नई दिल्ली/गाजियाबाद: 14 अप्रैल से शुरू हुआ मुस्लिम समुदाय का रमजान उल मुबारक का पाक महीना लगभग 13 मई तक रहेगा. इस 1 महीने के बीच मुस्लिम समुदाय के लोग गरीब, मजदूर, यतीम लोगों की खूब मदद करते हैं. जिसको जकात, फितरा कहा जाता है. आखिर रमजान के महीने में जकात, फितरा क्यों दिया जाता है. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत में मौलाना शगीर से की बातचीत.
जिन गरीब लोगों के पास खाने-पीने के इंतजाम नहीं होते और जिन रोजेदारों के पास रोजा इफ्तार का सामान नहीं होता उनकी मदद की जाती है. तो वहीं दूसरी ओर इस रमजान के महीने में 1 रुपया देने पर 70 के बराबर सवाब मिलता है. रमजान के महीने में मुसलमान जकात निकालकर गरीबों की मदद भी करते हैं और खुदा का फरमान भी पूरा करते हैं.
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लॉकडाउन में भी करें गरीबों की मदद
मौलाना ने बताया कि जकात और फितरा इस प्रकार दिया जाता है कि जिस पर साढ़े 52 तोला चांदी या इसके बराबर अन्य माल है. तो उस पर जकात, फितरा फर्ज हो जाता है. इसलिए उसको अपनी दौलत के हिसाब से ₹100 पर ढाई रुपए गरीबों के लिए निकालना चाहिए. इसके साथ ही मौलाना का कहना है कि जकात, फितरा देने के साथ ही लॉकडाउन में गरीब, मजदूरों की भी बढ़-चढ़कर मदद करनी चाहिए.