नई दिल्ली/गुरुग्राम: गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट डिपार्टमेंट की तरफ से इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार में शिरकत करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार और स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने मैनेजमेंट में किस तरह से गीता का अपना एक महत्व है इसकी जानकारी दी.
साथ ही बताया कि भारतीय ग्रंथ किस तरह जीवन शैली को बदलने के साथ-साथ जीवन भाव को भी किस तरह से प्रभावित करता है. उसका एक बड़ा उदाहरण यही है कि भारतीय संस्कृति परिश्रम, प्रेम, सकारात्मक विचार और विश्वास सिखाती है. बता दें कि मैनेजमेंट सेमिनार का मुख्य उद्देश्य यही था कि छात्रों को बताया जा सके कि किस तरह से मैनेजमेंट की पढ़ाई में गीता उपयोगी ही नहीं बल्कि मददगार भी है. गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल सेमिनार में कई बड़ी शख्सियतों ने हिस्सा लिया. इंटरनेशनल सेमिनार में हर वक्ता ने ये बताने की कोशिश की कि गीता हमारे जीवन में कितना महत्व रखती है.
यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मारकंडे आहूजा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गीता हमारा एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि हमारे जीवन का एक हिस्सा भी है. गीता हर व्यक्ति को उसकी शक्ति का तो एहसास कराता ही है. साथ ही साथ दूसरे व्यक्ति में भी सकारात्मक विचार पैदा करने की शक्ति देता है.
उन्होंने कहा कि इस तरह के सेमिनार से जागरुकता तो आती ही है. साथ ही साथ विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति और सभ्यता को बचाने की सीख मिलती है. जिससे उनके जीवन का लक्ष्य एक विश्वास के साथ आसानी से प्राप्त होता है.