ETV Bharat / entertainment

जन्मदिन विशेष : 10 साल की उम्र वाली दोस्ती अभी भी निभा रहे हैं प्यारेलाल, मुकेश-रफी-किशोर को गाना पड़ा था एक साथ - दोस्ती अभी भी निभा रहे हैं प्यारेलाल

लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी के अहम किरदार प्यारेलाल के जन्मदिन पर पेश हैं उनसे जुड़ी खास जानकारियां, जिनसे भारतीय फिल्म संगीत कभी भूल नहीं पाएगा.

Pyarelal Indian Film Music Composer Birthday
प्यारेलाल ( डिजाइन फोटो)
author img

By

Published : Sep 2, 2022, 5:01 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय फिल्म संगीत व हिन्दी सिनेमा के गीतों को यादगार बनाने के लिए जब जब सफल संगीतकारों की चर्चा होती तो वहां पर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी (Laxmikant Pyarelal Music Composer) का नाम बड़े ही आदर व सम्मान से लिया जाता है. कहते हैं कि जैसे ही लक्ष्मीकांत को प्यारेलाल का साथ मिला तो दोनों ने संगीत की दुनिया में अपना परचम लहराते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. अपनी लोक लुभावन धुनों से लोगों के दिलों पर कई दशकों तक राज किया और आज भी जब उनका कोई गाना बजता है तो लोग उसके बेबस गुनगुनाने को मजबूर हो जाते हैं।

लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी के अहम किरदार प्यारेलाल का 3 सितम्बर को जन्मदिन (Music Composer Pyarelal Birthday) है. इनके जन्मदिन पर इनके जीवन व गीत संगीत से जुड़ी कुछ जानकारियां ईटीवी भारत आपसे शेयर करने की कोशिश कर रहा हैं, जो आपको पसंद आएंगी.

Pyarelal Indian Film Music Composer Birthday
प्यारेलाल ( डिजाइन फोटो)

प्यारेलाल का जन्म 3 सितम्बर 1940 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था. कहा जाता है कि प्यारेलाल का पूरा नाम प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा था. इनका बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा, क्योंकि छोटी उम्र में ही उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता पंडित रामप्रसाद ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल वायलिन सीखें. इसीलिए उन्होंने अपने पिता की बात को मानकर वायलिन बजाना शुरू कर दिया. उन्होंने 8 साल की उम्र से ही वायलिन सीखना शुरू कर दिया था और प्रतिदिन 8 से 12 घंटे का अभ्यास किया करते थे. उन्होंने एंथनी गोंजाल्विस नाम के एक गोअन संगीतकार से वायलिन बजाने का हुनर सीखा. प्यारेलाल ने उन्ही दिनों में एक रात्रि स्कूल में सातवें ग्रेड की पढ़ाई के लिए दाख़िला ले लिया पर 3 रुपये की मासिक फीस न सकने के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इन मुश्किल हालातों ने भी उनके हौसले कम नहीं हुए. अपनी मेहनत के दम पर प्यारेलाल को मुंबई के 'रंजीत स्टूडियो' के ऑर्केस्ट्रा में 85 रुपए मासिक की नौकरी मिल गई.

फिल्म संगीत से जुड़े लोग बताते हैं कि एक बार प्यारेलाल को लेकर उनके पिता जी उन्हें लता मंगेशकर के घर चले गए. वहां पर प्यारेलाल ने लता जी के सामने वायलिन बजाया. इनकी कलाकारी व लगन से खुश होकर लता मंगेशकर ने प्यारेलाल को 500 रुपए इनाम में दिया, जो उस जमाने में एक बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. इससे उनका हौसला बढ़ा.

