नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फिल्म मेकर लीना मणिमेकलाई को उनके विवादित पोस्टर में हिंदू देवी काली को सिगरेट पीते हुए दिखाने पर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को लेकर सुनवाई की. इस मामले में लीना को बड़ी राहत मिली है, जिसके अनुसार कोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है. लीना मणिमेकलाई को लेकर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि कई राज्यों में एफआईआर दर्ज करने से मणिमेकलाई के लिए गंभीर पूर्वाग्रह पैदा हो सकता है.
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एडवोकेट इंदिरा उन्नीनायर की सहायता से एडवोकेट कामिनी जायसवाल ने कोर्ट में मणिमेकलाई का प्रतिनिधित्व किया, उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ शॉर्ट फिल्म को लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गई है. पीठ ने अपने आदेश में कहा- परिणामस्वरूप, यह प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता को विभिन्न राज्यों में एक ही फिल्म से उत्पन्न होने वाली कठोर कार्यवाही के अधीन होने की संभावना है. इसके अलावा, भोपाल में याचिकाकर्ता के खिलाफ एक लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया गया है.
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पीठ ने कहा कि आगे के आदेश लंबित रहने तक याचिकाकर्ता के खिलाफ या तो पहले से दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर या काली पोस्टर पंक्ति के संबंध में दर्ज की जा सकने वाली एफआईआर के आधार पर कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा. इश्यू नोटिस 20 फरवरी 2023 को वापस किया जा सकता है. याचिकाकर्ता ने काली नामक विवादित पोस्टर पर फिल्म निर्माता के खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज सभी एफआईआर को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी.
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मणिमेकलाई द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि वह इस बात से भी दुखी हैं कि उसके बाद हुई खतरनाक साइबर हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय, राज्य ने उनको टारगेट किया है. इस तरह की राज्य कार्रवाई भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक फिल्म निर्माता के रूप में रचनात्मक व्याख्या के उसके अधिकारों का उल्लंघन है. यह उनके जीवन, स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा के अधिकारों और अनुच्छेद 21 आर/डब्ल्यू 19(1) के तहत सुरक्षा का भी उल्लंघन है. दलील में कहा गया कि याचिकाकर्ता और उनके परिवार को जिंदगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खतरे को देखते हुए चिंता है, वह कनाडा से भारत लौटने की स्थिति में नहीं है, जहां वह वर्तमान में रह रही हैं.