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गाजियाबाद: विकास भवन में तैनात महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप - Ghaziabad Vikas Bhavan

हमेशा से ही सुर्खियों में रहने वाला गाजियाबाद का विकास भवन एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है. विकास भवन के वरिष्ठ सहायक जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण पद पर तैनात महिला अधिकारी ने जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी पर मानसिक और अन्य तरह के उत्पीड़न का आरोप लगाया है. मुख्य विकास अधिकारी ने इस पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है.

Woman officer posted in Ghaziabad Vikas Bhavan accuses senior officer of harassment
महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप
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Published : Sep 24, 2020, 6:54 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद के विकास भवन से महिला अधिकारी के उत्पीड़न का मामला सामने आया है. जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी कार्यलय में तैनात महिला अधिकारी ने जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी/ जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

महिला अधिकारी का आरोप है कि जब उन्होंने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी ने महिला को और भी ज्यादा परेशान करना शुरू कर दिया. साथ ही पीड़िता से लिखित में भी जवाब मांगे जाने लगे. आरोप हे कि जब ऑफिस विलंब से आने पर पीड़िता ने उच्च अधिकारी को बताया कि उन्हें महिलाओं को होने वाली दिक्कत है तो उन्होंने लिखित में जवाब देने के लिए कहा, जब महिला ने लिखित में बताया कि उसे माहवारी (महिलाओ को होने वाली दिक्कत) है तो उन्होंने लिखित जवाब में कहा कि आपको देखकर ऐसा प्रतीत नही होता.

शिकायत के बाद रोका वेतन

हद तो तब हो गई जब महिला ने इसकी शिकायत मुख्य विकास अधिकारी से की जोकि खुद एक महिला हैं. उन्होंने इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की कमिटी गठित की. जिसके बाद उच्च अधिकारी ने अपने खिलाफ शिकायत होने के बाद महिला अधिकारी का वेतन दो महीने से रोक दिया. परेशान महिला अधिकारी अपनी परेशानी लेकर कर्मचारियों की संस्था के पास पहुंची, मगर कुछ हासिल ना हुआ.

'पीड़िता का जीवन हुआ अस्त-व्यस्त'

महिला के पति के मुताबिक इस प्रकरण के बाद से उनकी पत्नी बेहद परेशान है और उसका जीवन भी अस्त-व्यस्त है. जिसके कारण परिवार भी बिखर रहा है. वो भी अपनी पत्नी को उच्च अधिकारियों के पास ले गया मगर नतीजा शून्य ही रहा.

बचती नजर आई मुख्य विकास अधिकारी

हैरानी की बात ये है कि जब इस पूरे मामले में ईटीवी भारत की टीम मुख्य विकास अधिकारी के पास पहुंची तो वो इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से बचती नजर आई. बड़ा सवाल ये है कि जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है. वहीं दूसरी ओर सरकार के ही नुमाइंदे इस कथन को पलीता लगाते हुए नजर आते हैं.

नई दिल्ली/गाजियाबाद: राजधानी दिल्ली से सटे जनपद गाजियाबाद के विकास भवन से महिला अधिकारी के उत्पीड़न का मामला सामने आया है. जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी कार्यलय में तैनात महिला अधिकारी ने जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी/ जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

महिला अधिकारी ने वरिष्ठ अधिकारी पर लगाया उत्पीड़न का आरोप

महिला अधिकारी का आरोप है कि जब उन्होंने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी ने महिला को और भी ज्यादा परेशान करना शुरू कर दिया. साथ ही पीड़िता से लिखित में भी जवाब मांगे जाने लगे. आरोप हे कि जब ऑफिस विलंब से आने पर पीड़िता ने उच्च अधिकारी को बताया कि उन्हें महिलाओं को होने वाली दिक्कत है तो उन्होंने लिखित में जवाब देने के लिए कहा, जब महिला ने लिखित में बताया कि उसे माहवारी (महिलाओ को होने वाली दिक्कत) है तो उन्होंने लिखित जवाब में कहा कि आपको देखकर ऐसा प्रतीत नही होता.

शिकायत के बाद रोका वेतन

हद तो तब हो गई जब महिला ने इसकी शिकायत मुख्य विकास अधिकारी से की जोकि खुद एक महिला हैं. उन्होंने इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यों की कमिटी गठित की. जिसके बाद उच्च अधिकारी ने अपने खिलाफ शिकायत होने के बाद महिला अधिकारी का वेतन दो महीने से रोक दिया. परेशान महिला अधिकारी अपनी परेशानी लेकर कर्मचारियों की संस्था के पास पहुंची, मगर कुछ हासिल ना हुआ.

'पीड़िता का जीवन हुआ अस्त-व्यस्त'

महिला के पति के मुताबिक इस प्रकरण के बाद से उनकी पत्नी बेहद परेशान है और उसका जीवन भी अस्त-व्यस्त है. जिसके कारण परिवार भी बिखर रहा है. वो भी अपनी पत्नी को उच्च अधिकारियों के पास ले गया मगर नतीजा शून्य ही रहा.

बचती नजर आई मुख्य विकास अधिकारी

हैरानी की बात ये है कि जब इस पूरे मामले में ईटीवी भारत की टीम मुख्य विकास अधिकारी के पास पहुंची तो वो इस पूरे मामले में कुछ भी कहने से बचती नजर आई. बड़ा सवाल ये है कि जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण की बात करती है. वहीं दूसरी ओर सरकार के ही नुमाइंदे इस कथन को पलीता लगाते हुए नजर आते हैं.

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