इसे भी पढ़ें : इन पुरस्कारों से लता जी को किया गया है सम्मानित

Pyarelal Indian Film Music Composer Birthday
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी

ऐसे बनी थी जोड़ी (Facts About Laxmikant Pyarelal)
प्यारेलाल की मुलाकात लक्ष्मीकांत से मुलाकात मात्र दस साल की उम्र में हो गयी थी. बताया जाता है कि उस समय मंगेशकर परिवार द्वारा चलायी जा रही बच्चों की अकादमी सुरील कला केंद्र बच्चे संगीत सीखने आया करते थे. जहां पर समान उम्र और आर्थिक स्थिति के चलते लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल अच्छे दोस्त बन गये. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल (Laxmikant Pyarelal Music Composer) ने साथ मिलकर पहली बार 1963 में आई फिल्म पारसमणि को अपने संगीत से सजाया, जिसके सभी गाने बहुत लोकप्रिय हुए. फिल्म का गाना ‘हंसता हुआ नूरानी चेहरा’ और ‘वो जब याद आये, बहुत याद आए’ कौन भूल सकता है. लता मंगेशकर और मोहमद रफ़ी जैसे बड़े गायकों ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ ही अपने अधिक्तर गाने गाये.

  1. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को 7 बार सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें यह पुरस्कार दोस्ती, मिलन, जीने की राह, अमर अकबर एंथनी, सत्यम शिवम सुंदरम, सरगम और कर्ज़ जैसी फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरुस्कार मिला था. यह उनकी जोड़ी की खास पहचान के लिए काफी है.
  2. एक निर्देशक के रूप में यश चोपड़ा ने अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा की बी.आर. फिल्म्स के बैनर तले कई संगीतमय हिट फिल्में दी हैं. लेकिन इसके बाद 1973 में यश चोपड़ा ने बीआर चोपड़ा के बैनर से बाहर आकर ''यश राज फिल्म्स'' की स्थापना की तो यश चोपड़ा एक निर्माता और निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म 'दाग’ के लिए मशहूर सितारे चुनने थे. ऐसे में यश राज फिल्म्स के लिए पहला संगीत निर्देशक का मौका लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को मिला. साथ ही यश चोपड़ा ने गाने लिखने के लिए अपने पसंदीदा गीतकार साहिर लुधियानवी को मौका दिया. म्यूजिकल हिट फिल्म 'दाग' की शानदार सफलता के बाद यश चोपड़ा चाहते थे कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल उनकी अगली फिल्म 'कभी कभी' के लिए संगीत दें, लेकिन लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल किसी और फिल्म पर काम कर रहे थे, जिससे यह मौका खय्याम को मिला और वह भी बेहतरीन फिल्म साबित हुयी. इसके बाद वह साथ में कभी काम नहीं कर पाए.
  3. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी को 1973 में राज कपूर की 'बॉबी' के साथ 'दाग' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों के लिए नामांकित किया गया था. अफसोस की बात है कि इन दोनों फिल्मों के लिए उत्कृष्ट संगीत के बावजूद इनमें से किसी भी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार नहीं मिला. फिल्मफेयर चयन समीति ने यह सम्मान 'बेईमान' फिल्म के म्यूजिक के लिए शंकर-जयकिशन को दे दिया था. इस फैसले से प्राण नाराज हो गए थे. उनका कहना था कि 1973 में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए पाकीजा फिल्म का संगीत देने वाले संगीतकार गुलाम मोहम्मद को दिया जाना चाहिए था.
  4. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने किशोर कुमार के लिए 402 गाने और मोहम्मद रफी 379 गाने बनाए और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखा था. फिल्म 'आराधना' की सफलता के बाद किशोर कुमार की लहर चरम पर थी. फिर भी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने मोहम्मद रफ़ी को सबसे अधिक गवाए. 1977 में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने 'अमर अकबर एंथनी'" और 'सरगम' के माध्यम से मोहम्मद रफ़ी को मौका देकर बेहतरीन गाने गवाए.
  5. आप सभी लोगों को फिल्म अमर अकबर एंथनी फिल्म का मशहूर गाना ‘माय नेम इस एंथनी गोंजाल्विस’ याद होगा. कहा जाता है कि यह गाना प्यारेलाल ने अपने गुरु एंथनी गोंजाल्विस को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया था.
  6. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, अमित कुमार, अलका याज्ञनिक, उदित नारायण, शैलेंद्र सिंह, पी. सुशीला, के.जे. येसुदास, एस.पी. बालसुब्रमण्यम, के.एस. चित्रा, एस.जानकी और अनुराधा पौडवाल के साथ भी काम किया. हालांकि, उन्होंने कई नए कलाकारों जैसे कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अजीज, सुरेश वाडकर, शब्बीर कुमार, सुखविंदर सिंह, विनोद राठौड़ और रूप कुमार राठौड़ को बड़े ब्रेक देते हुए फिल्मी दुनियां में नाम कमाने का मौका दिया.
  7. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एकमात्र संगीतकार हैं, जिन्होंने अमर अकबर एंथनी में 'हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें' में एक साथ उस समय के तीनों बड़े गायकों किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, मुकेश और लता मंगेशकर को एक साथ इकट्ठा करके गाना गवाया.
  8. एक जानकारी के मुताबिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने लगभग 35 साल तक भारतीय फिल्म संगीत में अपना जलवा बरकरार रखा. 1963 से लेकर 1998 तक इन्होंने 503 फिल्मों में 160 गायक-गायिकाओं और 72 गीतकारों के कुल 2845 गानों की धुन बनायी. बॉलीवुड जगत के संगीत में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जबरदस्त योगदान इससे जाहिर होता है.
Laxmikant Pyarelal Music Composer with lata Kishore Kumar
गाने की रिकॉर्डिंग के समय संगीतकार जोड़ी

