नई दिल्ली/ गाजियाबाद: पूरे देश को हिला कर रख देने वाले मुरादनगर के श्मशान घाट हादसे (Muradnagar cremation ground accident) की पीड़ित महिलाएं सरकारी नौकरी और अन्य मांगों को लेकर 29 नवंबर से धरने पर बैठी हुई है. उनका कहना है कि शासन अपने वादे के अनुसार पीड़ित महिलाओं को सरकारी नौकरी दें. करीब 17 दिन से सुनवाई ना होने के बाद अब पीड़ित महिलाओं ने 16 दिसंबर से भूख हड़ताल शुरू कर दी है.
पीड़िता पुष्पलता ने बताया कि श्मशान घाट हादसे की सभी पीड़ित महिलाएं 29 नवंबर से धरने पर बैठी हुई हैं. करीब 17 दिन से सुनवाई ना होने के बाद 16 तारीख से भूख हड़ताल पर हैं. गुरुवार को दो महिलाएं भूख हड़ताल (women hunger strike in ghaziabad) पर थी. शुक्रवार को 4 महिलाएं भूख हड़ताल पर हैं. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होंगी, यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा. पीड़िताओं के अनुसार, प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि आप को मुआवजा, राशन और बच्चों की मुफ्त शिक्षा और मकान तो दे दिए गए हैं, लेकिन आपको नौकरी संविदा पर ही मिलेगी.
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जिले में लागू धारा 144 (Section 144 implemented in Ghaziabad) को लेकर पीड़ित महिलाओं का कहना है कि धारा 144 लगे होने के बावजूद भी धरने से नहीं हटेंगे. हालांकि, उन पर धरना खत्म करने के लिए प्रशासनिक दबाव भी है. वह रात को भी धरने पर ही रूकती हैं. धरना स्थल पर परेशानी बहुत अधिक हैं, लेकिन वह धरना खत्म नहीं करेंगे. पीड़िता का यहां तक कहना है कि या तो सरकार उनकी मांगे पूरी करें या फिर उनके लिए भी एक ऐसा लेंटर बनवा दे, जिसमें वह भी दब कर अपनी जान गवा दें.
हादसे की वो तारीख
जाहिर है कि तीन जनवरी को मुरादनगर में हुए श्मशान घाट हादसे में लेंटर के नीचे दबकर 25 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. करीब इतने ही लोग इस हादसे में गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. इस पूरे हादसे में भ्रष्टाचार उजागर हुआ था. प्रशासन ने इस हादसे के आरोपी नगर पालिका परिषद के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी, जूनियर इंजीनियर, सुपरवाइजर और ठेकेदार को जेल भेज दिया था. हालांकि, अब तत्कालीन अधिशासी अधिकारी जमानत पर बाहर हैं. इस पूरे हादसे की जांच SIT को सौंपी गई थी, जो कि अभी भी जारी है.
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