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नोएडा जिला अस्पताल में लाखों की मशीनें फांक रही हैं धूल, बाहर कराना पड़ता है टेस्ट - 50 तरह की बीमारियों का इलाज

नोएडा जिला अस्पताल में लाखों की मशीनें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते धूल फांक रही हैं. लैब के स्टाफ को भी नहीं मालूम है कि ये मशीनें कितने लंबे अर्से से बंद पड़ी हैं.

lakhs of machines are throwing dust in Noida District Hospital, test has to be done outside
नोएडा जिला अस्पताल में लाखों की मशीनें फांक रही हैं धूल, बाहर कराना पड़ता है टेस्ट
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Published : Nov 8, 2021, 7:32 PM IST

नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा जिला अस्पताल में लाखों की मशीनें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते धूल फांक रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लाखों की मशीनें अस्पताल में लगाई गई थी. ताकि मरीजों की जांच हजारों रुपए की बजाय महर 1 रुपए के खर्च में हो जाए, लेकिन अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनें धूल फांक रही हैं. इन पर जमी धूल की परत ये बता रही है, कि कितने लंबे अर्से से ऑपरेट नहीं की गई है.

पैथोलॉजी लैब में लगी 55 लाख रुपए की मशीन हमेशा बंद रहती है. लाखों रुपए की मशीन लैब में लगी है, लेकिन किट के अभाव में उसे बंद कर दिया गया है. इस मशीन से 50 तरह के टेस्ट आसानी से किए जा सकते हैं. इन्हीं टेस्ट के लिए मरीजों को बाहर हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं. इस मशीन से होने वाली जांचों में बायोमेट्रिक, हारमोंस और सीरोलॉजी की जांच से करीब 50 तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. यह मशीन कब से बंद पड़ी है, इसका जवाब लैब स्टॉफ के पास भी नहीं है. उसका कहना है कि मेरे यहां आने से पहले से ही यह मशीन बंद पड़ी है.

नोएडा जिला अस्पताल में करोड़ों की मशीनें फांक रही हैं धूल, बाहर कराना पड़ता है टेस्ट

इसे भी पढ़ें : नोएडा: रेमेडेसीवर की कालाबाजारी करने वाले तीन आरोपी गिरफ्तार

नोएडा के इस अस्पताल का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 14 अक्टूबर 2011 को किया था. इसको बनाने में करीब 600 करोड़ की लागत आई थी. आज हालत ये है कि अस्पताल में मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है. जांच बाहर करानी पड़ती है, क्योंकि मशीनें बंद पड़ी हैं. दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है, क्योंकि दवा उपलब्ध नहीं होती है. कुल मिलाकर अब ये अस्पताल महज दिखावे की चीज बनकर रह गया है.

नई दिल्ली/नोएडा : नोएडा जिला अस्पताल में लाखों की मशीनें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के चलते धूल फांक रही हैं. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में लाखों की मशीनें अस्पताल में लगाई गई थी. ताकि मरीजों की जांच हजारों रुपए की बजाय महर 1 रुपए के खर्च में हो जाए, लेकिन अस्पताल में अत्याधुनिक मशीनें धूल फांक रही हैं. इन पर जमी धूल की परत ये बता रही है, कि कितने लंबे अर्से से ऑपरेट नहीं की गई है.

पैथोलॉजी लैब में लगी 55 लाख रुपए की मशीन हमेशा बंद रहती है. लाखों रुपए की मशीन लैब में लगी है, लेकिन किट के अभाव में उसे बंद कर दिया गया है. इस मशीन से 50 तरह के टेस्ट आसानी से किए जा सकते हैं. इन्हीं टेस्ट के लिए मरीजों को बाहर हजारों रुपए खर्च करने पड़ते हैं. इस मशीन से होने वाली जांचों में बायोमेट्रिक, हारमोंस और सीरोलॉजी की जांच से करीब 50 तरह की बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. यह मशीन कब से बंद पड़ी है, इसका जवाब लैब स्टॉफ के पास भी नहीं है. उसका कहना है कि मेरे यहां आने से पहले से ही यह मशीन बंद पड़ी है.

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नोएडा के इस अस्पताल का लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने 14 अक्टूबर 2011 को किया था. इसको बनाने में करीब 600 करोड़ की लागत आई थी. आज हालत ये है कि अस्पताल में मरीजों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है. जांच बाहर करानी पड़ती है, क्योंकि मशीनें बंद पड़ी हैं. दवा बाहर से खरीदनी पड़ती है, क्योंकि दवा उपलब्ध नहीं होती है. कुल मिलाकर अब ये अस्पताल महज दिखावे की चीज बनकर रह गया है.

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