इसे भी पढ़ें : 'तेजाब' के पूरे हुए 31 साल, अनिल कपूर ने लक्ष्मीकांत को डेडिकेट की फिल्म

निभा रहे हैं दोस्ती
1998 में इस संगीत जोड़ी के जोड़ीदार लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल अकेले हो गए और फिल्मों में संगीत देना लगभग बंद कर दिया. उनकी जोड़ी की आखिरी फिल्म 'दिवाना मस्ताना' थी. लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल ने कुछ गाने अकेले कंपोज किए, लेकिन प्यारेलाल ने हमेशा सभी गानों के लिए 'लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल' नाम का ही इस्तेमाल किया. जब पार्श्व गायक कुमार शानू संगीत निर्देशक बने, तो उन्होंने उनके लिए संगीत की व्यवस्था करने के लिए प्यारेलाल से संपर्क किया. प्यारेलाल को फराह खान के 'ओम शांति ओम' फिल्म के गीत 'धूम ताना' के संगीत में सहायता के लिए संपर्क किया गया था.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

नई दिल्ली : भारतीय फिल्म संगीत व हिन्दी सिनेमा के गीतों को यादगार बनाने के लिए जब जब सफल संगीतकारों की चर्चा होती तो वहां पर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी (Laxmikant Pyarelal Music Composer) का नाम बड़े ही आदर व सम्मान से लिया जाता है. कहते हैं कि जैसे ही लक्ष्मीकांत को प्यारेलाल का साथ मिला तो दोनों ने संगीत की दुनिया में अपना परचम लहराते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा दिया. अपनी लोक लुभावन धुनों से लोगों के दिलों पर कई दशकों तक राज किया और आज भी जब उनका कोई गाना बजता है तो लोग उसके बेबस गुनगुनाने को मजबूर हो जाते हैं।

लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी के अहम किरदार प्यारेलाल का 3 सितम्बर को जन्मदिन (Music Composer Pyarelal Birthday) है. इनके जन्मदिन पर इनके जीवन व गीत संगीत से जुड़ी कुछ जानकारियां ईटीवी भारत आपसे शेयर करने की कोशिश कर रहा हैं, जो आपको पसंद आएंगी.

Pyarelal Indian Film Music Composer Birthday
प्यारेलाल ( डिजाइन फोटो)

प्यारेलाल का जन्म 3 सितम्बर 1940 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ था. कहा जाता है कि प्यारेलाल का पूरा नाम प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा था. इनका बचपन बेहद संघर्षपूर्ण रहा, क्योंकि छोटी उम्र में ही उनकी मां का देहांत हो गया. उनके पिता पंडित रामप्रसाद ट्रम्पेट बजाते थे और चाहते थे कि प्यारेलाल वायलिन सीखें. इसीलिए उन्होंने अपने पिता की बात को मानकर वायलिन बजाना शुरू कर दिया. उन्होंने 8 साल की उम्र से ही वायलिन सीखना शुरू कर दिया था और प्रतिदिन 8 से 12 घंटे का अभ्यास किया करते थे. उन्होंने एंथनी गोंजाल्विस नाम के एक गोअन संगीतकार से वायलिन बजाने का हुनर सीखा. प्यारेलाल ने उन्ही दिनों में एक रात्रि स्कूल में सातवें ग्रेड की पढ़ाई के लिए दाख़िला ले लिया पर 3 रुपये की मासिक फीस न सकने के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इन मुश्किल हालातों ने भी उनके हौसले कम नहीं हुए. अपनी मेहनत के दम पर प्यारेलाल को मुंबई के 'रंजीत स्टूडियो' के ऑर्केस्ट्रा में 85 रुपए मासिक की नौकरी मिल गई.

