नई दिल्ली/नोएडा : केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार जनता के लिए तमाम योजनाएं चला रही है. झुग्गी बस्ती वालों के लिए सरकारें विशेष योजनाएं भी चलाती है. लेकिन नोएडा के सेक्टर 63 स्थित झुग्गी बस्ती वालों को किसी भी सरकार की एक भी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. यहां तक कि बच्चों के पढ़ने के लिए एक अदद स्कूल की भी व्यवस्था नहीं है. इस बस्ती में एक NGO ने टेंट में स्कूल खोला है, जिसमें बच्चे धूल-मिट्टी में बैठकर पढ़ाई करते हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हाइटेक सिटी और उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहे जाने वाले औद्योगिक शहर नोएडा का हाल यह है कि यहां सैकड़ों परिवार ऐसे हैं. जिन्हें दो जून की रोटी भी बड़ी मुश्किल से नसीब होती है. इनके बच्चे दिनभर यहां के कचरे में पड़े रहते हैं. यहां रहने वाले करीब 400 मजदूर परिवार सरकारी योजनाओं से महरूम हैं. इनका कहना है कि अथॉरिटी की गाड़ियां आकर यहीं पूरे नोएडा का कूड़ा और सीवर ने निकलने वाला बदबूदार कचरा फेंक जाती हैं. जिससे इन्हें यहां भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इनके बच्चे गरीबी के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. यहां टेंट में एक NGO ने बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की है. कुछ घंटे पढ़ने के बाद ये बच्चे अपने मां-बाप के साथ कचरा बीनने में उनकी मदद करते हैं. बच्चों के भविष्य को लेकर इनके माता-पिता बहुच चिंतित हैं. लेकिन अपनी गरीबी के आगे ये सभी लाचार हैं.
400 परिवारों के सैकड़ों बच्चों को सरकार के सर्व शिक्षा अभियान की लाइनें सब पढ़ें-सब बढ़ें चिढ़ाती नजर आती हैं. इनके लिए सरकारी योजनाएं बस सुनी-सुनाई कहानियों की तरह हैं. इनमें दर्जनों बच्चें प्रतिभावन हैं, जो पढ़ाई करना चाहते हैं, लेकिन इनकी पढ़ाई के लिए संसाधन ही उपलब्ध नहीं हैं. लिहाजा ये परिवार के साथ मजदूरी करके रोटी कमाने की कोशिश करते हैं. सरकार की तमाम योजनाओं के साथ ही शिक्षा से भी ये कोसों दूर हैं.
नोएडा के सेक्टर 63 स्थित रिलायंस के बंद पड़े पेट्रोल पंप और उसके आसपास रहने वाले करीब 400 झुग्गी वासियों का कहना है कि हम लोग यहां लंबे समय से रह रहे हैं. अपने परिवार का भरण पोषण दिहाड़ी मजदूरी करके करते हैं. दिहाड़ी अगर मिल गई तो परिवार का भरण पोषण होता है. अन्यथा कई बार घर में चूल्हा भी नहीं जलता है. लोगों ने यह भी बताया कि झुग्गी में करीब 40 बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल में पढ़ने लायक हैं. लेकिन गरीबी और सरकारी योजनाओं की मदद न मिलने के चलते वह मजदूरी करने को मजबूर हैं.
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सेक्टर 63 स्थित झुग्गी में रहने वाले 400 परिवारों में से जब कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि आमदनी इतनी हमारी नहीं है, कि हम परिवार का भरण पोषण करने के साथ ही बच्चों को शिक्षा स्कूल में दाखिला दिला सकें. उन्होंने यह भी बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी कहीं से कोई हमें मदद नहीं मिली थी. कई दिनों तक पानी पीकर पेट की आग बुझानी पड़ी. आज तक सरकार या प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद हमें नहीं मिली है. वहीं बच्चों की शिक्षा पर भी किसी के द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हम चाह कर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. हमारे बच्चों का भविष्य अंधकार की तरफ जा रहा है. हम मजबूर हैं, यह सब देखते हुए भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. यह हाल उस देश की एक आबादी का है. जो विश्व गुरू बनने का दम भरता रहता है.