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SWAT टीम रिश्वत मामला: कार्यालय के बाहर दुकान लगाने वालाें से गाड़ियाें के बारे पूछा - नाेएडा पुलिस काे क्रेटा की तलाश

स्वाट टीम रिश्वत मामले (swat team bribery case) में डीसीपी क्राइम अभिषेक कुमार (DCP Crime Abhishek Kumar) द्वारा जांच की जा रही है. पुलिस सूत्रों की मानें तो सप्ताह भर के अंदर तमाम सबूतों और गवाहों के साथ डीसीपी क्राइम द्वारा उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपी जा सकती है. रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दिए जाने के बाद अब किन लोगों पर गाज गिरती है और किन लोगों को राहत मिलती है यह आने वाले वक्त में पता चलेगा.

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Published : Dec 7, 2021, 10:49 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरी में स्वाट टीम के प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा 25 लाख रुपए और क्रेटा कार मुलजिम से लेकर छोड़ने (Releasing accused by taking Creta) के मामले में चल रही डीसीपी क्राइम की जांच में तमाम लोगों से पूछताछ (DCP crime team is interrogating the shopkeepers) के बाद अब स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 जा पहुंची. सभी कमरों में ताले मिले. स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास दुकानदाराें से डीसीपी क्राइम की टीम ने पूछताछ की. दुकानदारों का कहना है कि पूछताछ करने वाली टीम हर बार क्रेटा कार (Noida Police is looking for Creta) के संबंध में जानकारी लेना चाह रही थी. पर हमारे पास कोई जानकारी न होने के चलते, हम उन्हें कुछ बता नहीं पाए क्योंकि प्रतिदिन अलग-अलग तरह की गाड़ियां और अलग-अलग तरह के लोग आते और जाते थे, इसलिए गाड़ी को पहचान पाना मुश्किल था.

बता दें कि स्वाट टीम का गोपनीय कार्यालय रिश्वत मामले के भंडाफोड़ होने के साथ ही बंद हो गया और वहां रहने फरार हो गए थे. डीसीपी क्राइम की जांच अभी जारी (DCP crime investigation is still on) है. स्वाट टीम रिश्वत मामले में लगातार डीसीपी क्राइम अभिषेक कुमार की टीम तमाम लोगों से पूछताछ करने में जुटी हुई है. इस मामले में स्वाट टीम के आठ पुलिसकर्मी जहां अब तक अपना बयान दर्ज करा चुके हैं, वहीं बर्खास्त हुए स्वाट टीम प्रभारी सावेज खान, कांस्टेबल अमरीश कांत यादव और कांस्टेबल नितिन तोमर द्वारा अब तक अपना कोई बयान दर्ज नहीं कराया गया है. वहीं सरकारी असलहे भी इन लोगों के पास अभी भी हैं. जांच करने वाली टीम हर पहलू और इस घटना से संबंधित तमाम लोगों से पूछताछ करने में लगी हुई है.

वीडियाें में देखिये कैसे SWAT के कार्यालय में ताला लटका है.

इसे भी पढ़ेंः SWAT टीम रिश्वत मामला: लाइन हाजिर पुलिसकर्मियों ने DCP क्राइम के सामने दर्ज कराए बयान

इस मामले में पूछताछ करने के लिए डीसीपी क्राइम की टीम स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 पहुंची, उस स्थान पर जहां पूर्व में परथला पुलिस चौकी हुआ करती थी. पुलिस चौकी के स्थान बदल जाने के बाद उस कार्यालय पर कब्जा स्वाट टीम का हो गया था. यह वह स्थान है जहां पैसे के लेनदेन से लेकर मुलजिम को छोड़ने तक का काम किया जाता था. स्वाट टीम के कार्यालय के बाहर दुकान करने वाले दो दुकानदारों के ऊपर भी जांच करने वाली टीम की तलवार लटकी और उनसे भी कई राउंड की पूछताछ कर ने डीसीपी क्राइम की टीम पहुंची. जिसमें एक दुकानदार पंचर बनाने का काम करता है तो, दूसरा सिलाई करने का काम करता है. कई राउंड की हुई पूछताछ में जांच करने वाली टीम को दोनों ही दुकानदारों से कोई खास सबूत हाथ अब तक नहीं लगे. वही पुलिस कमिश्नर द्वारा की गई कार्रवाई और रिश्वत मामले के भंडाफोड़ के बाद से स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय के सभी कमरों में ताले लगे हुए हैं.