फिल्म संगीत से जुड़े लोग बताते हैं कि एक बार प्यारेलाल को लेकर उनके पिता जी उन्हें लता मंगेशकर के घर चले गए. वहां पर प्यारेलाल ने लता जी के सामने वायलिन बजाया. इनकी कलाकारी व लगन से खुश होकर लता मंगेशकर ने प्यारेलाल को 500 रुपए इनाम में दिया, जो उस जमाने में एक बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी. इससे उनका हौसला बढ़ा.

इसे भी पढ़ें : इन पुरस्कारों से लता जी को किया गया है सम्मानित

Pyarelal Indian Film Music Composer Birthday
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी

ऐसे बनी थी जोड़ी (Facts About Laxmikant Pyarelal)
प्यारेलाल की मुलाकात लक्ष्मीकांत से मुलाकात मात्र दस साल की उम्र में हो गयी थी. बताया जाता है कि उस समय मंगेशकर परिवार द्वारा चलायी जा रही बच्चों की अकादमी सुरील कला केंद्र बच्चे संगीत सीखने आया करते थे. जहां पर समान उम्र और आर्थिक स्थिति के चलते लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल अच्छे दोस्त बन गये. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल (Laxmikant Pyarelal Music Composer) ने साथ मिलकर पहली बार 1963 में आई फिल्म पारसमणि को अपने संगीत से सजाया, जिसके सभी गाने बहुत लोकप्रिय हुए. फिल्म का गाना ‘हंसता हुआ नूरानी चेहरा’ और ‘वो जब याद आये, बहुत याद आए’ कौन भूल सकता है. लता मंगेशकर और मोहमद रफ़ी जैसे बड़े गायकों ने लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ ही अपने अधिक्तर गाने गाये.

