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अंतरराष्‍ट्रीय व्यापार मेले में पसंद की जा रही कैदियों की बनाई LED लाइटें - ग्राम लाइट योजना

दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय विश्व व्यापार मेले में कैदियों की बनाई लाइट खूब पसंद की जा रही है. जेल अधीक्षक ने भी ऐसी लाइट बनाने वाले कैदियों की तारीफ की है.

कैदियों ने बनाईं LED लाइटें
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Published : Nov 23, 2019, 1:16 PM IST

Updated : Nov 23, 2019, 2:42 PM IST

नई दिल्ली/ग्रे. नोएडा: गौतमबुद्धनगर के लुक्सर जेल में बंद कैदियों ने ऐसे उत्पाद बनाए हैं कि वो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में खूब पसंद किए जा रहे हैं.लुक्सर जेल में बंद कैदियों ने ग्राम लाइट योजना के तहत एलईडी लाइट बनाई है. जेल अधीक्षक का कहना है कि इन उत्पादों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि वो किसी जेल में बने हैं.

कैदियों ने बनाईं LED लाइटें

कैदियों ने बनाईं कई तरह की लाइटें
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने बताया कि कैदियों ने ग्राम लाइट योजना के तहत काम करने की इच्छा जताई थी. जिसके बाद उन्हें जेल में ही जरूरी सामान और साधन मुहैया कराए गए. जरुरत पड़ने पर उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी गई. जिसके बाद इन्होंने एलईडी लाइट और कई तरह के सजावटी लाइट बनाए. ऐसा करके इन्होंने अंधेर कोठरी से भी दुनिया को उजाले का संदेश दिया है. मिश्रा ने कहा कि कैदियों का ये काम मुझे अच्छा लगा क्योंकि उन्होंने मकान से महल तक को रोशन करने वाला उत्पाद बनाया है.

'जेल को सुधार गृह के रूप में देखा जाना चाहिए'
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र का कहना है कि जेल को सुधार गृह के रूप में देखा जाना चाहिए. अगर कोई अपराधी यहां सजा काटने आता है तो जेल प्रशासन की यही मंशा होती है कि यहां से छूटकर जाने के बाद वो दोबारा जेल न आए. इसके लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं. कैदियों को उनकी प्रतिभा और योग्यता के हिसाब से प्रशिक्षण दिया जाता है.

नई दिल्ली/ग्रे. नोएडा: गौतमबुद्धनगर के लुक्सर जेल में बंद कैदियों ने ऐसे उत्पाद बनाए हैं कि वो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में खूब पसंद किए जा रहे हैं.लुक्सर जेल में बंद कैदियों ने ग्राम लाइट योजना के तहत एलईडी लाइट बनाई है. जेल अधीक्षक का कहना है कि इन उत्पादों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि वो किसी जेल में बने हैं.

कैदियों ने बनाईं LED लाइटें

कैदियों ने बनाईं कई तरह की लाइटें
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र ने बताया कि कैदियों ने ग्राम लाइट योजना के तहत काम करने की इच्छा जताई थी. जिसके बाद उन्हें जेल में ही जरूरी सामान और साधन मुहैया कराए गए. जरुरत पड़ने पर उन्हें इसकी ट्रेनिंग भी दी गई. जिसके बाद इन्होंने एलईडी लाइट और कई तरह के सजावटी लाइट बनाए. ऐसा करके इन्होंने अंधेर कोठरी से भी दुनिया को उजाले का संदेश दिया है. मिश्रा ने कहा कि कैदियों का ये काम मुझे अच्छा लगा क्योंकि उन्होंने मकान से महल तक को रोशन करने वाला उत्पाद बनाया है.

'जेल को सुधार गृह के रूप में देखा जाना चाहिए'
जेल अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र का कहना है कि जेल को सुधार गृह के रूप में देखा जाना चाहिए. अगर कोई अपराधी यहां सजा काटने आता है तो जेल प्रशासन की यही मंशा होती है कि यहां से छूटकर जाने के बाद वो दोबारा जेल न आए. इसके लिए कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं. कैदियों को उनकी प्रतिभा और योग्यता के हिसाब से प्रशिक्षण दिया जाता है.

Intro:ग्रेटर नोएडा: गौतम बुध्द नगर के लुक्सर जेल में बंद कैदियों ने अंधेरी कोठरी से दुनिया को उजाले का संदेश दिया है। दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे भारतीय विश्व व्यापार मेले में लुक्सर जेल के बंदियों ने ग्राम लाइट योजना को रोशनी से सराबोर कर दिया। बंदियों के उत्पादों को खूब पसंद किया जा रहा है।


Body: लुक्सर जेल में बंद कुछ कैदियों ने ग्राम लाइट योजना के तहत काम करने की इच्छा लुक्सर जेल के अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र जाहिर की थी। उसके लिए उन्हें जरूरी सामान और साधन मुहैया कराए गए। जरूरत पड़ने पर ट्रेनिंग भी कराई गई। आज इन बंदियों ने दुनिया को उजाले का संदेश दिया है। रोशनी से भरे उत्पादों में एलईडी लाइटों को अधिक इस्तेमाल किया गया है। तमाम ऐसी सजावटी लाइटें हैं, जिसे देखकर यकीन करना मुश्किल होता है कि यह उत्पाद किसी कारागार में बना है। विपिन कुमार मिश्र कहते हैं, अच्छा लगा, बंदियों ने मकान से महल तक को रोशन करने वाला उत्पाद बनाया है।




Conclusion:जेल के अधीक्षक विपिन कुमार मिश्र कहते हैं, कोई अपराधी सजा काटने के लिए जेल में आता है, लेकिन जेल प्रशासन की मंशा यही होती है कि यहां से छूटकर जाने वाला व्यक्ति दोबारा जेल न आए। इसके लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं, ताकि वह समाज की मुख्य धारा में अपने को शामिल कर सके। वह कहते हैं कि इसे जेल नहीं सुधार गृह के तौर पर देखा जाना चाहिए। बंदियों को उनकी प्रतिभा और योग्यता के साथ ही रुचि के कामों के बाबत व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। अनपढ़ के लिए क, ख, ग से लेकर तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है।
Last Updated : Nov 23, 2019, 2:42 PM IST
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