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कोरोना का कहर : छोटे हो गए रावण, कुंभकरण और मेघनाद

कोरोना की मार सिर्फ इंसानों पर ही नहीं, बल्कि त्योहारों पर भी दिख रही है. आलम ये है कि रावण का पुतला बनाने वाले कारीगरों के पास काम नहीं है और सीमित संसाधनों के साथ पर्व मनाया जा रहा है.

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Published : Oct 16, 2021, 10:59 AM IST

इस बार रावण के पुतले की हाइट भी 23 फीट रखी गई
इस बार रावण के पुतले की हाइट भी 23 फीट रखी गई

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोरोना की वजह से रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई इस बार कम दिखी. गाजियाबाद की सबसे प्राचीन सुल्लामल रामलीला कमेटी ने इस बात की जानकारी दी. इस बार सिर्फ दो दिन की ही रामलीला देखने को मिलेगी. लोगों में दशहरे को लेकर पहले जितना उत्साह नहीं दिख रहा. रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले पहले 75 फीट तक के बनते थे, जो अब 20 फीट की हाइट तक आ गए हैं.

गाजियाबाद की घंटाघर रामलीला मैदान में पिछले 130 सालों से भी अधिक समय से रामलीला का मंचन किया जाता है. सुल्लामल रामलीला कमेटी द्वारा यह मंचन करवाया जाता है. पूर्व के समय से लेकर धीरे-धीरे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों की हाइट बढ़ती चली गई थी. कोरोना काल से पहले रावण का पुतला 75 फुट तक का पहुंच गया, जिसे देखने के लिए न सिर्फ गाजियाबाद, बल्कि आसपास के लोगों में भी काफी उत्साह था. लोग दूर-दूर से यहां आते थे.

इसे भी पढ़ें: कोरोना रूपी रावण जल्द से जल्द देश से खत्म होः अरविंद केजरीवाल

आकलन के मुताबिक, रामलीला मैदान में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार दिशा-निर्देशों का पालन करवाते हुए रामलीला कराई जा रही है, जिसमें लिमिटेड लोगों के आने का इंतजाम किया गया है. रावण के पुतले की हाइट भी 23 फीट रखी गई.

पूर्व के सालों में यहां पर रामलीला मंचन के लिए बाहर से कलाकार आते थे और पूरे नौ दिन तक लोगों का मनोरंजन करते थे, लेकिन इस बार स्थानीय कलाकारों से ही सिर्फ दो दिन के मंचन की इजाजत मिली.

नई दिल्ली/गाजियाबाद : कोरोना की वजह से रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई इस बार कम दिखी. गाजियाबाद की सबसे प्राचीन सुल्लामल रामलीला कमेटी ने इस बात की जानकारी दी. इस बार सिर्फ दो दिन की ही रामलीला देखने को मिलेगी. लोगों में दशहरे को लेकर पहले जितना उत्साह नहीं दिख रहा. रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले पहले 75 फीट तक के बनते थे, जो अब 20 फीट की हाइट तक आ गए हैं.

गाजियाबाद की घंटाघर रामलीला मैदान में पिछले 130 सालों से भी अधिक समय से रामलीला का मंचन किया जाता है. सुल्लामल रामलीला कमेटी द्वारा यह मंचन करवाया जाता है. पूर्व के समय से लेकर धीरे-धीरे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों की हाइट बढ़ती चली गई थी. कोरोना काल से पहले रावण का पुतला 75 फुट तक का पहुंच गया, जिसे देखने के लिए न सिर्फ गाजियाबाद, बल्कि आसपास के लोगों में भी काफी उत्साह था. लोग दूर-दूर से यहां आते थे.

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आकलन के मुताबिक, रामलीला मैदान में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती थी, लेकिन इस बार दिशा-निर्देशों का पालन करवाते हुए रामलीला कराई जा रही है, जिसमें लिमिटेड लोगों के आने का इंतजाम किया गया है. रावण के पुतले की हाइट भी 23 फीट रखी गई.

पूर्व के सालों में यहां पर रामलीला मंचन के लिए बाहर से कलाकार आते थे और पूरे नौ दिन तक लोगों का मनोरंजन करते थे, लेकिन इस बार स्थानीय कलाकारों से ही सिर्फ दो दिन के मंचन की इजाजत मिली.

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