजिंग ने संकेत दिया है कि हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों की नई लहर शुरू करने वाले नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन के एक साल बाद जल्द पारित करने की आवश्यकता है.

प्रत्यपर्ण बिल के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन

हांगकांग के मौजूदा प्रत्यपर्ण कानून में कई देशों के साथ इसके समझौते नहीं है. इसके चलते अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता.

चीन भी इस लिस्ट से बाहर

पिछले साल हांगकांग प्रशासन एक प्रत्यपर्ण बिल लेकर आया था, जिसके मुताबिक अगर हांगकांग का कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ हांगकांग में नहीं बल्कि चीन में मुकदमा चलाया जाएगा. इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बिल वापस लेने बाद भी यह प्रदर्शन नहीं थमे और लोकतंत्र की मांग की जाने लगी.

वॉशिंगटन : विकसित देशों के समूह जी-7 ने चीन से हांगकांग से संबंधित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

जी-7 समूह देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा कि हम अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन के विदेश मंत्री तथा यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि चीन की ओर से हांगकांग पर नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के निर्णय से चिंतित हैं.

पढे़ं : हांगकांग में शांति भंग हुई, फिर प्रदर्शनकारियों एवं पुलिस के बीच झड़प हुई

चीन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्रियों झाओ जियांग और मार्गरेट थैचर द्वारा 19 दिसंबर, 1984 को बीजिंग के प्रश्न पर चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए थे. दोनों सरकारों ने इस बात पर सहमति जताई कि चीन एक जुलाई, 1997 से हांगकांग का नियंत्रण फिर से शुरू कर देगा.

विदेश मंत्रियों ने कहा, 'हम इस बात से भी चिंतित हैं कि इस कार्रवाई से कानून के शासन और एक स्वतंत्र न्याय प्रणाली के अस्तित्व में आने वाले सभी लोगों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता पर भी अंकुश लग जाएगा.'

उन्होंने कहा कि हम दृढ़ता से चीन सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हैं.

वहीं बीजिंग ने संकेत दिया है कि हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों की नई लहर शुरू करने वाले नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन के एक साल बाद जल्द पारित करने की आवश्यकता है.

प्रत्यपर्ण बिल के खिलाफ शुरू हुआ प्रदर्शन

हांगकांग के मौजूदा प्रत्यपर्ण कानून में कई देशों के साथ इसके समझौते नहीं है. इसके चलते अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता.

चीन भी इस लिस्ट से बाहर

पिछले साल हांगकांग प्रशासन एक प्रत्यपर्ण बिल लेकर आया था, जिसके मुताबिक अगर हांगकांग का कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ हांगकांग में नहीं बल्कि चीन में मुकदमा चलाया जाएगा. इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए थे. बिल वापस लेने बाद भी यह प्रदर्शन नहीं थमे और लोकतंत्र की मांग की जाने लगी.

Last Updated : Jun 18, 2020, 9:37 AM IST
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