ETV Bharat / headlines

ड्रग्स मामला: रकुलप्रीत की याचिका पर केंद्र से स्टेटस रिपोर्ट तलब

ड्रग्स मामले में खुद को लेकर हो रही मीडिया रिपोर्टिंग ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत की न्यूज़ चैनल्स के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर तीन हफ्ते में हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था.

Rakulpreet case
रकुलप्रीत केस
author img

By

Published : Dec 11, 2020, 7:13 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो ड्रग्स मामले में खुद को लेकर हो रही मीडिया रिपोर्टिंग ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत की न्यूज़ चैनल्स के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. जस्टिस नवीन चावला ने ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत को केंद्र के स्टेटस रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


कुछ मीडिया संगठनों को माफीनामा चलाने का आदेश


सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि न्यूज ब्राडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी(एनबीएसए) ने पिछले 9 दिसंबर को कुछ मीडिया संगठनों को आदेश दिया है कि वो ड्रग्स के मामले में ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत को लेकर प्रसारित किए गए रिपोर्ट को लेकर माफीनामा जारी करें. एनबीएसए ने इन मीडिया संगठनों को 17 दिसंबर को अपने चैनल पर माफीनामा प्रसारित करने का आदेश दिया है. एनबीएसए ने कहा कि मीडिया संगठन हैशटैग , टैगलाईन और फोटो को प्रसारित करने से पहले ये जरुर समझें कि दर्शक को ये समझ आए कि उन हैशटैग का खबर के कंटेंट से संबंध हो.


कुछ और चैनल्स को पक्षकार बनाने की मांग मंजूर


सुनवाई के दौरान रकुलप्रीत की ओर से वकील अमन हिंगोरानी ने कुछ और चैनल्स को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग की. हाईकोर्ट ने उनकी इस मांग को मंजूर कर लिया. उन्होंने केबल टेलीविजन नेटवर्क रुल्स और एनबीएसए के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अंतत: इन चैनल्स पर कार्रवाई केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ही करेगा.

हालांकि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रायल ने अपना ठीकरा एनबीएसए पर फोड़ दिया है. तब कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से पूछा कि आप हमें ये क्यों नहीं बता रहे हैं कि आपने क्या एक्शन लिया है. उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

प्रसार भारती का नाम पक्षकार की सूची से हटाया था

पिछले 15 अक्टूबर को कोर्ट ने प्रसार भारती को पक्षकार की सूची से नाम हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन(एनबीए) का बयान दर्ज करते हुए एनबीएसए के आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन(एनबीए) की ओर से वकील राहुल भाटिया ने कहा था कि हमने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लिया है.

केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि हमारा स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड में है. तब अमन हिंगोरानी ने कहा था कि हम केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी एनबीए पर डाल दिया है. केंद्र ने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर नहीं लिया, उन्होंने खुद कोई फैसला नहीं लिया.

केंद्र सरकार को पर्याप्त अधिकार


पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार, एनबीए, प्रेस काउंसिल को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि रकुलप्रीत आरोपी नहीं है. केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा था कि रकुलप्रीत को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है. फिलहाल मीडिया रिपोर्ट्स पर बैन का आदेश सही नहीं है. ये संजीदा मसला है. रकुलप्रीत के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में संतुलन की ज़रूरत हैै तब कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को केबल टीवी एक्ट के तहत अधिकार है औऱ वो केवल ये नहीं कह सकती है कि ये एक संवेदनशील मसला हैै.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो ड्रग्स मामले में खुद को लेकर हो रही मीडिया रिपोर्टिंग ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत की न्यूज़ चैनल्स के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग पर तीन हफ्ते में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे. जस्टिस नवीन चावला ने ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत को केंद्र के स्टेटस रिपोर्ट पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.


कुछ मीडिया संगठनों को माफीनामा चलाने का आदेश


सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि न्यूज ब्राडकास्टर्स स्टैंडर्ड अथॉरिटी(एनबीएसए) ने पिछले 9 दिसंबर को कुछ मीडिया संगठनों को आदेश दिया है कि वो ड्रग्स के मामले में ऐक्ट्रेस रकुलप्रीत को लेकर प्रसारित किए गए रिपोर्ट को लेकर माफीनामा जारी करें. एनबीएसए ने इन मीडिया संगठनों को 17 दिसंबर को अपने चैनल पर माफीनामा प्रसारित करने का आदेश दिया है. एनबीएसए ने कहा कि मीडिया संगठन हैशटैग , टैगलाईन और फोटो को प्रसारित करने से पहले ये जरुर समझें कि दर्शक को ये समझ आए कि उन हैशटैग का खबर के कंटेंट से संबंध हो.


कुछ और चैनल्स को पक्षकार बनाने की मांग मंजूर


सुनवाई के दौरान रकुलप्रीत की ओर से वकील अमन हिंगोरानी ने कुछ और चैनल्स को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग की. हाईकोर्ट ने उनकी इस मांग को मंजूर कर लिया. उन्होंने केबल टेलीविजन नेटवर्क रुल्स और एनबीएसए के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अंतत: इन चैनल्स पर कार्रवाई केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ही करेगा.

हालांकि केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रायल ने अपना ठीकरा एनबीएसए पर फोड़ दिया है. तब कोर्ट ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से पूछा कि आप हमें ये क्यों नहीं बता रहे हैं कि आपने क्या एक्शन लिया है. उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

प्रसार भारती का नाम पक्षकार की सूची से हटाया था

पिछले 15 अक्टूबर को कोर्ट ने प्रसार भारती को पक्षकार की सूची से नाम हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन(एनबीए) का बयान दर्ज करते हुए एनबीएसए के आदेश की प्रति दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन(एनबीए) की ओर से वकील राहुल भाटिया ने कहा था कि हमने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लिया है.

केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि हमारा स्टेटस रिपोर्ट रिकॉर्ड में है. तब अमन हिंगोरानी ने कहा था कि हम केंद्र के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं. केंद्र सरकार ने अपनी जिम्मेदारी एनबीए पर डाल दिया है. केंद्र ने रकुलप्रीत की याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर नहीं लिया, उन्होंने खुद कोई फैसला नहीं लिया.

केंद्र सरकार को पर्याप्त अधिकार


पिछले 29 सितंबर को कोर्ट ने केंद्र सरकार, एनबीए, प्रेस काउंसिल को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि रकुलप्रीत आरोपी नहीं है. केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा था कि रकुलप्रीत को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया है. फिलहाल मीडिया रिपोर्ट्स पर बैन का आदेश सही नहीं है. ये संजीदा मसला है. रकुलप्रीत के अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में संतुलन की ज़रूरत हैै तब कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को केबल टीवी एक्ट के तहत अधिकार है औऱ वो केवल ये नहीं कह सकती है कि ये एक संवेदनशील मसला हैै.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.