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हरौला गांव: एक वक्त खाना तो दूसरे वक्त भूखे पेट सोना! सरकारी दावे के बीच मजदूर बेहाल

गौतमबुद्ध नगर जिले के हरौला गांव में रह रहे प्रवासी मजदूरों के लिए नोबत ये आ गई है कि वो लोग एक टाइम भोजन करते हैं और दूसरे टाइम भूखा सोना पड़ रहा है. यहां किसी एक का नहीं बल्कि किराए पर रह रहे सभी का यही हाल है. घरों में राशन रखने के बर्तन जरूर है पर उसमें राशन नहीं है, जो है भी वो 1 से 2 दिन का ही राशन बचा है.

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Published : May 15, 2020, 9:52 AM IST

govt. ration facility
लॉकडाउन में राशन के लिए परेशान लोग

नई दिल्ली/नोएडा: कोविड-19 महामारी को देखते हुए लागू लॉकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने वाला है. गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रशासन का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान हर किसी को राशन और खाना भरपूर मात्रा में दिया गया है. इस बात की जमीनी हकीकत जानने जब ईटीवी भारत की टीम जिले के हरौला गांव में गई. यहां के हालात प्रशासन के दावों पर कई सवाल खड़े करते हैं. वहां बिहार के रहने वाले कई परिवारों से बात की गई तो उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं दी गई है.

लॉकडाउन में राशन के लिए परेशान लोग


कैसे करें जीवन यापन?


नोएडा के सबसे घनी आबादी के क्षेत्र सेक्टर-5 में हरौला गांव है. जहां ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग किराए का मकान लेकर रहते हैं. इनमें कुछ कंपनियों में काम करते है तो कुछ दिहाड़ी मजदूरी का भी काम करते हैं. ऐसी ही एक बिल्डिंग में ईटीवी भारत की टीम गई तो देखा कि वहां कई परिवार किराए पर रहते हैं. उनसे जब इस लॉकडाउन के दौरान राशन और खाने के संबंध में बात की गई तो उन लोगों ने बताया कि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई भी मदद नहीं दी गई है. इन लोगों का कहना है कि इनके पास राशन कार्ड नहीं है, जिसके चलते सरकारी राशन से भी वंचित हैं. वहीं प्रशासन की ओर से राशन या भोजन नहीं दिया गया. जिसके चलते इन्हें घर में चूल्हा जलाना मुश्किल हो रहा है.

इसके साथ ही ये लोग जहां-जहां कंपनियों में काम करते थे. वो भी लॉकडाउन के चलते बंद है. जिसके कारण इनकी आमदनी का स्रोत भी ठप हो गया है. बचे हुए पैसे से परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक किसी भी तरह की कोई मदद नहीं दी गई. महिलाओं ने बताया कि नौबत ये आ गई है कि घर में एक टाइम खाना बनता है.


पुलिस को दे चुके हैं जानकारी


हरौला में किराए पर रह रहे लोगों ने बताया कि ये लोग पुलिस चौकियों में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं और पुलिस की ओर से दिए गए फार्म को भी भरा है. जिसके माध्यम से उम्मीद है कि प्रशासन इन्हें घर जाने की अनुमति दे देगा.



मकान मालिक ने माफ किया किराया

जिस बिल्डिंग में ये परिवार रह रहे हैं. उस बिल्डिंग के मकान मालिक का कहना है कि उनकी ओर से सभी का 2 महीने का किराया माफ कर दिया गया है. जहां तक राशन और खाना देने की व्यवस्था थी. वहां तक लोगों की मदद की गई है. लेकिन प्रशासन की ओर से इन लोगों की कोई मदद नहीं की गई है.

नई दिल्ली/नोएडा: कोविड-19 महामारी को देखते हुए लागू लॉकडाउन का तीसरा चरण खत्म होने वाला है. गौतमबुद्ध नगर जिले में प्रशासन का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान हर किसी को राशन और खाना भरपूर मात्रा में दिया गया है. इस बात की जमीनी हकीकत जानने जब ईटीवी भारत की टीम जिले के हरौला गांव में गई. यहां के हालात प्रशासन के दावों पर कई सवाल खड़े करते हैं. वहां बिहार के रहने वाले कई परिवारों से बात की गई तो उनका कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं दी गई है.

लॉकडाउन में राशन के लिए परेशान लोग


कैसे करें जीवन यापन?


नोएडा के सबसे घनी आबादी के क्षेत्र सेक्टर-5 में हरौला गांव है. जहां ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के लोग किराए का मकान लेकर रहते हैं. इनमें कुछ कंपनियों में काम करते है तो कुछ दिहाड़ी मजदूरी का भी काम करते हैं. ऐसी ही एक बिल्डिंग में ईटीवी भारत की टीम गई तो देखा कि वहां कई परिवार किराए पर रहते हैं. उनसे जब इस लॉकडाउन के दौरान राशन और खाने के संबंध में बात की गई तो उन लोगों ने बताया कि प्रशासन की ओर से अभी तक कोई भी मदद नहीं दी गई है. इन लोगों का कहना है कि इनके पास राशन कार्ड नहीं है, जिसके चलते सरकारी राशन से भी वंचित हैं. वहीं प्रशासन की ओर से राशन या भोजन नहीं दिया गया. जिसके चलते इन्हें घर में चूल्हा जलाना मुश्किल हो रहा है.

इसके साथ ही ये लोग जहां-जहां कंपनियों में काम करते थे. वो भी लॉकडाउन के चलते बंद है. जिसके कारण इनकी आमदनी का स्रोत भी ठप हो गया है. बचे हुए पैसे से परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से अभी तक किसी भी तरह की कोई मदद नहीं दी गई. महिलाओं ने बताया कि नौबत ये आ गई है कि घर में एक टाइम खाना बनता है.


पुलिस को दे चुके हैं जानकारी


हरौला में किराए पर रह रहे लोगों ने बताया कि ये लोग पुलिस चौकियों में जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं और पुलिस की ओर से दिए गए फार्म को भी भरा है. जिसके माध्यम से उम्मीद है कि प्रशासन इन्हें घर जाने की अनुमति दे देगा.



मकान मालिक ने माफ किया किराया

जिस बिल्डिंग में ये परिवार रह रहे हैं. उस बिल्डिंग के मकान मालिक का कहना है कि उनकी ओर से सभी का 2 महीने का किराया माफ कर दिया गया है. जहां तक राशन और खाना देने की व्यवस्था थी. वहां तक लोगों की मदद की गई है. लेकिन प्रशासन की ओर से इन लोगों की कोई मदद नहीं की गई है.

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