इसे भी पढ़ेंः नोएडा: स्वाट टीम रिश्वत मामले में एक और सिपाही बर्खास्त

स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 के बाहर सिलाई करने वाले रामकुमार और पंचर बनाने वाले पुष्पेंद्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत जांच के संबंध में की.राम कुमार ने बताया कि वह हरदोई का रहने वाला है. टीम द्वारा बार-बार गाड़ी के संबंध में पूछा जा रहा था, जबकि गाड़ी के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है. तमाम लोग यहां पर अलग अलग गाड़ियों से आते और जाते थे, सब पर निगरानी और निगाह रखना मुश्किल था क्योंकि हमें अपना काम भी देखना था. हम लोग साइकिल से चलने वाले गाड़ियों के संबंध में क्या जाने. आपको बता दें कि स्वाट टीम के प्रभारी की सर्विस बुक पर भी मूल पता हरदोई का ही है.
सूनसान पड़ा कार्यालय.
सूनसान पड़ा कार्यालय.



वही पंचर बनाने वाले पुष्पेंद्र ने बताया कि कई बार जांच करने वाली टीम यहां पर आई और हम लोगों से पूछताछ की. जांच टीम द्वारा क्रेटा, स्कॉर्पियो, फॉर्च्यूनर तरह-तरह की गाड़ियों के नाम लेकर उनके संबंध में पूछ रही थी. जानकारी नहीं होने के चलते हम उन्हें कुछ बता नहीं पाए. गाड़ियां आती थी या नहीं इस संबंध में भी टीम द्वारा पूछा गया, तो हमने बताया कि गाड़ियां अलग-अलग तरह की बहुत सी आती थी. पुष्पेंद्र ने यह भी बताया कि इस कार्यालय पर पहले बहुत से पुलिसकर्मी दिन और रात में रहते थे पर जब से पूछताछ करने वाली टीम आ रही है, उसके पहले से यहां रहने वाले ताला बंद करके चले गए हैं.

नई दिल्ली/नोएडा: गौतमबुद्ध नगर कमिश्नरी में स्वाट टीम के प्रभारी और अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा 25 लाख रुपए और क्रेटा कार मुलजिम से लेकर छोड़ने (Releasing accused by taking Creta) के मामले में चल रही डीसीपी क्राइम की जांच में तमाम लोगों से पूछताछ (DCP crime team is interrogating the shopkeepers) के बाद अब स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 जा पहुंची. सभी कमरों में ताले मिले. स्वाट टीम के कार्यालय के आसपास दुकानदाराें से डीसीपी क्राइम की टीम ने पूछताछ की. दुकानदारों का कहना है कि पूछताछ करने वाली टीम हर बार क्रेटा कार (Noida Police is looking for Creta) के संबंध में जानकारी लेना चाह रही थी. पर हमारे पास कोई जानकारी न होने के चलते, हम उन्हें कुछ बता नहीं पाए क्योंकि प्रतिदिन अलग-अलग तरह की गाड़ियां और अलग-अलग तरह के लोग आते और जाते थे, इसलिए गाड़ी को पहचान पाना मुश्किल था.

