चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में हरियाणा के गुरुग्राम में आम जनता और मरीजों के लिए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में टेस्टिंग लैब, मास्क, बेड वेंटिलेटर ना होने को लेकर एक पीआईएल दाखिल की गई थी, जिसमें बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हरियाणा सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है.
हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में कहा कि इस मामले को लेकर पहले ही गृह मंत्रालय को ही सूचित किया जा चुका है. वहीं इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पीआईएल को खत्म करते हुए कहा कि इस मामले में कोई डायरेक्शन को नहीं दी जा सकती, लेकिन याचिकाकर्ता को एक रिप्रेजेंटेशन संबंधित विभाग को देने के लिए कहा है.
हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दिया जवाब
बुधवार को हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में कहा कि 1 जुलाई 2020 की भारत सरकार की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग नोटिफिकेशन के आधार पर एफिडेविट दर्ज कर बताया गया कि याचिकाकर्ता द्वारा जो भी मुद्दे उठाए गए हैं उनको पहले ही भारत सरकार के समक्ष उठाया जा चुका है. सरकारी अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों के लिए सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया है. इसके अलावा 42 प्राइवेट हॉस्पिटल कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा एंटीजन टेस्ट किट का इस्तेमाल भी बढ़ाया गया है और अगर जरूरत पड़ी तो अस्पतालों में इस चीज को और भी बढ़ाया जाएगा. सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया कि रोजाना हरियाणा सरकार द्वारा ऑनलाइन वेब पोर्टल पर मीडिया बुलेटिन जारी किया जाता है कि कितने कोविड के अस्पताल हैं, कितने हेल्थ सेंटर हैं, केयर सेंटर हैं, कितने बेड हैं, कितने वेंटीलेटर हैं, कितनी टेस्टिंग लैब्स हैं और कितने सैंपल कलेक्शन सेंटर हैं.
गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का किया जा रहा अनुसरण
हर एक चीज की विस्तार से जानकारी दी जाती है. इसके अलावा हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में बताया कि 25 जून 2020 को सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के इलाज करवाने वाले लोगों के चार्ज तय किए थे. सरकार ने कहा कि लगातार महामारी से लड़ने के लिए सरकार गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार चल रही है. इस मामले में भारत सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि हरियाणा सरकार इस तरह की लिटिगेशन को गंभीरता से लेती है और जो भी सुझाव दिए जाते हैं उन पर काम करती है और यदि याचिकाकर्ता चाहे तो हरियाणा सरकार को सुझाव दे सकता है.
याचिकाकर्ता को सुझाव देने के लिए कहा
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट में यह देखा कि सरकार याचिकाकर्ता द्वारा जो अपनी पीआईएल में लिखा है उसके मुताबिक काम कर रही है, जिसको देखते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार को कोई निर्देश नहीं दिए जा सकते, लेकिन हां यदि याचिकाकर्ता कोई सुझाव देना चाहता है तो वह दे सकता है. जिसके बाद याचिका को खत्म कर दिया गया.