  1. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को 7 बार सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया. उन्हें यह पुरस्कार दोस्ती, मिलन, जीने की राह, अमर अकबर एंथनी, सत्यम शिवम सुंदरम, सरगम और कर्ज़ जैसी फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरुस्कार मिला था. यह उनकी जोड़ी की खास पहचान के लिए काफी है.
  2. एक निर्देशक के रूप में यश चोपड़ा ने अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा की बी.आर. फिल्म्स के बैनर तले कई संगीतमय हिट फिल्में दी हैं. लेकिन इसके बाद 1973 में यश चोपड़ा ने बीआर चोपड़ा के बैनर से बाहर आकर ''यश राज फिल्म्स'' की स्थापना की तो यश चोपड़ा एक निर्माता और निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म 'दाग’ के लिए मशहूर सितारे चुनने थे. ऐसे में यश राज फिल्म्स के लिए पहला संगीत निर्देशक का मौका लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल को मिला. साथ ही यश चोपड़ा ने गाने लिखने के लिए अपने पसंदीदा गीतकार साहिर लुधियानवी को मौका दिया. म्यूजिकल हिट फिल्म 'दाग' की शानदार सफलता के बाद यश चोपड़ा चाहते थे कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल उनकी अगली फिल्म 'कभी कभी' के लिए संगीत दें, लेकिन लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल किसी और फिल्म पर काम कर रहे थे, जिससे यह मौका खय्याम को मिला और वह भी बेहतरीन फिल्म साबित हुयी. इसके बाद वह साथ में कभी काम नहीं कर पाए.
  3. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी को 1973 में राज कपूर की 'बॉबी' के साथ 'दाग' के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशकों के लिए नामांकित किया गया था. अफसोस की बात है कि इन दोनों फिल्मों के लिए उत्कृष्ट संगीत के बावजूद इनमें से किसी भी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार नहीं मिला. फिल्मफेयर चयन समीति ने यह सम्मान 'बेईमान' फिल्म के म्यूजिक के लिए शंकर-जयकिशन को दे दिया था. इस फैसले से प्राण नाराज हो गए थे. उनका कहना था कि 1973 में सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के लिए पाकीजा फिल्म का संगीत देने वाले संगीतकार गुलाम मोहम्मद को दिया जाना चाहिए था.
  4. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने किशोर कुमार के लिए 402 गाने और मोहम्मद रफी 379 गाने बनाए और दोनों के बीच संतुलन बनाए रखा था. फिल्म 'आराधना' की सफलता के बाद किशोर कुमार की लहर चरम पर थी. फिर भी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने मोहम्मद रफ़ी को सबसे अधिक गवाए. 1977 में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने 'अमर अकबर एंथनी'" और 'सरगम' के माध्यम से मोहम्मद रफ़ी को मौका देकर बेहतरीन गाने गवाए.
  5. आप सभी लोगों को फिल्म अमर अकबर एंथनी फिल्म का मशहूर गाना ‘माय नेम इस एंथनी गोंजाल्विस’ याद होगा. कहा जाता है कि यह गाना प्यारेलाल ने अपने गुरु एंथनी गोंजाल्विस को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया था.
  6. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, अमित कुमार, अलका याज्ञनिक, उदित नारायण, शैलेंद्र सिंह, पी. सुशीला, के.जे. येसुदास, एस.पी. बालसुब्रमण्यम, के.एस. चित्रा, एस.जानकी और अनुराधा पौडवाल के साथ भी काम किया. हालांकि, उन्होंने कई नए कलाकारों जैसे कविता कृष्णमूर्ति, मोहम्मद अजीज, सुरेश वाडकर, शब्बीर कुमार, सुखविंदर सिंह, विनोद राठौड़ और रूप कुमार राठौड़ को बड़े ब्रेक देते हुए फिल्मी दुनियां में नाम कमाने का मौका दिया.
  7. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एकमात्र संगीतकार हैं, जिन्होंने अमर अकबर एंथनी में 'हमको तुमसे हो गया है प्यार क्या करें' में एक साथ उस समय के तीनों बड़े गायकों किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, मुकेश और लता मंगेशकर को एक साथ इकट्ठा करके गाना गवाया.
  8. एक जानकारी के मुताबिक लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने लगभग 35 साल तक भारतीय फिल्म संगीत में अपना जलवा बरकरार रखा. 1963 से लेकर 1998 तक इन्होंने 503 फिल्मों में 160 गायक-गायिकाओं और 72 गीतकारों के कुल 2845 गानों की धुन बनायी. बॉलीवुड जगत के संगीत में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जबरदस्त योगदान इससे जाहिर होता है.
Laxmikant Pyarelal Music Composer with lata Kishore Kumar
गाने की रिकॉर्डिंग के समय संगीतकार जोड़ी

इसे भी पढ़ें : 'तेजाब' के पूरे हुए 31 साल, अनिल कपूर ने लक्ष्मीकांत को डेडिकेट की फिल्म

निभा रहे हैं दोस्ती
1998 में इस संगीत जोड़ी के जोड़ीदार लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल अकेले हो गए और फिल्मों में संगीत देना लगभग बंद कर दिया. उनकी जोड़ी की आखिरी फिल्म 'दिवाना मस्ताना' थी. लक्ष्मीकांत की मृत्यु के बाद प्यारेलाल ने कुछ गाने अकेले कंपोज किए, लेकिन प्यारेलाल ने हमेशा सभी गानों के लिए 'लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल' नाम का ही इस्तेमाल किया. जब पार्श्व गायक कुमार शानू संगीत निर्देशक बने, तो उन्होंने उनके लिए संगीत की व्यवस्था करने के लिए प्यारेलाल से संपर्क किया. प्यारेलाल को फराह खान के 'ओम शांति ओम' फिल्म के गीत 'धूम ताना' के संगीत में सहायता के लिए संपर्क किया गया था.

ऐसी ही ज़रूरी और विश्वसनीय ख़बरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.