बता दें कि स्वाट टीम का गोपनीय कार्यालय रिश्वत मामले के भंडाफोड़ होने के साथ ही बंद हो गया और वहां रहने फरार हो गए थे. डीसीपी क्राइम की जांच अभी जारी (DCP crime investigation is still on) है. स्वाट टीम रिश्वत मामले में लगातार डीसीपी क्राइम अभिषेक कुमार की टीम तमाम लोगों से पूछताछ करने में जुटी हुई है. इस मामले में स्वाट टीम के आठ पुलिसकर्मी जहां अब तक अपना बयान दर्ज करा चुके हैं, वहीं बर्खास्त हुए स्वाट टीम प्रभारी सावेज खान, कांस्टेबल अमरीश कांत यादव और कांस्टेबल नितिन तोमर द्वारा अब तक अपना कोई बयान दर्ज नहीं कराया गया है. वहीं सरकारी असलहे भी इन लोगों के पास अभी भी हैं. जांच करने वाली टीम हर पहलू और इस घटना से संबंधित तमाम लोगों से पूछताछ करने में लगी हुई है.

वीडियाें में देखिये कैसे SWAT के कार्यालय में ताला लटका है.

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इस मामले में पूछताछ करने के लिए डीसीपी क्राइम की टीम स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 पहुंची, उस स्थान पर जहां पूर्व में परथला पुलिस चौकी हुआ करती थी. पुलिस चौकी के स्थान बदल जाने के बाद उस कार्यालय पर कब्जा स्वाट टीम का हो गया था. यह वह स्थान है जहां पैसे के लेनदेन से लेकर मुलजिम को छोड़ने तक का काम किया जाता था. स्वाट टीम के कार्यालय के बाहर दुकान करने वाले दो दुकानदारों के ऊपर भी जांच करने वाली टीम की तलवार लटकी और उनसे भी कई राउंड की पूछताछ कर ने डीसीपी क्राइम की टीम पहुंची. जिसमें एक दुकानदार पंचर बनाने का काम करता है तो, दूसरा सिलाई करने का काम करता है. कई राउंड की हुई पूछताछ में जांच करने वाली टीम को दोनों ही दुकानदारों से कोई खास सबूत हाथ अब तक नहीं लगे. वही पुलिस कमिश्नर द्वारा की गई कार्रवाई और रिश्वत मामले के भंडाफोड़ के बाद से स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय के सभी कमरों में ताले लगे हुए हैं.

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स्वाट टीम के गोपनीय कार्यालय सेक्टर 119 के बाहर सिलाई करने वाले रामकुमार और पंचर बनाने वाले पुष्पेंद्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत जांच के संबंध में की.राम कुमार ने बताया कि वह हरदोई का रहने वाला है. टीम द्वारा बार-बार गाड़ी के संबंध में पूछा जा रहा था, जबकि गाड़ी के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है. तमाम लोग यहां पर अलग अलग गाड़ियों से आते और जाते थे, सब पर निगरानी और निगाह रखना मुश्किल था क्योंकि हमें अपना काम भी देखना था. हम लोग साइकिल से चलने वाले गाड़ियों के संबंध में क्या जाने. आपको बता दें कि स्वाट टीम के प्रभारी की सर्विस बुक पर भी मूल पता हरदोई का ही है.
सूनसान पड़ा कार्यालय.
सूनसान पड़ा कार्यालय.



वही पंचर बनाने वाले पुष्पेंद्र ने बताया कि कई बार जांच करने वाली टीम यहां पर आई और हम लोगों से पूछताछ की. जांच टीम द्वारा क्रेटा, स्कॉर्पियो, फॉर्च्यूनर तरह-तरह की गाड़ियों के नाम लेकर उनके संबंध में पूछ रही थी. जानकारी नहीं होने के चलते हम उन्हें कुछ बता नहीं पाए. गाड़ियां आती थी या नहीं इस संबंध में भी टीम द्वारा पूछा गया, तो हमने बताया कि गाड़ियां अलग-अलग तरह की बहुत सी आती थी. पुष्पेंद्र ने यह भी बताया कि इस कार्यालय पर पहले बहुत से पुलिसकर्मी दिन और रात में रहते थे पर जब से पूछताछ करने वाली टीम आ रही है, उसके पहले से यहां रहने वाले ताला बंद करके चले गए हैं.

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