नई दिल्ली/गाजियाबाद: जिले को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए गाजियाबाद जिला प्रशासन लंबे समय से कवायद कर रहा है. शासन की ओर से शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए करीब 250 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं.
हर साल दिए जाएंगे 50 करोड़
शहर गाजियाबाद को अगले 5 सालों तक हर साल ₹50 करोड़ रुपये शासन की ओर से दिए जाएंगे. धनराशि जिले को विकसित कराए जाने के उद्देश्य से किए जाने वाले निर्माण कार्यों में खर्च की जाएगी. जिलाधिकारी की ओर से स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा बैठक की गई.
बता दें कि स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत जिलाधिकारी अध्यक्ष, गाजियाबाद नगर निगम के नगर आयुक्त और उपाध्यक्ष गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सदस्य के रूप में शासन की ओर से नामित किए गए हैं.
इन परियोजनाओं पर सहमति हुई-
- कंपनी बाग स्थित लाइब्रेरी को डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जाएगा. अभी तक इस लाइब्रेरी में मात्र 10,000 किताबें ही उपलब्ध थी. डिजिटल लाइब्रेरी विकसित होने के बाद लाइब्रेरी में किताबों की संख्या तकरीबन 50,000 होगी.
- नगरीय क्षेत्र में नगर निगम की ओर से संचालित 6 प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास, प्लेग्राउंड, सीसीटीवी कैमरे की भी व्यवस्था कराई जाएगी.
- नगर निगम के पांचों जोनों के अंतर्गत 25 पार्कों में ओपन जिम और योग के लिए सुविधाएं सीसीटीवी कैमरे और खेलने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.
- प्रदूषण नियंत्रण को देखते हुए ई-वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट को स्थापित कराया जाएगा.
- नगरीय क्षेत्र के सभी 95 प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब और स्मार्ट क्लास की व्यवस्था कराई जाएगी.
- जिला अस्पताल को स्मार्ट अस्पताल बनाया जाएगा. जिसके अंतर्गत अस्पताल में MRI मशीन उपलब्ध कराई जाएगी. साथ ही अस्पताल में आने वाले मरीजों की प्रोफाइल बनाई जाएगी. जिसमें मरीजो का पूर्ण विवरण अंकित कर रिकॉर्ड सुरक्षित रखा जाएगा.
- नंदराम स्थित जीआईसी स्कूल को आदर्श स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा. जो आधुनिक सुविधाओं से संरक्षित रहेगा. जिसके अंतर्गत स्कूल में लाइब्रेरी प्रयोगशाला आदि सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी.
प्रस्ताव मंडल आयुक्त को भेजा जाएगा
स्मार्ट सिटी योजना की समीक्षा बैठक में इन तमाम प्रस्तावों पर सहमति सभी अधिकारियों की ओर से दी गई. अब इन तमाम प्रस्तावों को अनुमोदन हेतु मेरठ मंडल आयुक्त को भेजा जाएगा.